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चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के खुले कपाट - fourth kedar lord Rudranath dham opened

चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट विधि विधान से पूजा कर ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं.

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Published : May 17, 2021, 10:24 AM IST

Updated : May 17, 2021, 6:38 PM IST

चमोली: चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट विधि विधान से पूजा कर ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं. पुजारी रिंकू तिवारी ने सुबह 5 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 6 माह के लिए भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोले.

चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के खुले कपाट
चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के खुले कपाट

बता दें कि, रविवार को गोपीनाथ मंदिर परिसर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद सुबह 8 बजे रुद्रनाथ की डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ धाम के लिए रवाना हुई. इस बार रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना का जिम्मा पंडित धर्मेंद्र तिवारी को सौंपा गया. अब ग्रीष्मकाल में 5 माह तक भगवान भोलेनाथ कैलाश में विराजमान रहेंगे. 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर में भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं. मंडल घाटी में प्रवेश करने पर गंगोलगांव, सगर, ग्वाड़ गांव के ग्रामीणों ने डोली का फूल-मालाओं से स्वागत किया. रात्रि विश्राम पनार बुग्याल में करने के बाद आज तड़के 4 बजे डोली रुद्रनाथ मंदिर पहुंची. जिसके बाद 5 बजे भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए.

पढ़ें: आज खुलेंगे तुंगनाथ और रुद्रनाथ के कपाट, जानें इन धामों की महिमा

गत वर्षों तक सैकड़ों की संख्या में भक्तगण रुद्रनाथ की डोली के साथ रुद्रनाथ मंदिर पहुंचते थे. लेकिन कोरोना महामारी की चलते मात्र 20 श्रद्धालुओं को ही डोली के साथ जाने की अनुमति प्रशासन की ओर से दी गई है. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण लगभग 24 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करते हैं. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण पुंग, ल्वींठी, पनार और पित्रधार जैसे सुरम्य बुग्यालों से होकर गुजरते हैं.

चमोली: चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट विधि विधान से पूजा कर ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं. पुजारी रिंकू तिवारी ने सुबह 5 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 6 माह के लिए भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोले.

चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के खुले कपाट
चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के खुले कपाट

बता दें कि, रविवार को गोपीनाथ मंदिर परिसर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद सुबह 8 बजे रुद्रनाथ की डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ धाम के लिए रवाना हुई. इस बार रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना का जिम्मा पंडित धर्मेंद्र तिवारी को सौंपा गया. अब ग्रीष्मकाल में 5 माह तक भगवान भोलेनाथ कैलाश में विराजमान रहेंगे. 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर में भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं. मंडल घाटी में प्रवेश करने पर गंगोलगांव, सगर, ग्वाड़ गांव के ग्रामीणों ने डोली का फूल-मालाओं से स्वागत किया. रात्रि विश्राम पनार बुग्याल में करने के बाद आज तड़के 4 बजे डोली रुद्रनाथ मंदिर पहुंची. जिसके बाद 5 बजे भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए.

पढ़ें: आज खुलेंगे तुंगनाथ और रुद्रनाथ के कपाट, जानें इन धामों की महिमा

गत वर्षों तक सैकड़ों की संख्या में भक्तगण रुद्रनाथ की डोली के साथ रुद्रनाथ मंदिर पहुंचते थे. लेकिन कोरोना महामारी की चलते मात्र 20 श्रद्धालुओं को ही डोली के साथ जाने की अनुमति प्रशासन की ओर से दी गई है. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण लगभग 24 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करते हैं. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण पुंग, ल्वींठी, पनार और पित्रधार जैसे सुरम्य बुग्यालों से होकर गुजरते हैं.

Last Updated : May 17, 2021, 6:38 PM IST
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