थरालीः देवाल विकासखंड के घेस में आयोजित बीडीसी बैठक में डॉक्टर को बैठक से बाहर किए जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है. घटना से नाराज पीएचसी और सीएससी के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया है. उन्होंने घटना को डॉक्टरों का अपमान करार दिया है. ऐसे में ब्लॉक प्रमुख को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. वहीं, देवाल ब्लॉक प्रमुख दर्शन दानू ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह को ज्ञापन भेजा है.
दरअसल, बीती 12 दिसंबर देवाल विकासखंड के घेस में बीडीसी बैठक (BDC meeting in Ghes Viilage) आयोजित हुई. जिसमें विभागीय उच्चाधिकारी के रूप में देवाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर शहजाद अली को शिरकत करना था, लेकिन किसी कारणवश वे नहीं जा पाए. उनकी जगह बतौर प्रतिनिधि के रूप में डॉक्टर अक्षत्र थापा बैठक में पहुंचे, लेकिन ब्लॉक प्रमुख दर्शन दानू ने सक्षम अधिकारी के न होने का हवाला देकर डॉक्टर थापा को बैठक से बाहर कर दिया. इस घटना के बाद डॉक्टरों में भारी आक्रोश है.
उधर, चिकित्सक सेवा संघ चमोली के बैनर तले डॉक्टर अब विरोध पर उतर गए हैं. वहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थराली के डॉक्टरों ने भी ब्लॉक प्रमुख का विरोध करते हुए कहा कि बीडीसी बैठक में डॉक्टर को बाहर करने का मामले की वो घोर निंदा करते हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थराली के प्रभारी चिकित्सक डॉ. नवनीत चौधरी ने मामले की जांच करने की मांग की है.
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डॉक्टर नवनीत चौधरी का कहना है कि डॉ थापा का सार्वजनिक रूप से किया गया अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. मामले में ब्लॉक प्रमुख को डॉक्टर से माफी मांगनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो चिकित्सक संघ आगे जो भी दिशा निर्देश देगा, उसी के हिसाब से उचित कदम उठाए जाएंगे.
वहीं, ब्लॉक प्रमुख दर्शन दानू (Block Head Darshan Danu) का कहना है कि प्रमुख क्षेत्र पंचायत की बैठकों में अध्यक्षता करने के साथ ही पंचायती राज अधिनियम की धारा 77 के अंतर्गत राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार रखता है. उनका आरोप है कि डॉ. शहजाद अली बीडीसी की किसी भी बैठक में नहीं आते हैं और दोपहर 2 बजे बाद अस्पताल के बजाए प्राइवेट क्लीनिक पर मरीजों का इलाज करते हैं.
उन्होंने डॉक्टर शहजाद अली पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि अगर इन डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की गई तो मजबूरन जनप्रतिनिधियों को सड़कों पर उतरने को बाध्य होना पड़ेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सभी जनप्रतिनिधि एक साथ इस्तीफा भी दे सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह को पत्र भेजकर विभागीय कार्रवाई की मांग भी की है.