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औषधीय गुणों से भरपुर है देवभूमि में मिलने वाला ये पेड़, चीन समेत कई देशों में भारी डिमांड

उत्तराखंड में औषधीय गुणों से भरपुर पेड़-पौधों का भंडार है. जिसका उपयोग कर इंसान कई तरह की बीमारियों से बच सकता है. ऐसे ही औषधीय गुणों का धनी एक पेड़ टेमरु है.

chamoli
टेमरु का पेड़
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Published : Jan 6, 2020, 3:21 PM IST

चमोली: देवभूमि में औषधीय पेड़-पौधो का भंडार है. जिसका उपयोग प्राचीनकाल से बीमारियों से लड़ने और शरीर को स्वस्थ रखने में किया जाता है. आज हम एक ऐसे ही औषधीय गुणों से भरपुर टेमरु पेड़ की बात करेंगे. जिसका उपयोग टूथपेस्ट बनाने से लेकर दांतों की बीमारियों के इलाज करने में भी किया जाता है.

पहाड़ी क्षेत्र में दातून के रुप में उपयोग होने वाला टेमरु औषधीय गुणों की खान है. इसका वैज्ञानिक नाम जैंथेजाइमल अरमेटम है. टेमरु का पेड़ 8 से 10 मीटर लंबा होता है, इसका हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपुर है. टेमरु से दातुन करने पर पायरिया रोग दूर हो जाता है, साथ ही दांतों से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी टेमरु के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है. चीन ,थाईलैंड, नेपाल,भूटान,और तिब्बत में भी टेमरु का उपयोग मसाले और दवा बनाने में किया जाता है.

टेमरु के पेड़ से हैं कई लाभ.

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टेमरु के बीजों से चटनी भी बनाई जाती है. इस चटनी को खाने से उदर रोग में लाभ मिलता है. टेमरु की लड़की को हथेली में रखकर दबाने से ब्लड प्रेशर की समस्या कम होती है. वहीं उत्तराखंड में टेमरु की लकड़ी का आध्यात्मिक कार्यों में भी महत्व है. साधु, महात्माओं के पास सहारे के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डंडा भी टेमरु का ही होता है. टेमरु की लकड़ी को देव स्थानों और मंदिरों में भी चढ़ाया जाता है.

चमोली: देवभूमि में औषधीय पेड़-पौधो का भंडार है. जिसका उपयोग प्राचीनकाल से बीमारियों से लड़ने और शरीर को स्वस्थ रखने में किया जाता है. आज हम एक ऐसे ही औषधीय गुणों से भरपुर टेमरु पेड़ की बात करेंगे. जिसका उपयोग टूथपेस्ट बनाने से लेकर दांतों की बीमारियों के इलाज करने में भी किया जाता है.

पहाड़ी क्षेत्र में दातून के रुप में उपयोग होने वाला टेमरु औषधीय गुणों की खान है. इसका वैज्ञानिक नाम जैंथेजाइमल अरमेटम है. टेमरु का पेड़ 8 से 10 मीटर लंबा होता है, इसका हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपुर है. टेमरु से दातुन करने पर पायरिया रोग दूर हो जाता है, साथ ही दांतों से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी टेमरु के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है. चीन ,थाईलैंड, नेपाल,भूटान,और तिब्बत में भी टेमरु का उपयोग मसाले और दवा बनाने में किया जाता है.

टेमरु के पेड़ से हैं कई लाभ.

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टेमरु के बीजों से चटनी भी बनाई जाती है. इस चटनी को खाने से उदर रोग में लाभ मिलता है. टेमरु की लड़की को हथेली में रखकर दबाने से ब्लड प्रेशर की समस्या कम होती है. वहीं उत्तराखंड में टेमरु की लकड़ी का आध्यात्मिक कार्यों में भी महत्व है. साधु, महात्माओं के पास सहारे के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डंडा भी टेमरु का ही होता है. टेमरु की लकड़ी को देव स्थानों और मंदिरों में भी चढ़ाया जाता है.

Intro:देवभूमि उत्तराखंड में पाई जाने वाली अनेको वनस्पतियों में से अधिकांश औषधीय गुणों से भरपूर है।बीते वक्त में इनमें से कई वनस्पतियों का उपयोग कई बीमारियों के ईलाज के लिए या बीमारियों से बचने के लिए किया जाता था।

इन्ही में से एक वनस्पति है टेमरु।जब टूथपेस्ट नही हुआ करता था तो टेमरु को उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाको में दातून के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।टेमरु का पेड अपने आप मे ओषधीय गुणों की खान है।

रेडी टू एयर पैकेज वार्प ऐप से भेजा है।


Body:उत्तराखंड के पहाडी इलाको में भारी मात्रा में टेमरु के पेड़ और पौधे पाए जाते है।टेमरु का पेड़ कंटीला होता है ।और इसका वैज्ञानिक नाम (जैंथेजाइलम अरमेटम )है।
दरअसल टेमरु का पेड़ 8 से 10 मीटर का होता है ,लेकिन टेमरु का हर अंग औषधीय गुणों से भरपूर है।

टेमरु की लकड़ी से दातुन करने से पायरिया रोग दूर हो जाता है ,साथ ही दांतो से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी टेमरु के दातुन इस्तेमाल करने से दूर भगाया जा सकता है।

चीन ,थाईलैंड, नेपाल,भूटान,और तिब्बत में भी टेमरु को मसाले,और दवा के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

बाईट--पंडित कृष्णा पांडेय-स्थानीय।


Conclusion:टेमरु के बीजों से चटनी भी बनाई जाती है ,टेमरु के बीजों से बनाई गई चटनी उदर रोग से पीड़ित व्यक्तियो के लिए लाभदायक बताई जाती है।टेमरु की लकड़ी हाईब्लड प्रेशर में भी लाभदायक है,इसकी कांटेदार लकड़ी को साफ करके हथेली में दबाया जाय तो ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।

उत्तराखंड में टेमरू की लकड़ी को आध्यात्मिक कार्यो में भी महत्व दिया गया है,साधु ,महात्माओ के पास सहारे के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डंडा भी टेमरु का ही होता है।टेमरु की लकड़ी को देव थानों और मंदिरों में भी चढ़ाया जाता है।
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