चमोली: देवभूमि में औषधीय पेड़-पौधो का भंडार है. जिसका उपयोग प्राचीनकाल से बीमारियों से लड़ने और शरीर को स्वस्थ रखने में किया जाता है. आज हम एक ऐसे ही औषधीय गुणों से भरपुर टेमरु पेड़ की बात करेंगे. जिसका उपयोग टूथपेस्ट बनाने से लेकर दांतों की बीमारियों के इलाज करने में भी किया जाता है.
पहाड़ी क्षेत्र में दातून के रुप में उपयोग होने वाला टेमरु औषधीय गुणों की खान है. इसका वैज्ञानिक नाम जैंथेजाइमल अरमेटम है. टेमरु का पेड़ 8 से 10 मीटर लंबा होता है, इसका हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपुर है. टेमरु से दातुन करने पर पायरिया रोग दूर हो जाता है, साथ ही दांतों से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी टेमरु के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है. चीन ,थाईलैंड, नेपाल,भूटान,और तिब्बत में भी टेमरु का उपयोग मसाले और दवा बनाने में किया जाता है.
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टेमरु के बीजों से चटनी भी बनाई जाती है. इस चटनी को खाने से उदर रोग में लाभ मिलता है. टेमरु की लड़की को हथेली में रखकर दबाने से ब्लड प्रेशर की समस्या कम होती है. वहीं उत्तराखंड में टेमरु की लकड़ी का आध्यात्मिक कार्यों में भी महत्व है. साधु, महात्माओं के पास सहारे के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डंडा भी टेमरु का ही होता है. टेमरु की लकड़ी को देव स्थानों और मंदिरों में भी चढ़ाया जाता है.