चमोली: जोशीमठ हादसे से जुड़ी हर छोटी-बड़ी अपडेट ईटीवी भारत लगातार आप तक पहुंचा रहा है. इसी क्रम में आपदा में घायल हुए पीड़ितों का हाल जानने के लिए हमारी टीम आईटीबीपी अस्पताल पहुंची. जहां भर्ती पीड़ितों ने आपदा को लेकर आंखों देखा हाल सुनाया, जिसको सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. सुनिये आपदा की कहानी, पीड़ितों की जुबानी.
दो मीटर ऊंचाई तक सुरंग में घुसा पानी
आंध्र प्रदेश से जोशीमठ काम करने आए श्रमिक श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि जब हम तपोवन बैराज टनल के अंदर काम कर रहे थे, तभी अचानक सुरंग के अंदर पानी आ घुसा. हमने देखा कि नदी में उफान आया हुआ है. देखते ही देखते सुरंग के अंदर दो मीटर के करीब ऊंचाई में पानी घुस आया. किसी तरह से हम लोहे को पकड़ ऊपर चढ़े. पानी का बहाव स्थिर होने पर हम धीरे-धीरे लोहे के सहारे 350 मीटर लंबी सुरंग से बाहर निकलने की कोशिश करते रहे.
मोबाइल की रोशनी ने बचाई जिंदगी
उन्होंने कहा कि सुरंग में चारों ओर अंधेरा था, साथी के मोबाइल की रोशनी के सहारे हम सुरंग से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे. जैसे- तैसे हम सुरंग के मुहाने के करीब पहुंचे. जिसके बाद मोबाइल में नेटवर्क आने से हमने आईटीबीपी से संपर्क किया, जिसके आधे घंटे बाद रेस्क्यू टीम वहां पहुंची और हमें सुरक्षित वहां निकाला गया.
ये भी पढ़ें: EXCLUSIVE: ड्रोन से टनल का जियोग्राफिकल मैपिंग कर रहा NDRF, मिलेगी जिंदा लोगों की जानकारी
साइट इंचार्ज वीरेंद्र ने बढ़ाया टीम का हौसला
वहीं, तपोवन बैराज साइट इंचार्ज वीरेंद्र कुमार गौतम ने बताया कि रविवार को सुबह 11 बजे के करीब अचानक बाढ़ आई. टनल के बाहर सेफ्टी टीम के लोग हमें बाहर निकलने को कहने लगे. मैं टनल में 20 मीटर आगे आया. तभी मैंने देखा की पानी का तेज बहाव अंदर आ रहा है. मैंने अपने साथियों से कहा कि आप घबराए नहीं. सभी लोग लोहे के सहारे ऊपर चढ़ने लगे. वहीं, टनल में 2 मीटर के करीब पानी चढ़ गया. जिसके कुछ समय बाद पानी का बहाव स्थिर होने लगा. मैंने सभी साथियों से कहा कि अब पानी स्थिर हो चुका है. अब घबराने की जरूरत नहीं है, हम सभी सुरक्षित यहां से निकलेंगे.
आईटीबीपी की मदद से सुरक्षित निकले श्रमिक
वीरेंद्र ने बताया कि पानी स्थिर होने के बाद हम टनल के ऊपर लगे सरियों के सहारे बाहर निकलने की कोशिश में जुट गए. कड़ी मशक्कत के बाद हम सुरंग के मुहाने तक पहुंचे. जब पानी टनल में घुसा तब हम लोगों को लगा कि शायद हमारी टीम नहीं बच पाएगी. वीरेंद्र ने कहा कि मैंने अपने लड़के के मोबाइल की रोशनी से सबको बाहर निकला. फिर मैंने प्रोजेक्ट निदेशक से बात की. जिसके बाद उन्होंने आईटीबीपी से संपर्क किया और 10 मिनट में टीम हमारे पास पहुंच गई और हमें वहां से सुरक्षित निकाला.