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17 मई को खुलेंगे चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के कपाट - रुद्रनाथ में चतुरानन के रूप में पशुपति नेपाल में पंचानन विग्रह

चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 17 मई को ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे.

केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के कपाट
केदार भगवान रुद्रनाथ धाम के कपाट
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Published : Feb 24, 2021, 6:55 PM IST

चमोली: पंच केदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट 17 मई को ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे. रुद्रनाथ गोपीनाथ मंदिर समिति की ओर से तिथि निर्धारित होने के साथ ही कपाट खोलने के तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.

मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट एवं मुख्य पुजारी धर्मेन्द्र तिवाड़ी ने बताया कि रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रियाएं शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर में 14 मई से शुरू हो जाएंगी. 14 मई को पूजा-अर्चना के बाद भगवान रुद्रनाथ के चल विग्रह को गर्भ गृह से निकालकर मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा. जिसके बाद दो दिन तक मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के बाद 16 मई को भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली उच्च हिमलाय में स्थित रुद्रनाथ मंदिर पहुंचेगी. जहां 17 मई को विधि विधान के साथ ब्रह्म मुहूर्त में ग्रीष्मकाल के लिए रुद्रनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिये खोल दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रा 2021 : 18 मई को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

रुद्रनाथ मंदिर की महिमा

चतुर्थ केदार के रूप में भगवान रुद्रनाथ विख्यात हैं. यह मंदिर समुद्र तल से 2,286 मीटर की ऊंचाई पर एक गुफा में स्थित है. बुग्यालों के बीच गुफा में भगवान शिव के मुखार विंद अर्थात चेहरे के दर्शन होते हैं. भारत में यह अकेला स्थान है, जहां भगवान शिव के चेहरे की पूजा होती है.

एकानन के रूप में रुद्रनाथ में, चतुरानन के रूप में पशुपति नेपाल में, पंचानन विग्रह के रूप में इंडोनेशिया में भगवान शिव के दर्शन होते हैं. रुद्रनाथ के लिए एक रास्ता उर्गम घाटी के दमुक गांव से गुजरता है. लेकिन ये मार्ग बेहद दुर्गम होने के कारण श्रद्धालुओं को यहां पहुंचने में दो दिन लग जाते हैं. इसलिए ज्यादातर श्रद्धालु गोपेश्वर के निकट सगर गांव से यहां के लिए यात्रा शुरू करते हैं. शीतकाल में रुद्रनाथ मंदिर के भी कपाट बंद रहते हैं. इस दौरान गोपेश्वर में भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है.

चमोली: पंच केदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट 17 मई को ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे. रुद्रनाथ गोपीनाथ मंदिर समिति की ओर से तिथि निर्धारित होने के साथ ही कपाट खोलने के तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.

मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट एवं मुख्य पुजारी धर्मेन्द्र तिवाड़ी ने बताया कि रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रियाएं शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर में 14 मई से शुरू हो जाएंगी. 14 मई को पूजा-अर्चना के बाद भगवान रुद्रनाथ के चल विग्रह को गर्भ गृह से निकालकर मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा. जिसके बाद दो दिन तक मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के बाद 16 मई को भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली उच्च हिमलाय में स्थित रुद्रनाथ मंदिर पहुंचेगी. जहां 17 मई को विधि विधान के साथ ब्रह्म मुहूर्त में ग्रीष्मकाल के लिए रुद्रनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिये खोल दिए जाएंगे.

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रुद्रनाथ मंदिर की महिमा

चतुर्थ केदार के रूप में भगवान रुद्रनाथ विख्यात हैं. यह मंदिर समुद्र तल से 2,286 मीटर की ऊंचाई पर एक गुफा में स्थित है. बुग्यालों के बीच गुफा में भगवान शिव के मुखार विंद अर्थात चेहरे के दर्शन होते हैं. भारत में यह अकेला स्थान है, जहां भगवान शिव के चेहरे की पूजा होती है.

एकानन के रूप में रुद्रनाथ में, चतुरानन के रूप में पशुपति नेपाल में, पंचानन विग्रह के रूप में इंडोनेशिया में भगवान शिव के दर्शन होते हैं. रुद्रनाथ के लिए एक रास्ता उर्गम घाटी के दमुक गांव से गुजरता है. लेकिन ये मार्ग बेहद दुर्गम होने के कारण श्रद्धालुओं को यहां पहुंचने में दो दिन लग जाते हैं. इसलिए ज्यादातर श्रद्धालु गोपेश्वर के निकट सगर गांव से यहां के लिए यात्रा शुरू करते हैं. शीतकाल में रुद्रनाथ मंदिर के भी कपाट बंद रहते हैं. इस दौरान गोपेश्वर में भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है.

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