उत्तरकाशी/चमोलीः उत्तराखंड में चारधाम श्राइन बोर्ड गठन को लेकर तीर्थ पुरोहितों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में अब तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है. जहां एक ओर गंगोत्री धाम मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सरकार के इस फैसले पर विरोध जताया है. वहीं, दूसरी ओर चमोली में भी चारधाम श्राइन बोर्ड के विरोध में पुरोहित समाज के लोगों ने ढोल दमाऊ के साथ जुलूस निकालकर अपना आक्रोश जाहिर किया.
शनिवार को गंगोत्री धाम मंदिर समिति के पदाधिकारियों द्वारा एक बैठक आहूत की गई थी. जिसमें वक्ताओं ने कहा कि सरकार और उसके पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज उनके हक-हकूकों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार अगर जल्द ही अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो पंडा समाज उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे. इस मौके पर गंगोत्री धाम मंदिर समिति के सहसचिव राजेश सेमवाल ने कहा कि काबीना मंत्री सतपाल महाराज स्वयं धर्म कर्म से जुड़े हुए व्यक्ति हैं. ऐसे में वह सरकार के इस फैसले पर कैसे हामी भर सकते हैं. उधर, इस बैठक में पहुंचे गंगोत्री विधायक ने तीर्थ पुरोहितों को विश्वास दिलाया कि वह इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाएंगे.
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वहीं, चमोली में भी चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर तीर्थ पुरोहितों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. उनका कहना है कि सरकार का श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम बोर्ड गठन करने का फैसला हक- हकूकधारियों के साथ धोखा है. ऐसे में सरकार के इस तुगलकी फरमान का पूरा पंडा समाज विरोध करता है. इस मौके पर संगठन महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि अगर पुरोहितों के हक हकूकों के साथ खिलवाड़ किया गया तो चारधाम व्यवस्थाओं पर बुरा असर पड़ेगा.
गौरतलब है कि 27 नवंबर को चारधाम परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष शिवप्रसाद ममगाईं के नेतृत्व में सरकार द्वारा एक बैठक बुलाई गई थी. जिसमें कोई सहमति नहीं बनी. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि आने वाले दिनों में एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. सरकार द्वारा श्राइन बोर्ड का फैसला वापस न लिए जाने पर आगमाी 1 दिसम्बर से सरकार के खिलाफ विशाल आंदोलन किया जाएगा. क्योंकि सरकार इस फैसले को थोपकर उनकी सदियों से चली आ रही पौराणिक पूजा पद्धति और रोजी-रोटी छीनने का काम कर रही है.