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जोशीमठ में प्रस्तावित हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का विरोध जारी, 46 दिनों से चल रहा है आंदोलन

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रस्तावित हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का पिछले कई दशकों से विरोध जारी है. जोशीमठ के नागरिक पिछले 46 दिनों से धरने पर बैठे हैं.

हेलंग मारवाडी
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Published : Oct 18, 2019, 12:14 PM IST

चमोलीः जोशीमठ विकासखंड में ऑल वेदर परियोजना के तहत कार्य चल रहा है. बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग मारवाड़ी बाईपास निर्माण प्रस्तावित है जिसका नागरिक विरोध कर रहे हैं. बाईपास के विरोध में नागरिक धरने पर बैठे हैं. धरने पर बैठे आंदोलनकारियों को आज 46 दिन पूरे हो चुके है. केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा मामले को लेकर सकारात्मक पहल न होने से जोशीमठ तहसील परिसर में गुरुवार को आंदोलनरत आंदोलनकारियों ने राज्य और केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का विरोध जारी.

बताते चलें कि बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण को लेकर पिछले कई दशकों से जोशीमठ के लोगों द्वारा विरोध किया जा चुका है. जिस कारण हेलंग मारवाड़ी बाईपास मार्ग का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है, लेकिन इस बार ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण भी प्रस्तावित है. जिसको लेकर जोशीमठ के स्थानीय लोगों सहित जनप्रतिनिधियों में खासी नाराजगी है. पिछले 46 दिनों से जोशीमठ के जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग तहसील परिसर में धरने पर भी बैठे है.

आखिर क्यों है बाईपास का विरोध
हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण को लेकर जोशीमठ के लोगों का कहना है कि बाईपास के निर्माण हो जाने से जोशीमठ के पौराणिक महत्व के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जाएगा, क्योंकि बाईपास का निर्माण जोशीमठ नगर के ठीक नीचे से होना है जोकि हेलंग से सीधे मारवाड़ी पुल पर जुड़ेगा और जोशीमठ से पूरी तरह यात्राकाल के दौरान बदरीनाथ और हेमकुंड जाने वाले तीर्थयात्रियों का भी संपर्क टूट जाएगा.

जिससे जोशीमठ के व्यापारियों सहित होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि जोशीमठ हेमकुंड और बदरीनाथ यात्रा का भी मुख्य पड़ाव है. साथ ही लोगों का कहना है कि जिस पहाड़ी को काटकर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण होना है, ठीक उसी पहाड़ी के ऊपर जोशीमठ नगर बसा हुआ है. साथ ही पूर्व में मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में जोशीमठ नगर क्षेत्र को भूस्खलन क्षेत्र में बताया गया है जिस कारणों से भी लोग हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण का विरोध कर रहे हैं.

तीर्थयात्रियों को होगा फायदा
दूसरी ओर यदि बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग से मारवाड़ी तक बाईपास का निर्माण होता है तो बदरीनाथ और हेमकुंड आने जाने वाले तीर्थयात्रियों को करीब 40 किलोमीटर तक का फायदा होगा, क्योंकि बाईपास निर्माण होने के बाद तीर्थयात्रियों को जोशीमठ से होकर मारवाड़ी पुल तक नहीं पहुंचना पड़ेगा. 40 किलोमीटर की दूरी बाईपास बनने से महज 4 से 5 किलोमीटर में पूरी हो जाएगी.

यह भी पढ़ेंः अल्मोड़ा में अब 23 अक्‍टूबर को होगी कैबिनेट की बैठक

बाईपास निर्माण के विरोध में आंदोलनकारियों के समर्थन में पहुंचे नगर पालिका अध्यक्ष जोशीमठ शैलेंद्र पंवार ने कहा कि आज आंदोलनकारियों को धरने पर बैठे 46 दिन बीत चुके हैं. जोशीमठ नगर से होते हुए ऑलवेदर सड़क के सर्वेक्षण को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक भी सर्वेक्षण का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि जल्द सर्वेक्षण का कार्य शुरू नहीं किया गया तो जोशीमठ की क्षेत्रीय जनता जल्द जनान्दोलन करेगी.

चमोलीः जोशीमठ विकासखंड में ऑल वेदर परियोजना के तहत कार्य चल रहा है. बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग मारवाड़ी बाईपास निर्माण प्रस्तावित है जिसका नागरिक विरोध कर रहे हैं. बाईपास के विरोध में नागरिक धरने पर बैठे हैं. धरने पर बैठे आंदोलनकारियों को आज 46 दिन पूरे हो चुके है. केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा मामले को लेकर सकारात्मक पहल न होने से जोशीमठ तहसील परिसर में गुरुवार को आंदोलनरत आंदोलनकारियों ने राज्य और केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का विरोध जारी.

बताते चलें कि बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण को लेकर पिछले कई दशकों से जोशीमठ के लोगों द्वारा विरोध किया जा चुका है. जिस कारण हेलंग मारवाड़ी बाईपास मार्ग का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है, लेकिन इस बार ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण भी प्रस्तावित है. जिसको लेकर जोशीमठ के स्थानीय लोगों सहित जनप्रतिनिधियों में खासी नाराजगी है. पिछले 46 दिनों से जोशीमठ के जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग तहसील परिसर में धरने पर भी बैठे है.

आखिर क्यों है बाईपास का विरोध
हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण को लेकर जोशीमठ के लोगों का कहना है कि बाईपास के निर्माण हो जाने से जोशीमठ के पौराणिक महत्व के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जाएगा, क्योंकि बाईपास का निर्माण जोशीमठ नगर के ठीक नीचे से होना है जोकि हेलंग से सीधे मारवाड़ी पुल पर जुड़ेगा और जोशीमठ से पूरी तरह यात्राकाल के दौरान बदरीनाथ और हेमकुंड जाने वाले तीर्थयात्रियों का भी संपर्क टूट जाएगा.

जिससे जोशीमठ के व्यापारियों सहित होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि जोशीमठ हेमकुंड और बदरीनाथ यात्रा का भी मुख्य पड़ाव है. साथ ही लोगों का कहना है कि जिस पहाड़ी को काटकर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण होना है, ठीक उसी पहाड़ी के ऊपर जोशीमठ नगर बसा हुआ है. साथ ही पूर्व में मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में जोशीमठ नगर क्षेत्र को भूस्खलन क्षेत्र में बताया गया है जिस कारणों से भी लोग हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण का विरोध कर रहे हैं.

तीर्थयात्रियों को होगा फायदा
दूसरी ओर यदि बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग से मारवाड़ी तक बाईपास का निर्माण होता है तो बदरीनाथ और हेमकुंड आने जाने वाले तीर्थयात्रियों को करीब 40 किलोमीटर तक का फायदा होगा, क्योंकि बाईपास निर्माण होने के बाद तीर्थयात्रियों को जोशीमठ से होकर मारवाड़ी पुल तक नहीं पहुंचना पड़ेगा. 40 किलोमीटर की दूरी बाईपास बनने से महज 4 से 5 किलोमीटर में पूरी हो जाएगी.

यह भी पढ़ेंः अल्मोड़ा में अब 23 अक्‍टूबर को होगी कैबिनेट की बैठक

बाईपास निर्माण के विरोध में आंदोलनकारियों के समर्थन में पहुंचे नगर पालिका अध्यक्ष जोशीमठ शैलेंद्र पंवार ने कहा कि आज आंदोलनकारियों को धरने पर बैठे 46 दिन बीत चुके हैं. जोशीमठ नगर से होते हुए ऑलवेदर सड़क के सर्वेक्षण को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक भी सर्वेक्षण का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि जल्द सर्वेक्षण का कार्य शुरू नहीं किया गया तो जोशीमठ की क्षेत्रीय जनता जल्द जनान्दोलन करेगी.

Intro:चमोली में स्थित जोशीमठ विकासखंड के लोगो मे ऑल वेदर परियोजना के तहत बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग मारवाडी बाईपास निर्माण को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है।सड़क के विरोध को लेकर धरने पर बैठे आंदोलनकारियों को आज 46 दिन पूरे हो चुके है।केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के द्वारा मामले को लेकर सकारात्मक पहल न होने से आज जोशीमठ तहसील परिसर में आंदोलनरत आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के खिलाप जमकर नारेबाजी की।

विस्वल बाईट मेल से भेजी हैं।


नोट---मोजो द्वारा भेजा गया विस्वल प्रतीकत्मक है ,इस विस्वल को खबर में मत लगाएगा।


Body:बताते चले कि बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग- मारवाडी बाईपास निर्माण के विरोध को लेकर पिछले कई दशकों से जोशीमठ के लोगो के द्वारा विरोध किया जा चुका है।जिस कारण हेलंग मारवाडी बाईपास मार्ग का निर्माण आज तक नही हो पाया है।लेक़िन इस बार ऑल वेदर रोड़ परियोजना के तहत हेलंग मारवाडी बाईपास का निर्माण भी प्रस्तावित है।जिसको लेकर जोशीमठ के स्थानीय लोगो सहित जनप्रतिनिधियों में खासी नाराजगी है।हेलंग मारवाडी बाईपास के विरोध को लेकर पिछले 46 दिनों से जोशीमठ के जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग तहसील परिसर में धरने पर भी बैठे है।


आखिर क्यो है बाईपास का विरोध.......

हेलंग मारवाडी बाईपास के निर्माण को लेकर जोशीमठ के स्थानीय लोगो का कहना है कि बाईपास के निर्माण हो जाने से जोशीमठ के पौराणिक महत्व के अस्तित्व पर संकट उतपन्न हो जाएगा।क्योकि हेलंग मारवाडी बाईपास का निर्माण जोशीमठ नगर के ठीक नीचे से होना है ,जोकि हेलंग से सीधे मारवाडी पुल पर जुड़ेगा,और जोशीमठ से पूरी तरह यात्राकाल के दौरान बदरीनाथ और हेमकुंड जाने वाले तीर्थयात्रियो का भी संपर्क टूट जाएगा।जिससे जोशीमठ के व्यापारियों सहित होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योकि जोशीमठ हेमकुण्ड और बदरीनाथ यात्रा का भी मुख्य पड़ाव है।

साथ ही लोगो का कहना है कि जिस पहाडी को काटकर हेलंग मारवाडी बाईपास का निर्माण होना है,ठीक उसी पहाडी के ऊपर जोशीमठ नगर बसा हुआ है,साथ ही पूर्व में मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में जोशीमठ नगर क्षेत्र को भूस्खलन क्षेत्र में बताया गया है,जिस कारणों से भी लोग हेलंग मारवाडी बाईपास निर्माण का विरोध कर रहे है।







Conclusion:हेलंग मारवाडी बाईपास निर्माण से तीर्थयात्रियो को फायदा....

अगर बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग से मारवाडी तक बाईपास सड़क का निर्माण होता है तो बदरीनाथ और हेमकुंड आनेजाने वाले तीर्थयात्रियो को करीब 40 किलोमीटर तक का फायदा होगा।क्योकि बाईपास निर्माण होने के बाद तीर्थयात्रियो को जोशीमठ से होकर मारवाडी पुल तक नही पहुंचना पड़ेगा।और 40 किलोमीटर की दूरी बाईपास बनने से महज 4 से 5 किलोमीटर में पूरी हो जाएगी।



हेलंग मारवाडी बाईपास निर्माण के विरोध में आज तहसील परिसर में आंदोलनकारियों के समर्थन में पहुंचे नगरपालिका अध्य्क्ष जोशीमठ शैलेंद्र पंवार ने कहा कि आज आंदोलनकारियों को धरने पर बैठे 46 दिन बीत चुके है।जोशीमठ नगर से होते हुए आलवेदर सड़क के सर्वेक्षण को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा आश्वासन दिया गया था,लेकिन अभी तक भी सर्वेक्षण का कार्य शुरू नही हो पाया है।उन्होंने कहा कि जल्द सर्वेक्षण का कार्य शुरू नही किया गया तो जोशीमठ की क्षेत्रीय जनता जल्द जनान्दोलन को तैयार है।

बाईट-शैलेन्द्र पंवार-नगरपालिका अध्य्क्ष जोशीमठ।
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