चमोली: विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में पॉलीगोनम नाम का एक फूल अन्य फूलों की प्रजाति के लिए खतरा बना हुआ है. धीरे-धीरे पॉलीगोनम घाटी पर अपना कब्जा जमा रहा है. बीते साल तक जहां इस झाड़ीनुमा फूल के पौधे की उपलब्धता घाटी में करीब 60 हेक्टेयर थी, वंही इस बार इसका दायरा बढ़कर 90 हेक्टेयर तक पहुंच गया है. जिससे घाटी में कई फूलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.
बता दें कि साल 2008 से नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की ओर से पालीगोनम को उखाड़ने का काम किया जा रहा है. बावजूद इसके पॉलीगोनम पर काबू नहीं किया जा सका है. 3.50 वर्ग मीटर में फैली फूलों की घाटी के करीब ढ़ाई किलोमीटर हिस्से में पॉलीगोनम नाम का फूल पांव पसार चुका है. सफेद रंग का यह झाड़ीनुमा फूल जहां भी उगता है उसके आसपास अन्य प्रजाति के फूल खिलने बंद हो जाते हैं. जिसके कारण यह फूल घाटी की जैव विविधता के लिए भी खतरा बना हुआ है.
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क्या है पॉलीगोनम
पॉलीगोनम फूलों की घाटी में उगने वाले 500 प्रजाति के फूलों में एक झाड़ी नुमा फूल है. पॉलीगोनम को अमेला अथवा नेटग्रास भी कहा जाता हैय ये फूल एक स्थान पर उगने के बाद धीरे-धीरे लंबे चौड़े क्षेत्र में फैल जाता है. यह पौधा अपने आसपास की वनस्पतियों को समाप्त कर देता है.
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फूलों की घाटी के संरक्षण का जिम्मा संभालने वाले नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के वन संरक्षक बीपी सिंह का कहना है कि हर साल वन विभाग घाटी से पॉलीगोनम को उखाड़ने के लिए मजदूर लगाता है. करीब 30 मजदूर इस साल भी इसे उखाड़ने में लगाए गए हैं. इस साल बारिश अधिक होने के कारण यह बढ़ गया है.
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उन्होंने बताया कि उच्च हिमालई क्षेत्रों के बुग्यालों में पॉलीगोनम सहित अन्य खरपतवारों का फैलाव अधिक होता है, जो जैव विविधता के लिए भी निश्चित रूप से खतरा है. फूलों की घाटी की बनावट और नमी पॉलीगोनम को पनपने में ज्यादा मददगार साबित होता है. जड़ से उखाड़ने से इसकी पैदावार काबू में आ जाएगी.