चमोली: सिद्धपीठ नंदाधाम कुरुड़ से विश्व प्रसिद्ध नंदा लोकजात यात्रा की शुरुआत हो गई है. नंदा देवी की डोलियों को हिमालय की ओर विदा करते वक्त ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा. ये लोकजात यात्रा वेदनी कुंड और बालपाटा में नंदा सप्तमी को संपन्न होगी. साथ ही कुरुड गांव में तीन दिवसीय मेले का भी विधिवत समापन हो गया है.
चमोली के नंदानगर विकासखंड स्थित सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर से मां नंदा देवी की डोली कैलाश के लिए विदा हुई. हर साल आयोजित होने वाली मां नंदा देवी लोकजात यात्रा की शुरुआत शनिवार को हुई. कई पड़ावों को पार करने के बाद मां नंदा की देव डोलियां 22 सितंबर को वेदनी कुंड और बालापाटा बुग्याल पहुंचेगी. मां नंदा की पूजा अर्चना के बाद नंदा देवी लोकजात यात्रा का समापन होगा. नंदा सप्तमी के दिन कैलाश में मां नंदा देवी की पूजा अर्चना के साथ लोकजात का विधिवत समापन होगा.
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जिसके बाद नंदा राजराजेश्वरी की देव डोली 6 माह के लिए अपने ननिहाल थराली के देवराड़ा में निवास करेगी. जबकि, नंदा देवी की डोली बालापाटा में लोकजात संपन्न होने के बाद सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर में ही श्रदालुओं को दर्शन देगी. बता दें 12 साल के अंतराल पर कुरुड़ मंदिर से ही नंदा देवी राजजात यात्रा का आयोजन होता है. जबकि, हर साल नंदादेवी लोकजात यात्रा का आयोजन किया जाता है. नंदा धाम कुरुड़ मां नंदा का मायका है.
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