चमोली: मां नंदा को विदा करने के लिए हर साल होने वाला नंदालोकजात यात्रा वेदनी बुग्याल और बालपाटा बुग्याल में विशेष पूजा-अर्चना के साथ संपन्न हो गई है. चमोली के विकासखंड घाट स्थित कुरुड़ गांव से प्रतिवर्ष निर्जन पड़ावों से होते हुए हिमालय क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी नंदादेवी लोकजात वेदनी बुग्याल और बालपाटा बुग्याल पहुंचती है.
बीते 12 अगस्त को सिद्धपीठ कुरुड़ से दशोली और बधाण की मां नंदा की डोलियों ने कैलाश के लिए प्रस्थान किया था. विभिन्न गांवों और निर्जन पड़ावों से होते हुए नंदा सप्तमी के पर्व पर बधाण की मां नंदा राजराजेश्वरी की डोली गैरोली पातल से होते हुए वेदनी बुग्याल पहुंची. यहां मां नंदा की डोली ने वेदनी कुंड की परिक्रमा की और इसके बाद मां नंदा की विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की गई. लोकजात यात्रा के साथ पहुंचे भक्तों ने मां नंदा से विश्व कल्याण की कामना की.
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करीब एक घंटे की पूजा-अर्चना के बाद मां नंदा को कैलाश विदा कर भक्तगण वापस लौट आए. वहीं, दशोली की मां नंदा रामणी गांव से विदा लेने के बाद बालपाटा बुग्याल पहुंची. बालपाटा बुग्याल में मां नंदा की पूजा अर्चना हुई. इधर, नरेला बुग्याल में बंड क्षेत्र की मां नंदा की छतोली की पूजा अर्चना हुई. चमोली डीएम स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध नंदालोकजात का आज शांतिपूर्ण ढंग से समापन हो गया है. इस दौरान 10 लोगों को डोली के साथ जाने की अनुमति दी गई थी.