चमोली: अभी तक 4 विदेशियों सहित 5 हजार सैलानी जिले के जोशीमठ ब्लॉक स्थित फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं. इन दिनों घाटी में फ्लावरिंग सीजन के चलते सैलानियों की चहल कदमी देखी जा सकती है. हालांकि घाटी में प्रवेश करने से पहले घांघरिया स्थित वन विभाग की चेकपोस्ट पर कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य है.
दरअसल, साल 2013 में आई आपदा के दौरान हेम गंगा में भी बाढ़ आई थी. इससे भ्यूंडार गांव के साथ ही पैदल पुल भी बह गया था. इस कारण हेमकुंड साहिब तक जाने के लिए तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को नदी पर बनाए गए लकड़ी के पुल से आवाजाही करनी पड़ रही थी. बीच-बीच में हेम गंगा का जलस्तर बढ़ने पर लकड़ी का पुल भी बह जाता था. लेकिन अब भ्यूंडार गांव के पास हेम गंगा पर 20.73 करोड़ रुपए की लागत से 135 मीटर लंबा स्टील गार्डर पुल बनकर तैयार हो गया है. यह क्षेत्र का सबसे लंबा गार्डर पुल है. इससे हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की राह अब आसान हो गई है.
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उधर, पर्यटकों के लिए 30 जून को फूलों की घाटी खोल दी गई थी. साथ ही पार्क प्रबंधन की ओर से कोरोना गाइडलाइन फॉलो करने के साथ-साथ ही कोरोना की निगेटिव टेस्ट के अलावा 3 तरह की रिपोर्ट में से किसी एक रिपोर्ट को दिखाना अनिवार्य किया गया था. वहीं, फूलों की घाटी खुलने के बाद से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से सैलानी तरह-तरह के फूलों का दीदार करने के लिए पहुंचने लगे थे. हालांकि वर्तमान में कई प्रजातियों के रंग बिरंगे फूल खिले हुए हैं, जो कि सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.
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वहीं, नंदादेवी वायोस्फियर के निदेशक अमित कंवर ने बताया कि अभी तक 4 विदेशी सहित 5 हजार सैलानी कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं. अगस्त और सितंबर का महीना फूलों की घाटी का दीदार के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है. उन्होंने बताया कि इन दिनों घाटी में 100 से अधिक प्रजातियों के फूल खिले हुए हैं. वर्तमान में फ्लावरिंग सीजन चल रहा है, जिसके चलते तरह-तरह के फूलों के खिलने का सिलसिला अभी भी जारी है.
पिछले साल फूलों को घाटी पर्यटकों के लिए 15 अगस्त को खोली गई थी. पिछले साल 942 देशी, विदेशी पर्यटकों ने फूलों की घाटी का दीदार किया था. लेकिन इस साल पिछले साल की तुलना में 45 दिन पहले घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई.
ऐसे पहुंचें फूलों की घाटी: फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट है. जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 किमी है. यहां से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है.
ये फूल हैं फूलों की घाटी की शान: नवम्बर से मई माह के मध्य घाटी सामान्यतः हिमाच्छादित रहती है. जुलाई एवं अगस्त माह के दौरान एल्पाइन जड़ी की छाल की पंखुडियों में रंग छिपे रहते हैं. यहां सामान्यतः पाये जाने वाले फूलों के पौधों में एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान इत्यादि प्रमुख हैं.
यूनेस्को ने घोषित किया राष्ट्रीय उद्यान: फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. इसे 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था. 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया. हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी हुई यह घाटी बेहद खूबसूरत है. यहां फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी