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आचार संहिता उल्लंघन पर DGP और वन मुखिया से जवाब तलब, IFS अफसरों को चुनाव ड्यूटी से दी राहत - UTTARAKHAND NIKAY CHUNAV 2025

उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने पुलिस और वन विभाग के मुखिया से जवाब तलब किया है. मामला आचार संहिता के उल्लंघन का है.

Uttarakhand Election Commission
उत्तराखंड निर्वाचन आयोग (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 11, 2025, 6:41 AM IST

देहरादून: राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव को लेकर वन विभाग के मुखिया से जवाब तलब किया है. मामला विभाग में 159 अभ्यर्थियों को वन आरक्षी पद पर नियुक्ति देने से जुड़ा है. जिन्हें एक दिन पहले ही नियुक्ति देने के साथ ही तैनाती भी दी गई है. पिछले लंबे समय से ये अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे. ये अभ्यर्थी वन आरक्षी प्रतीक्षा सूची के थे जिन्हें शासन की मंजूरी के बाद नियुक्ति दी गई. लेकिन अब राज्य निर्वाचन आयोग ने इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने पर प्रमुख वन संरक्षक हॉफ से जवाब तलब किया है.

दरअसल राज्य में निकाय चुनाव चल रहे हैं ऐसे में आचार संहिता के उल्लंघन के रूप में इस मामले पर निर्वाचन आयोग ने नियुक्ति दिए जाने के लिए जवाब मांगा है. उधर दूसरी तरफ राज्य निर्वाचन आयोग ने भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी से बाहर रखने से जुड़ा पत्र लिखा है, प्रमुख वन संरक्षक हॉफ को लिखे गए पत्र में राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का जिक्र करते हुए प्रदेश में आईएफएससी अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने की बात कही है. इस तरह राज्य में होने वाले निकाय चुनाव के दौरान आईएफएस अधिकारियों की चुनाव ड्यूटी को निरस्त किया गया है.

राज्य निर्वाचन आयोग ने पुलिस विभाग के मुखिया को भी आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में पत्र भेजा है. इसके अनुसार प्रदेश में पुलिस उपाधीक्षकों की पदोन्नति के बाद उन्हें तैनाती दिए जाने का जिक्र करते हुए पदोन्नति हुई 28 पुलिस अधिकारियों की जगह 46 पुलिस अधिकारियों के तबादले करने को आचार संहिता के उल्लंघन से जोड़ा गया है. इस पर राज्य निर्वाचन आयोग ने बाकी 18 पुलिस उपाधीक्षक के स्थानांतरण आदेश को स्थगित करने के भी निर्देश दिए हैं.
पढ़ें-निकाय चुनाव: कांग्रेस ने BJP पर लगाया आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप, निर्वाचन आयोग से की शिकायत

देहरादून: राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव को लेकर वन विभाग के मुखिया से जवाब तलब किया है. मामला विभाग में 159 अभ्यर्थियों को वन आरक्षी पद पर नियुक्ति देने से जुड़ा है. जिन्हें एक दिन पहले ही नियुक्ति देने के साथ ही तैनाती भी दी गई है. पिछले लंबे समय से ये अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे. ये अभ्यर्थी वन आरक्षी प्रतीक्षा सूची के थे जिन्हें शासन की मंजूरी के बाद नियुक्ति दी गई. लेकिन अब राज्य निर्वाचन आयोग ने इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने पर प्रमुख वन संरक्षक हॉफ से जवाब तलब किया है.

दरअसल राज्य में निकाय चुनाव चल रहे हैं ऐसे में आचार संहिता के उल्लंघन के रूप में इस मामले पर निर्वाचन आयोग ने नियुक्ति दिए जाने के लिए जवाब मांगा है. उधर दूसरी तरफ राज्य निर्वाचन आयोग ने भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी से बाहर रखने से जुड़ा पत्र लिखा है, प्रमुख वन संरक्षक हॉफ को लिखे गए पत्र में राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का जिक्र करते हुए प्रदेश में आईएफएससी अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने की बात कही है. इस तरह राज्य में होने वाले निकाय चुनाव के दौरान आईएफएस अधिकारियों की चुनाव ड्यूटी को निरस्त किया गया है.

राज्य निर्वाचन आयोग ने पुलिस विभाग के मुखिया को भी आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में पत्र भेजा है. इसके अनुसार प्रदेश में पुलिस उपाधीक्षकों की पदोन्नति के बाद उन्हें तैनाती दिए जाने का जिक्र करते हुए पदोन्नति हुई 28 पुलिस अधिकारियों की जगह 46 पुलिस अधिकारियों के तबादले करने को आचार संहिता के उल्लंघन से जोड़ा गया है. इस पर राज्य निर्वाचन आयोग ने बाकी 18 पुलिस उपाधीक्षक के स्थानांतरण आदेश को स्थगित करने के भी निर्देश दिए हैं.
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