ETV Bharat / state

कड़े अनुशासन का नतीजा, देश का अंतिम गांव माणा रहा कोरोना मुक्त - माणा गांव चमोली समाचार

एक ओर देश में कोरोना के आंकड़े हर रोज एक नया रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं. वहीं, देश के अंतिम गांव माणा में कोई भी कोरोना से अबतक संक्रमित नहीं हुआ है. यह गांव चमोली जिले में स्थित है.

corona free village in india
माणा गांव में नहीं आया कोरोना का कोई भी मामला.
author img

By

Published : Sep 8, 2020, 10:18 PM IST

Updated : Sep 8, 2020, 10:50 PM IST

चमोली: कोरोना संक्रमण को देखते हुए भले ही देशभर में अनलॉक-4 चल रहा है, लेकिन देश के अंतिम गांव माणा में आज भी लॉकडाउन है. ग्रामीण रोजमर्रा के कार्यों के लिए भी गांव से बाहर जाने में परहेज कर रहे हैं. माणा गांव में ग्रामीणों की सहमति पर मई माह से बाहरी लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई थी. यही वजह है कि गांव में रह रहे 150 परिवारों में से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं निकला है. हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि बदरीनाथ धाम की सीमित तीर्थयात्रा से जरूर उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.

माणा गांव बदरीनाथ धाम से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां भोटिया जनजाति के ग्रामीण निवास करते हैं. शीतकाल में ग्रामीण गोपेश्वर नगर के समीप घिंघराण में निवास करते हैं और ग्रीष्मकाल में अपने पैतृक गांव माणा लौट जाते हैं. कोरोना को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन घोषित किया गया. जब पहला अनलॉक हुआ तो माणा गांव के ग्रामीणों ने गांव को लॉकडाउन ही रखने का निर्णय लिया. जहां पूरे देश, राज्य और चमोली जनपद में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, माणा गांव पूरी तरह से सुरक्षित है और यहां कोरोना का कोई भी मामला सामने नहीं आया है.

यह भी पढ़ें -चमोली: भारत-चीन सीमा पर तनातनी, बाड़ाहोती बॉर्डर पहुंची प्रशासन की टीम

ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा का कहना है कि माणा गांव में आज भी लॉकडाउन है. किसी भी बाहरी व्यक्ति की गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है, जिस कारण गांव पूरी तरह से सुरक्षित है. वे बताते हैं कि ग्रामीणों ने राजमा, आलू, बंद गोभी और हरी सब्जी का उत्पादन किया है. बीते वर्षों तक बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा के दौरान तीर्थयात्री और पर्यटक माणा गांव से ही सब्जी व दाल की खरीदारी करते थे, साथ ही बदरीनाथ धाम में सब्जी की खपत हो जाती थी, लेकिन इस बार यात्रा सीमित होने से ग्रामीणों द्वारा उत्पादित सब्जी खेतों और घरों में सड़ रही है. जिसके चलते ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

वहीं, भारत चीन सीमा क्षेत्र में सेना की आवाजाही बाधित न हो ग्रामीणों ने इसके लिए गांव के पास ही बाईपास मार्ग निकाला है, जिससे गांव भी सुरक्षित रहे और सेना के जवान भी सीमा क्षेत्र में पहुंच जाएं. ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा का कहना है कि कई बार सेना के जवान बसुधारा व अन्य जगहों पर जाते हैं तो उनकी आवाजाही के लिए गांव के निचले हिस्से में वैकल्पिक रास्ता निकाला गया है.

चमोली: कोरोना संक्रमण को देखते हुए भले ही देशभर में अनलॉक-4 चल रहा है, लेकिन देश के अंतिम गांव माणा में आज भी लॉकडाउन है. ग्रामीण रोजमर्रा के कार्यों के लिए भी गांव से बाहर जाने में परहेज कर रहे हैं. माणा गांव में ग्रामीणों की सहमति पर मई माह से बाहरी लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई थी. यही वजह है कि गांव में रह रहे 150 परिवारों में से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं निकला है. हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि बदरीनाथ धाम की सीमित तीर्थयात्रा से जरूर उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.

माणा गांव बदरीनाथ धाम से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां भोटिया जनजाति के ग्रामीण निवास करते हैं. शीतकाल में ग्रामीण गोपेश्वर नगर के समीप घिंघराण में निवास करते हैं और ग्रीष्मकाल में अपने पैतृक गांव माणा लौट जाते हैं. कोरोना को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन घोषित किया गया. जब पहला अनलॉक हुआ तो माणा गांव के ग्रामीणों ने गांव को लॉकडाउन ही रखने का निर्णय लिया. जहां पूरे देश, राज्य और चमोली जनपद में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, माणा गांव पूरी तरह से सुरक्षित है और यहां कोरोना का कोई भी मामला सामने नहीं आया है.

यह भी पढ़ें -चमोली: भारत-चीन सीमा पर तनातनी, बाड़ाहोती बॉर्डर पहुंची प्रशासन की टीम

ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा का कहना है कि माणा गांव में आज भी लॉकडाउन है. किसी भी बाहरी व्यक्ति की गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है, जिस कारण गांव पूरी तरह से सुरक्षित है. वे बताते हैं कि ग्रामीणों ने राजमा, आलू, बंद गोभी और हरी सब्जी का उत्पादन किया है. बीते वर्षों तक बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा के दौरान तीर्थयात्री और पर्यटक माणा गांव से ही सब्जी व दाल की खरीदारी करते थे, साथ ही बदरीनाथ धाम में सब्जी की खपत हो जाती थी, लेकिन इस बार यात्रा सीमित होने से ग्रामीणों द्वारा उत्पादित सब्जी खेतों और घरों में सड़ रही है. जिसके चलते ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

वहीं, भारत चीन सीमा क्षेत्र में सेना की आवाजाही बाधित न हो ग्रामीणों ने इसके लिए गांव के पास ही बाईपास मार्ग निकाला है, जिससे गांव भी सुरक्षित रहे और सेना के जवान भी सीमा क्षेत्र में पहुंच जाएं. ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा का कहना है कि कई बार सेना के जवान बसुधारा व अन्य जगहों पर जाते हैं तो उनकी आवाजाही के लिए गांव के निचले हिस्से में वैकल्पिक रास्ता निकाला गया है.

Last Updated : Sep 8, 2020, 10:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.