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भारत-चीन सीमा के पास दरकी पहाड़ी, देखें ये हैरान कर देने वाला वीडियो

उत्तराखंड में कुदरत का कहर जारी है. चमोली जिले से भूस्खलन का एक खौफनाक वीडियो सामने आया है. ग्रामीणों ने भागकर अपनी जान बचाई है. डर के मारे लोग घरों में नहीं जा रहे हैं.

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Published : Aug 31, 2021, 8:11 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 8:36 PM IST

चमोली: जोशीमठ ब्लॉक में भारत-चीन सीमा पर स्थित सीमांत गांव जूग्जू के ऊपर ड्यूणी पहाड़ी पर मंगलवार को भूस्खलन हुआ. पहाड़ी के बड़े-बडे़ बोल्डर टूट कर नीचे गिरे. इसके बाद पूरे गांव में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. लोग जान बचाने के लिए अपने घरों को छोड़कर भाग गए. लैंडस्लाइड के बाद भी पहाड़ी से लगातार छोटे-छोटे पत्थर गिर रहे हैं.

चमोली में स्थिति नीती घाटी में लगातार भूस्खलन हो रहा है. भूस्खलन की वजह से कई गांव खतरे की जद में आ गए है. मंगलवार को जिस ड्यूणी पहाड़ी से भूस्खलन हुआ, उसके ठीक नीचे जुग्जू गांव है. इस गांव में 16 परिवार रहते है, जिनका मंगलवार को मौत से सामना हुआ.

भारत-चीन सीमा के पास दरकी पहाड़ी

पढ़ें- नेपाल में लैंडस्लाइड से काली नदी का प्रवाह रुका, झील बनने से भारत को बड़ा खतरा

ग्रामीणों ने बताया कि बीते कई सालों से ये पहाड़ी इसी तरह दरक रही है. जब भी पहाड़ी से पत्थर गिरते हैं, ग्रामीण भागकर अपनी जान बचाते हैं. पिछले दो दशकों से ग्रामीण इस तरह से खौफ के साए में जी रहे हैं. ग्रामीण 1994 से इस गांव के विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है. ग्रामीणों ने बताया कि यदि मंगलवार को थोड़ी सी देर हो जाती तो कई लोगों की जान जा सकती थी और एक बड़ा हादसा हो सकता था.

चमोली: जोशीमठ ब्लॉक में भारत-चीन सीमा पर स्थित सीमांत गांव जूग्जू के ऊपर ड्यूणी पहाड़ी पर मंगलवार को भूस्खलन हुआ. पहाड़ी के बड़े-बडे़ बोल्डर टूट कर नीचे गिरे. इसके बाद पूरे गांव में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. लोग जान बचाने के लिए अपने घरों को छोड़कर भाग गए. लैंडस्लाइड के बाद भी पहाड़ी से लगातार छोटे-छोटे पत्थर गिर रहे हैं.

चमोली में स्थिति नीती घाटी में लगातार भूस्खलन हो रहा है. भूस्खलन की वजह से कई गांव खतरे की जद में आ गए है. मंगलवार को जिस ड्यूणी पहाड़ी से भूस्खलन हुआ, उसके ठीक नीचे जुग्जू गांव है. इस गांव में 16 परिवार रहते है, जिनका मंगलवार को मौत से सामना हुआ.

भारत-चीन सीमा के पास दरकी पहाड़ी

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ग्रामीणों ने बताया कि बीते कई सालों से ये पहाड़ी इसी तरह दरक रही है. जब भी पहाड़ी से पत्थर गिरते हैं, ग्रामीण भागकर अपनी जान बचाते हैं. पिछले दो दशकों से ग्रामीण इस तरह से खौफ के साए में जी रहे हैं. ग्रामीण 1994 से इस गांव के विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है. ग्रामीणों ने बताया कि यदि मंगलवार को थोड़ी सी देर हो जाती तो कई लोगों की जान जा सकती थी और एक बड़ा हादसा हो सकता था.

Last Updated : Aug 31, 2021, 8:36 PM IST
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