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उत्तराखंड का अनोखा मंदिर, यहां आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं पुजारी

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Published : Apr 26, 2021, 6:14 PM IST

Updated : Apr 26, 2021, 10:30 PM IST

उत्तराखंड अपने अद्भुत मंदिरों के लिए विख्यात है. राज्य के चमोली जिले में स्थित लाटू देवता के मंदिर में पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं.

Tharali
लाटू देवता के मंदिर पहुंचे कैबिनेट मंत्री

थराली: सोमवार को चमोली जिले के देवाल विकासखंड के वाण गांव में स्थित सिद्ध पीठ लाटू देवता मंदिर के कपाट 6 महीने के लिए खोल दिए गए हैं. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. पौराणिक लाटू देवता मंदिर अपनी कुछ खास मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां के कपाट पूजा-अर्चना के लिए सिर्फ 6 महीने के लिए खुलते हैं. इसके अलावा इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य भी हैं. यहां पूजा करने वाले पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना करते हैं.

इस मंदिर में आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं पुजारी.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज कपाटोद्घाटन में पहुंचे. उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. लाटू मंदिर के पुजारियों की ओर से सिद्ध पीठ के कपाट खोलने से पूर्व यज्ञ हवन की प्रक्रिया की गई. वहीं, लोहाजंग स्थित हेलीपैड पर प्रदेश के पर्यटन पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का चौपर उतरा. जिसके बाद वो लोहाजंग से करीब 10 किलोमीटर सड़क से वाहन के जरिए लाटू धाम वाण पहुंचे. इस दौरान मंदिर के मुख्य पुजारी खीम सिंह ने आंखों में पट्टी बांध कर रहस्यमयी गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना की. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री महाराज ने यहां पर करीब पौने दो घंटे तक पूजा-अर्चना कर देश एवं राज्य के विकास और खुशहाली की प्रार्थना की.

मुख्य पुजारी आंखों पर पट्टी बांध करते हैं पूजा

ग्रामीणों की मानें तो पुजारी को छोड़कर और किसी को भी मंदिर की परिधि से 50 मीटर अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है. पुजारी भी पौराणिक नियमों के तहत आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा करते हैं. आज तक किसी को यह तक नहीं पता है कि मंदिर के अंदर लाटू देवता किस रूप में विराजमान हैं. कहा तो यह भी जाता है कि अगर कोई मंदिर के अंदर जाने का प्रयास करता है तो वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता है और दूसरे लोगों को कुछ बताने लायक नहीं रह जाता.

ये भी पढ़ें: कुंभ के आखिरी शाही स्नान के लिए ये रहेगा अखाड़ों का क्रम

स्थानीय धर्मिक मान्यताओं के तहत लाटू देवता मां नंदा राजराजेश्वरी के धर्म भाई हैं, जो मां नंदा को अतिप्रिय हैं. मां नंदा की 12 सालों में आयोजित होने वाली राजजात में लाटू देवता वाण गांव से आगे निर्जन पड़ावों में मां नंदा की अगुवाई करते हैं. साथ ही प्रतिवर्ष आयोजित लोकजात के दौरान भी लाटू देवता का निशान वेदनी कुंड तक मां नंदा के आगे-आगे चलता है. लाटू देवता मां नंदा को अतिप्रिय होने के चलते ग्रामीण लाटू देवता की प्रतिवर्ष विशेष पूजा करते हैं.

ये भी पढ़ें: 13 अखाड़ों के साधु-संत करेंगे प्रतीकात्मक शाही स्नान, पुलिस प्रशासन ने कसी कमर

वहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा जनप्रतिनिधियों की ओर से थराली से वाण मोटरमार्ग के चौड़ीकरण और डामरीकरण की बात केंद्र सरकार और सड़क परिवहन मंत्री से मिलकर करेंगे. उन्होंने कहा कि बुग्यालों में पर्यटन की अपार संभावना हैं, जिसको देखते हुए बुग्यालों को कुछ शर्तों के साथ पर्यटन के लिए खुलवाने के लिए वो प्रयास करेंगे, ताकि पर्यटन के साथ-साथ बुग्यालों को भी नुकसान न हो.

थराली: सोमवार को चमोली जिले के देवाल विकासखंड के वाण गांव में स्थित सिद्ध पीठ लाटू देवता मंदिर के कपाट 6 महीने के लिए खोल दिए गए हैं. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. पौराणिक लाटू देवता मंदिर अपनी कुछ खास मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां के कपाट पूजा-अर्चना के लिए सिर्फ 6 महीने के लिए खुलते हैं. इसके अलावा इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य भी हैं. यहां पूजा करने वाले पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना करते हैं.

इस मंदिर में आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं पुजारी.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज कपाटोद्घाटन में पहुंचे. उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. लाटू मंदिर के पुजारियों की ओर से सिद्ध पीठ के कपाट खोलने से पूर्व यज्ञ हवन की प्रक्रिया की गई. वहीं, लोहाजंग स्थित हेलीपैड पर प्रदेश के पर्यटन पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का चौपर उतरा. जिसके बाद वो लोहाजंग से करीब 10 किलोमीटर सड़क से वाहन के जरिए लाटू धाम वाण पहुंचे. इस दौरान मंदिर के मुख्य पुजारी खीम सिंह ने आंखों में पट्टी बांध कर रहस्यमयी गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना की. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री महाराज ने यहां पर करीब पौने दो घंटे तक पूजा-अर्चना कर देश एवं राज्य के विकास और खुशहाली की प्रार्थना की.

मुख्य पुजारी आंखों पर पट्टी बांध करते हैं पूजा

ग्रामीणों की मानें तो पुजारी को छोड़कर और किसी को भी मंदिर की परिधि से 50 मीटर अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है. पुजारी भी पौराणिक नियमों के तहत आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा करते हैं. आज तक किसी को यह तक नहीं पता है कि मंदिर के अंदर लाटू देवता किस रूप में विराजमान हैं. कहा तो यह भी जाता है कि अगर कोई मंदिर के अंदर जाने का प्रयास करता है तो वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता है और दूसरे लोगों को कुछ बताने लायक नहीं रह जाता.

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स्थानीय धर्मिक मान्यताओं के तहत लाटू देवता मां नंदा राजराजेश्वरी के धर्म भाई हैं, जो मां नंदा को अतिप्रिय हैं. मां नंदा की 12 सालों में आयोजित होने वाली राजजात में लाटू देवता वाण गांव से आगे निर्जन पड़ावों में मां नंदा की अगुवाई करते हैं. साथ ही प्रतिवर्ष आयोजित लोकजात के दौरान भी लाटू देवता का निशान वेदनी कुंड तक मां नंदा के आगे-आगे चलता है. लाटू देवता मां नंदा को अतिप्रिय होने के चलते ग्रामीण लाटू देवता की प्रतिवर्ष विशेष पूजा करते हैं.

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वहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा जनप्रतिनिधियों की ओर से थराली से वाण मोटरमार्ग के चौड़ीकरण और डामरीकरण की बात केंद्र सरकार और सड़क परिवहन मंत्री से मिलकर करेंगे. उन्होंने कहा कि बुग्यालों में पर्यटन की अपार संभावना हैं, जिसको देखते हुए बुग्यालों को कुछ शर्तों के साथ पर्यटन के लिए खुलवाने के लिए वो प्रयास करेंगे, ताकि पर्यटन के साथ-साथ बुग्यालों को भी नुकसान न हो.

Last Updated : Apr 26, 2021, 10:30 PM IST
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