चमोली: ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए सतोपंथ ट्रैकिंग रूट खुल चुका है. वहीं इस वर्ष का पहला दल 9 जून को माणा से सतोपंथ की यात्रा शुरू कर सतोपंथ झील पहुंचा. सतोपंथ में भारत का झंडा फहराने के बाद दल 13 जून को सकुशल वापस जोशीमठ लौट आया. इस दल से पूर्व भी कई दल सतोपंथ ट्रैकिंग के लिए निकले थे. लेकिन रास्तें में अधिक बर्फ और ग्लेशियरों के टूटने से ट्रैकर लक्ष्मीवन और चक्रतीर्थ से आगे नहीं जा पाए. जिसके चलते स्थानीय युवकों का यह दल साल 2019 में सतोपंथ की यात्रा करने वाला पहला दल बन गया है.
बता दें कि सतोपंथ पैदल ट्रैक समुद्रतल से 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. सतोपंथ के पैदल ट्रैक की दूरी माणा गांव से 19 किलोमीटर है. यहां पहुंचने के लिए दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. सतोपंथ अपनी खूबसूरती के लिए विश्वभर में विख्यात है. जिसे देखने के लिए ट्रैकिंग के शौकीन लोग सतोपंथ झील का दीदार करने सतोपंथ पहुंचते हैं.
सतोपंथ की यात्रा पर गए स्थानीय युवा हर्षवर्धन ने बताया कि लक्ष्मीवन से आगे का रास्ता ग्लेशियरों के बीच से होकर जाता है. जहां बर्फ में चलते हुए जाना जोखिम में रहती है. साथ ही बताया कि सतोपंथ में तापमान माइनस में रहता है. जिसके चलते मौसम खराब होते ही बर्फ गिरना शुरू हो जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पांडव भी सतोपंथ के रास्ते स्वर्गारोहिणी पहुंचे थे. सतोपंथ से ही धर्मराज युधिष्ठिर ने स्वर्गलोक के लिए प्रस्थान किया था. साथ ही यह भी कहा जाता है कि ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश ने सतोपंथ झील के कोनों पर तपस्या की थी.
जिसके चलते सतोपंथ झील का आकार तिकोना है. हालांकि इन दिनों सतोपंथ झील पूरी बर्फ से जमी हुई है. लेकिन सितम्बर माह में सतोपंथ झील का पानी गहरे नीले रंग का रहता है. जो पर्यटकों को झील की ओर आकर्षित करता है.