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IIT रुड़की के वैज्ञानिक करेंगे जोशीमठ की मिट्टी और पत्थर की जांच, खतरे का कारण जानेंगे

चमोली जिले के जोशीमठ पर खतरा मंडरा रहा है. यहां लगातार भूस्खलन हो रहा है. जोशीमठ के घरों में दरारें भी पड़ रही हैं. विभिन्न विशेषज्ञ इसकी जांच कर रहे हैं. आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक जोशीमठ की मिट्टी और पत्थरों की जांच करके इस आ रहे खतरे का कारण पता लगाएंगे.

Joshimath News
जोशीमठ समाचार
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Published : Sep 1, 2022, 7:39 AM IST

Updated : Sep 1, 2022, 7:23 PM IST

रुड़की: उत्तराखंड के जोशीमठ में मकानों में आ रही दरारों के कारणों का पता आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों द्वारा लगाया जाएगा. आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों का कहना है कि ड्रेनेज सिस्टम का प्रबंधन उचित नहीं होना भी दरारों का कारण हो सकता है. दरअसल उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में कई घरों में दरारें आ रही हैं.

इसको लेकर आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र का निरीक्षण भी किया है. वहीं अब जोशीमठ क्षेत्र के पहाड़ों की मिट्टी और पत्थरों की जांच आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक भू-तकनीकी माध्यम से करेंगे. ताकि यह जानकारी मिल सके कि घरों में दरारों की मुख्य वजह क्या हो सकती है. साथ ही भूकंप के कम्पन और पानी के रिसाव से पड़ने वाले प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा.
ये भी पढ़ें: तो क्या इतिहास बन जाएगा उत्तराखंड का जोशीमठ, अस्तित्व बचाने में जुटे वैज्ञानिक

वहीं इस मामले में आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक प्रोफेसर बीके महेश्वरी का कहना है कि साल 2021 में भारी बारिश हुई थी. फरवरी में ग्लेशियर टूटने की घटना के कारण भी मकानों में दरार आने की संभावना हो सकती है. उन्होंने कहा कि कुछ जियोलॉजिकल इश्यू हैं. उन सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है. उसके बाद ही सही कारणों का पता चल पाएगा.

जोशीमठ में क्या हुआ है? जोशीमठ शहर में भू-धंसाव हो रहा है. इसको लेकर उत्तराखंड शासन को पत्र लिखा गया है. प्रशासन के इस पत्र पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेते हुए अपर सचिव आपदा प्रबंधन जितेंद्र कुमार सोनकर की अध्यक्षता में एक टेक्निकल टीम गठित की थी. यह टीम अब जोशीमठ पहुंची थी.

जिलाधिकारी चमोली की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू धंसाव के बाद शासन ने एक उच्चस्तरीय टीम से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए लिए गठित की थी. 17 अगस्त से विभिन्न क्षेत्रों से आये सर्वेक्षण के लिए वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ पहुंची और सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया. टीम ने 17 अगस्त को मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग जाकर अलकनंदा नदी के कटाव वाले क्षेत्र को देखा. इसके बाद गांधीनगर, एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया. इस टेक्निकल टीम में IIT रुड़की, ISRO, GSI, सर्वे ऑफ इंडिया (survey of india) और आपदा प्रबंधन के अधिकारी टीम में शामिल हैं. यह टीम 20 अगस्त को जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करके वापस लौटी.
ये भी पढ़ें: तो इसलिए जोशीमठ में हो रहा भू धंसाव, वैज्ञानिकों ने बताई वजह

रुड़की: उत्तराखंड के जोशीमठ में मकानों में आ रही दरारों के कारणों का पता आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों द्वारा लगाया जाएगा. आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों का कहना है कि ड्रेनेज सिस्टम का प्रबंधन उचित नहीं होना भी दरारों का कारण हो सकता है. दरअसल उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में कई घरों में दरारें आ रही हैं.

इसको लेकर आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र का निरीक्षण भी किया है. वहीं अब जोशीमठ क्षेत्र के पहाड़ों की मिट्टी और पत्थरों की जांच आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक भू-तकनीकी माध्यम से करेंगे. ताकि यह जानकारी मिल सके कि घरों में दरारों की मुख्य वजह क्या हो सकती है. साथ ही भूकंप के कम्पन और पानी के रिसाव से पड़ने वाले प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा.
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वहीं इस मामले में आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक प्रोफेसर बीके महेश्वरी का कहना है कि साल 2021 में भारी बारिश हुई थी. फरवरी में ग्लेशियर टूटने की घटना के कारण भी मकानों में दरार आने की संभावना हो सकती है. उन्होंने कहा कि कुछ जियोलॉजिकल इश्यू हैं. उन सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है. उसके बाद ही सही कारणों का पता चल पाएगा.

जोशीमठ में क्या हुआ है? जोशीमठ शहर में भू-धंसाव हो रहा है. इसको लेकर उत्तराखंड शासन को पत्र लिखा गया है. प्रशासन के इस पत्र पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेते हुए अपर सचिव आपदा प्रबंधन जितेंद्र कुमार सोनकर की अध्यक्षता में एक टेक्निकल टीम गठित की थी. यह टीम अब जोशीमठ पहुंची थी.

जिलाधिकारी चमोली की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू धंसाव के बाद शासन ने एक उच्चस्तरीय टीम से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए लिए गठित की थी. 17 अगस्त से विभिन्न क्षेत्रों से आये सर्वेक्षण के लिए वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ पहुंची और सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया. टीम ने 17 अगस्त को मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग जाकर अलकनंदा नदी के कटाव वाले क्षेत्र को देखा. इसके बाद गांधीनगर, एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया. इस टेक्निकल टीम में IIT रुड़की, ISRO, GSI, सर्वे ऑफ इंडिया (survey of india) और आपदा प्रबंधन के अधिकारी टीम में शामिल हैं. यह टीम 20 अगस्त को जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करके वापस लौटी.
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Last Updated : Sep 1, 2022, 7:23 PM IST
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