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हरेला पर त्रिवेंद्र का एक लाख पौधे रोपने का संकल्प, चमोली से की शुरुआत - Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat planted saplings in Chamoli

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली में पौधारोपण किया. इस मौके पर उन्होंने एक लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया.

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हरेला पर त्रिवेंद्र रावत ने किया एक लाख पेड़ लगाने का संकल्प
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Published : Jul 17, 2021, 7:50 PM IST

चमोली: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरेला पर्व पर जनपद चमोली के चार दिवसीय भ्रमण पर हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने हरेला पर्व पर पूरे राज्य में एक लाख पीपल, वट और बरगद के पेड़ लगाने का संकल्प लिया है. जिसमें से 11 हजार पेड़ उनके द्वारा चमोली जनपद में लगाए जा रहे हैं.

अपने भ्रमण के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने गौचर से इस अभियान की शुरुआत की. उन्होंने ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण, गैरसैंण तक पीपल, वट एवं बरगद के पेड़ लगाये. वहीं, दूसरे दिन कर्णप्रयाग, सोनला, बिरही, पाखी तथा कल्पेश्वर में वृहद स्तर पर पौधारोपण किया.

पढ़ें- उत्तराखंड में केजरीवाल को सुंदरलाल बहुगुणा का सहारा, PM को चिट्ठी लिख मांगा भारत रत्न

इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि धरती पर जीवन बनाए रखने के लिए प्राण वायु के रूप में ऑक्सीजन सबसे जरूरी है. पीपल व बरगद के वृक्ष हमें 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं. इन पौधों का धार्मिक महत्व भी है. व्यवसायिक महत्व के न होने से धीरे-धीरे इन पौधों के रोपण को लेकर लोगों की रुचि कम होती जा रही है. औषधीय गुणों से भरपूर पीपल व बरगद के पौधे लगाने के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है.

पढ़ें- CM धामी के साथ पत्नी गीता ने भी संभाला मोर्चा, किया सड़क निर्माण कार्य का शिलान्यास

शहरों में लगातार हो रहे निर्माण के चलते सामान्य श्रेणी के पेड़-पौधे भी तेजी से समाप्त हुए हैं, लेकिन पीपल व बरगद के पेड़ दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं. गांवों में भी इनकी संख्या अत्यंत सीमित हो गई है. बरगद के फल, दूध, पत्ते व छाल में भी औषधीय गुण होते हैं. पर्यावरण को शुद्ध रखने के साथ स्वच्छ हवा की जरूरत को पूरा करने के लिए पीपल व बरगद के पौधों के रोपण की जरूरत है.

चमोली: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरेला पर्व पर जनपद चमोली के चार दिवसीय भ्रमण पर हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने हरेला पर्व पर पूरे राज्य में एक लाख पीपल, वट और बरगद के पेड़ लगाने का संकल्प लिया है. जिसमें से 11 हजार पेड़ उनके द्वारा चमोली जनपद में लगाए जा रहे हैं.

अपने भ्रमण के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने गौचर से इस अभियान की शुरुआत की. उन्होंने ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण, गैरसैंण तक पीपल, वट एवं बरगद के पेड़ लगाये. वहीं, दूसरे दिन कर्णप्रयाग, सोनला, बिरही, पाखी तथा कल्पेश्वर में वृहद स्तर पर पौधारोपण किया.

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इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि धरती पर जीवन बनाए रखने के लिए प्राण वायु के रूप में ऑक्सीजन सबसे जरूरी है. पीपल व बरगद के वृक्ष हमें 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं. इन पौधों का धार्मिक महत्व भी है. व्यवसायिक महत्व के न होने से धीरे-धीरे इन पौधों के रोपण को लेकर लोगों की रुचि कम होती जा रही है. औषधीय गुणों से भरपूर पीपल व बरगद के पौधे लगाने के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है.

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शहरों में लगातार हो रहे निर्माण के चलते सामान्य श्रेणी के पेड़-पौधे भी तेजी से समाप्त हुए हैं, लेकिन पीपल व बरगद के पेड़ दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं. गांवों में भी इनकी संख्या अत्यंत सीमित हो गई है. बरगद के फल, दूध, पत्ते व छाल में भी औषधीय गुण होते हैं. पर्यावरण को शुद्ध रखने के साथ स्वच्छ हवा की जरूरत को पूरा करने के लिए पीपल व बरगद के पौधों के रोपण की जरूरत है.

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