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काश्तकारों के लिए संजीवनी साबित हो रही मशरूम की खेती, चमोली में मोटा मुनाफा कमा रहे किसान - Mushroom production in Chamoli

Mushroom production in Chamoli चमोली में काश्तकार मशरूम की खेती करके अपनी आजीविका सुधार रहे हैं. काश्तकारों के अनुसार तीन माह में उन्होंने करीब 1300 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर तीन लाख से अधिक की आय अर्जित की है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 12, 2024, 10:26 PM IST

चमोली: जनपद में उद्यान विभाग की ओर से जिला योजना के जरिए मशरूम का उत्पादन काश्तकारों के लिए वरदान साबित हो रहा है. जिले में विभाग की ओर से 37 काश्तकारों और सात महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. काश्तकारों के अनुसार तीन माह में उन्होंने करीब 1300 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर तीन लाख से अधिक की आय अर्जित की है.

13 सौ किलोग्राम मशरूम का हुआ विपणन: जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि बीते अक्टूबर में जिला योजना से 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर 37 काश्तकारों और सात महिला समूहों को 130 क्विंटल खाद और बीज उपलब्ध करवाया गया. जिसके बाद काश्तकारों को मशरूम उत्पादन का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया. उन्होंने बताया कि वर्तमान तक योजना के अनुसार कार्य कर रहे काश्तकार करीब 13 सौ किलोग्राम मशरूम का विपणन कर तीन लाख से अधिक की आय अर्जित कर चुके हैं.

Mushroom production in Chamoli
चमोली में मशरूम उत्पादन काश्तकारों के लिए वरदान

क्या कहते हैं काश्तकार: गोपेश्वर के नैग्वाड़ क्षेत्र में महिला समूह की सदस्य नंदी राणा ने बताया कि विभागीय योजना का लाभ लेते हुए मशरूम का उत्पादन किया है. जिससे समूह ने 30 हजार की शुद्ध आय अर्जित की है. वहीं, रौली गांव की लक्ष्मी देवी का कहना है कि मशरूम की खेती कम मेहनत में बेहतर व्यापार लाभ देने वाली फसल है. उन्होंने बताया कि अक्टूबर से वर्तमान तक वह करीब 40 हजार रुपये के मशरूम का विपणन कर चुकी हैं.

Mushroom production in Chamoli
काश्तकार मशरूम की खेती करके तीन लाख से अधिक आय कर चुके अर्जित
ये भी पढ़ें: टिहरी में मशरूम खाने से महिला सहित 8 मजदूरों की बिगड़ी तबीयत, सभी अस्पताल में भर्ती

कैसे की जाती है मशरूम की खेती: मशरूम की खेती के लिए ठंडे कमरे के साथ ही स्टैंड की जरुरत होती है. जिसमें बैग तैयार कर उसमें बीज डालकर सुगमता से मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. मशरूम उत्पादन के लिए धूप और ऊष्मा की आवश्यकता नहीं होती.

ये भी पढ़ें: नियमित तौर पर मशरूम खाने वाले कम होते हैं अवसाद के शिकार

चमोली: जनपद में उद्यान विभाग की ओर से जिला योजना के जरिए मशरूम का उत्पादन काश्तकारों के लिए वरदान साबित हो रहा है. जिले में विभाग की ओर से 37 काश्तकारों और सात महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. काश्तकारों के अनुसार तीन माह में उन्होंने करीब 1300 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर तीन लाख से अधिक की आय अर्जित की है.

13 सौ किलोग्राम मशरूम का हुआ विपणन: जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि बीते अक्टूबर में जिला योजना से 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर 37 काश्तकारों और सात महिला समूहों को 130 क्विंटल खाद और बीज उपलब्ध करवाया गया. जिसके बाद काश्तकारों को मशरूम उत्पादन का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया. उन्होंने बताया कि वर्तमान तक योजना के अनुसार कार्य कर रहे काश्तकार करीब 13 सौ किलोग्राम मशरूम का विपणन कर तीन लाख से अधिक की आय अर्जित कर चुके हैं.

Mushroom production in Chamoli
चमोली में मशरूम उत्पादन काश्तकारों के लिए वरदान

क्या कहते हैं काश्तकार: गोपेश्वर के नैग्वाड़ क्षेत्र में महिला समूह की सदस्य नंदी राणा ने बताया कि विभागीय योजना का लाभ लेते हुए मशरूम का उत्पादन किया है. जिससे समूह ने 30 हजार की शुद्ध आय अर्जित की है. वहीं, रौली गांव की लक्ष्मी देवी का कहना है कि मशरूम की खेती कम मेहनत में बेहतर व्यापार लाभ देने वाली फसल है. उन्होंने बताया कि अक्टूबर से वर्तमान तक वह करीब 40 हजार रुपये के मशरूम का विपणन कर चुकी हैं.

Mushroom production in Chamoli
काश्तकार मशरूम की खेती करके तीन लाख से अधिक आय कर चुके अर्जित
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कैसे की जाती है मशरूम की खेती: मशरूम की खेती के लिए ठंडे कमरे के साथ ही स्टैंड की जरुरत होती है. जिसमें बैग तैयार कर उसमें बीज डालकर सुगमता से मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. मशरूम उत्पादन के लिए धूप और ऊष्मा की आवश्यकता नहीं होती.

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