थराली: चमोली जिले के थराली स्थित कुलसारी क्षेत्र में एक पर्यावरण प्रेमी ने श्मशान घाट को हरा-भरा रखने का बीड़ा उठाया है. ये कार्य वो पिछले 3 सालों से करते आ रहे हैं ताकि पर्यावरण को सहेजा जा सके और दूसरी ओर नदी के किनारे की भूमि को भू-कटाव से रोका जा सके.
कुलसारी के नेल ढालू क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमी महिपाल सिंह रावत ने बताया कि उनकी धर्मपत्नी अम्बि देवी रावत का निधन 3 साल पहले हो गया था. पत्नी का अंतिम संस्कार पिण्डर नदी के किनारे जिस पैतृक घाट पर किया गया था. वहीं से अपनी पत्नी की स्मृति में उन्होंने एक स्मृति वन बनाने की ठानी और तब से वो हर साल गांव के युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पिण्डर नदी किनारे उसी पैतृक घाट के आस-पास की भूमि पर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं ताकि स्मृति वन अपना स्वरूप ले सकें.
ये भी पढ़ें: किसान आयोग के उपाध्यक्ष ने की किसानों को धैर्य रखने की अपील, कहा-विपक्ष के बहकावे से रहे दूर
पर्यावरण प्रेमी महिपाल सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने जो 3 साल पहले स्मृति वन में पेड़ लगाए थे उन पेड़ों की सुरक्षा का जिम्मा उन्हीं पर है. पर्यावरण प्रेमी ने गांव के अन्य लोगों से अपील की है कि पुरखों की पुण्यतिथि पर पैतृक घाटों पर हर किसी को एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए. ताकि जहां एक ओर श्मशान घाटों को हरा-भरा बनाया जा सकेगा. वहीं, दूसरी ओर पिण्डर नदी के कटाव से आस-पास की भूमि को भी बचाया जा सकेगा.
ये भी पढ़ें: DM ने की जल जीवन समिति की बैठक, 9 नवंबर तक लक्ष्य पूरा करने के दिए निर्देश
महिपाल सिंह रावत का कहना है कि उनकी इस पहल के पीछे का एक बड़ा मकसद पुरखों की स्मृति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और पेड़ लगाकर आसपास की कृषि भूमि के कटाव को रोकना भी है ताकि नदी के बढ़ते जलस्तर से भू कटाव भी रुक सके और नीरस श्मशान घाटों को भी सुंदर और हरा भरा बनाया जा सके. महिपाल ने बताया कि उन्होंने अपनी मृतक पत्नी की स्मृति में बांस, आंवला, बोतल ब्रश और च्यूरा किस्म के पेड़ लगाए हैं.