चमोली: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज चमोली पहुंचे. यहां बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. सीएम धामी ने चमोली के नागनाथ पोखरी में हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल खादी ग्राम उद्योग एवं पर्यटन शरदोत्सव मेले (Chandra Kunwar Bartwal sharadotsav Fair) का शुभारंभ किया. इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी उनके साथ मौजूद रहे.
सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट चमोली जनपद स्थित पोखरी विकासखंड में आयोजित 16वें हिमवंत कवि चन्द्रकुंवर बर्त्वाल खादी ग्रामोद्योग मेले में पहुंचे. सीएम ने फ़ीता काटकर 7 दिवसीय मेले का शुभारंभ किया. साथ ही मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने दीप प्रज्वलन कर मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा इस मेले को भव्य रूप देने व क्षेत्र के सम्पूर्ण विकास के लिये सरकार वचनबद्ध हैं. मेले को राजकीय मेला घोषित करने के साथ साथ सीएम ने मेले के आयोजन के लिए 5 लाख रूपये देने की घोषणा की.
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लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा वर्तमान समय में प्रदेश की सरकारी भर्तियों को लेकर युवाओं को किसी भी प्रकार का संशय करने की आवश्यकता नहीं है. एसटीएफ की जांच के दौरान 39 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा. सरकार जल्द ही प्रदेश में रिक्त सात हजार पदों पर लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती करने की तैयारी कर रही हैं. एक हफ़्ते के भीतर भर्ती कलेंडर जारी करने के साथ दिसंबर माह तक परीक्षाएं भी सम्पन्न करा दी जाएंगी.
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कांग्रेस के वर्तमान क्षेत्रीय विधायक राजेन्द्र भंडारी को आड़े हाथों लेते हुये मुख्यमंत्री ने कहा पक्ष और विपक्ष मायने नहीं रखता. विकास के लिये हम हर तरह से सहायता करने को तैयार हैं. केवल राजनीतिक करने से क्षेत्र का विकास नहीं होता. इस दौरान सीएम ने पोखरी क्षेत्र के लिए पोखरी नगर क्षेत्र के रास्तों में टाईल्स लगवाने,पोखरी के गांवो में स्ट्रीट लाईट लगवाने व नगर में पानी निकासी के लिए नाला बनवाने के साथ साथ पोखरी मिनी स्टेडियम के कार्य को पूर्ण करवाने की घोषणा भी की.
जानिए कौन हैं हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वालः जन कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल (Chandra Kunwar Bartwal) का जन्म रुद्रप्रयाग जिले के ग्राम मालकोटी, पट्टी तल्ला नागपुर में 20 अगस्त 1919 को हुआ था. उन्होंने मात्र 28 साल के जीवन में एक हजार अनमोल कविताएं, 24 कहानियां, एकांकी और बाल साहित्य का अनमोल खजाना हिंदी साहित्य को दिया. मृत्यु पर आत्मीय ढंग और विस्तार से लिखने वाले चंद्र कुंवर बर्त्वाल हिंदी के पहले कवि हैं.
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चंद्र कुंवर बर्त्वाल 28 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए थे. लेकिन इस छोटी सी उम्र में भी वह देश-दुनिया को सुंदर साहित्य दे गए. चंद्र कुंवर बर्त्वाल की कविताएं मानवता को समर्पित थीं. बेशक वह प्रकृति के कवि पहले थे. शूरवीर ने कहा कि बर्त्वाल हिंदी साहित्य के एक मात्र ऐसे कवि थे जिन्होंने हिमालय, प्रकृति व पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य की सुंदर भावनाओं और संवेदनाओं को अपनी कविताओं में पिरोया. उनकी कविताएं हिमालय व प्रकृति प्रेम की साक्षी रही हैं.
कालिदास को मानते थे गुरुः 'मैं न चाहता युग-युग तक पृथ्वी पर जीना, पर उतना जी लूं जितना जीना सुंदर हो. मैं न चाहता जीवन भर मधुरस ही पीना, पर उतना पी लूं जिससे मधुमय अंतर हो'. ये पंक्तियां हैं हिंदी के कालिदास के रूप में जाने माने प्रकृति के चहेते कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की. विश्व कवि कालिदास को अपना गुरु मानने वाले चंद्र कुंवर बर्त्वाल ने चमोली के पोखरी और रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि में अध्यापन भी किया था. चंद्र कुंवर बर्त्वाल को प्रकृति प्रेमी कवि माना जाता है. उनकी कविताओं में हिमालय, झरनों, नदियों, फूलों, खेतों, बसंत का वर्णन तो होता ही था. लेकिन उपनिवेशवाद का विरोध भी दिखता था. आज उनके काव्य पर कई छात्र पीएचडी कर रहे हैं.
युवावस्था में हुए टीबी के शिकारः कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल (Himwant Kavi Chandra Kunwar Bartwal) प्रमुख कविताओं में विराट ज्योति, कंकड़-पत्थर, पयस्विनी, काफल पाकू, जीतू, मेघ नंदिनी हैं. युवावस्था में ही वह टीबी के शिकार हो गए थे. इसके चलते उन्हें पांवलिया के जंगल में बने घर में एकाकी जीवन व्यतीत करना पड़ा था. मृत्यु के सामने खड़े कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल ने 14 सितंबर, 1947 को हिंदी साहित्य को बेहद समृद्ध खजाना देकर दुनिया को अलविदा कह दिया था.
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मृत्यु के बाद मिली पहचानः कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की मृत्यु के बाद उनके सहपाठी शंभुप्रसाद बहुगुणा ने उनकी रचनाओं को प्रकाशित करवाया और यह दुनिया के सामने आईं. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि आज भी हिंदी साहित्य के अनमोल रत्न कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल को राष्ट्रीय स्तर पर वो सम्मान प्राप्त नहीं हो सका है, जिसके वह हकदार थे.