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चमोली जिले के सीमांत घेस गांव पहुंचे डीएम, चौपाल लगाकर सुनी लोगों की समस्याएं

चमोली जिलाधिकारी हिमाशु खुराना ने सुदूरवर्ती गांव घेस में चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी. साथ ही जिलाधिकारी ने घेस गांव में औषधीय जड़ी बूटियों एवं पर्यटन सुविधाओं को विकसित करने के निर्देश अधिकारियों को दिये.

Chamoli District Magistrate Himanshu Khurana
चमोली जिले के सीमांत घेस गांव पहुंचे डीएम
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Published : Jul 8, 2023, 5:03 PM IST

Updated : Jul 8, 2023, 5:29 PM IST

चमोली जिले के सीमांत घेस गांव पहुंचे डीएम

चमोली: जिलाधिकारी हिमांशु खुराना जनपद के सबसे दूरस्थ एवं सीमांत घेस गांव पहुंचे. जिला मुख्यालय से करीब 145 किलोमीटर दूर त्रिशूल पर्वत की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमांत गांव घेस पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों एवं मांगलिक गीतों के साथ जिलाधिकारी का भव्य स्वागत किया.घेस गांव पहुंचकर जिलाधिकारी ने लोगों की समस्याएं सुनी.

हर्बल गांव घेस को व्यावसायिक मॉडल के रूप में करें विकसित: जिलाधिकारी ने उच्च हिमालयी क्षेत्र घेस में औषधीय जड़ी बूटियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीक के साथ व्यावसायिक खेती का मॉडल विकसित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा औषधीय जड़ी बूटियों की खेती से किसानों के साथ-साथ राज्य को भी आर्थिक लाभ होगा. इससे बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. उन्होंने जड़ी बूटी उत्पादन और विपणन की सुविधाओं को सरल बनाने को लेकर गहनता से चर्चा करते हुए किसानों से सुझाव भी लिए. जिलाधिकारी ने कहा किसानों के पंजीकरण और उनकी उपज के विपणन के लिए परमिट प्रक्रिया को भी आसान और अनुकूल बनाने का प्रयास किया जाएगा. घेस गांव में जड़ी बूटी उत्पादन से जुड़े किसानों के खेतों का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी ने हर्बल गांव घेस को पर्यटन से भी जोड़ने की बात कही.

पढे़ं-एक तरफ मानसून तो दूसरी तरफ 2785 जर्जर स्कूल, खतरे के साए में नौनिहाल, जिम्मेदार कौन ?

बता दें घेस गांव में अब परंपरागत खेती के साथ ही जड़ी बूटियों की खेती भी की जाती है. ग्रामीण कुटकी, अतीस, मीठा, वनकरी, चोरु, अरचा, जटामांसी, बालछर, सतवा, चिरायता जैसी जड़ी बूटियों का उत्पादन कर रहे हैं. यहां सबसे ज्यादा कुटकी का उत्पादन किया जा रहा है, जो 12 सौ रुपए किलो तक बिक रहा है. घेस को उत्तराखंड का हर्बल गांव भी कहा जाता है. परंपरागत खेती में ग्रामीण चौलाई, आलू, राजमा, ओगल, गेंहू, मंडुवा और झंगोरा भी उगाते हैं. ग्रामीण अब नगदी फसल मटर की भी खेती कर रहे हैं. घेस गांव तक सड़क है. यहां करीब 300 परिवार रहते हैं.

पढे़ं- चमोली: देवाल के दूरस्थ गांव घेस में पहली बार आयोजित हुई बीडीसी बैठक


घेस में हैं पर्यटन की अपार संभावनाएं: जिलाधिकारी ने कहा हर्बल गांव घेस घाटी अपनी नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. इस इलाके में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहां से सुन्दर मखमली बगजी बुग्याल और घेस-नागाड-सौरीगाड़ ट्रैक भी है. उन्होंने स्थानीय लोगों को होम स्टे संचालन के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अगले क्षेत्र भ्रमण के दौरान वो घेस गांव में होम स्टे में ही रुकेंगे. जिलाधिकारी ने पर्यटन अधिकारी को क्षेत्र में कैंप लगाकर लोगों को होम स्टे योजना से जोड़ने के निर्देश भी दिए.

पढे़ं- डिजिटल गांव का नेटवर्क बना 'चुनावी', माननीयों के आने पर ही आते हैं सिग्नल

घेस में चौपाल लगाकर डीएम ने सुनी समस्याएं: जिलाधिकारी ने घेस में चौपाल लगा कर लोगों की समस्याएं सुनी. स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी के सामने सडक़, बिजली, पानी, भूमि का मुआवजा ना मिलने, स्कूलों में शिक्षकों की कमी, बिजली के झूलते तारों की समस्या, क्षेत्र में 108 सेवा की व्यवस्था न होने, आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने, एएनएम सेंटर में क्षतिग्रस्त दीवार की मरम्मत, विधवा पेंशन न मिलने, हिमनी में डाकघर न होने की समस्याएं रखी. जिस पर जिलाधिकारी ने संबधित अधिकारियों को प्राथमिकता पर समस्याओं का निराकरण करने के निर्देश दिए.

चमोली जिले के सीमांत घेस गांव पहुंचे डीएम

चमोली: जिलाधिकारी हिमांशु खुराना जनपद के सबसे दूरस्थ एवं सीमांत घेस गांव पहुंचे. जिला मुख्यालय से करीब 145 किलोमीटर दूर त्रिशूल पर्वत की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमांत गांव घेस पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों एवं मांगलिक गीतों के साथ जिलाधिकारी का भव्य स्वागत किया.घेस गांव पहुंचकर जिलाधिकारी ने लोगों की समस्याएं सुनी.

हर्बल गांव घेस को व्यावसायिक मॉडल के रूप में करें विकसित: जिलाधिकारी ने उच्च हिमालयी क्षेत्र घेस में औषधीय जड़ी बूटियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीक के साथ व्यावसायिक खेती का मॉडल विकसित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा औषधीय जड़ी बूटियों की खेती से किसानों के साथ-साथ राज्य को भी आर्थिक लाभ होगा. इससे बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. उन्होंने जड़ी बूटी उत्पादन और विपणन की सुविधाओं को सरल बनाने को लेकर गहनता से चर्चा करते हुए किसानों से सुझाव भी लिए. जिलाधिकारी ने कहा किसानों के पंजीकरण और उनकी उपज के विपणन के लिए परमिट प्रक्रिया को भी आसान और अनुकूल बनाने का प्रयास किया जाएगा. घेस गांव में जड़ी बूटी उत्पादन से जुड़े किसानों के खेतों का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी ने हर्बल गांव घेस को पर्यटन से भी जोड़ने की बात कही.

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बता दें घेस गांव में अब परंपरागत खेती के साथ ही जड़ी बूटियों की खेती भी की जाती है. ग्रामीण कुटकी, अतीस, मीठा, वनकरी, चोरु, अरचा, जटामांसी, बालछर, सतवा, चिरायता जैसी जड़ी बूटियों का उत्पादन कर रहे हैं. यहां सबसे ज्यादा कुटकी का उत्पादन किया जा रहा है, जो 12 सौ रुपए किलो तक बिक रहा है. घेस को उत्तराखंड का हर्बल गांव भी कहा जाता है. परंपरागत खेती में ग्रामीण चौलाई, आलू, राजमा, ओगल, गेंहू, मंडुवा और झंगोरा भी उगाते हैं. ग्रामीण अब नगदी फसल मटर की भी खेती कर रहे हैं. घेस गांव तक सड़क है. यहां करीब 300 परिवार रहते हैं.

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घेस में हैं पर्यटन की अपार संभावनाएं: जिलाधिकारी ने कहा हर्बल गांव घेस घाटी अपनी नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. इस इलाके में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहां से सुन्दर मखमली बगजी बुग्याल और घेस-नागाड-सौरीगाड़ ट्रैक भी है. उन्होंने स्थानीय लोगों को होम स्टे संचालन के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अगले क्षेत्र भ्रमण के दौरान वो घेस गांव में होम स्टे में ही रुकेंगे. जिलाधिकारी ने पर्यटन अधिकारी को क्षेत्र में कैंप लगाकर लोगों को होम स्टे योजना से जोड़ने के निर्देश भी दिए.

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घेस में चौपाल लगाकर डीएम ने सुनी समस्याएं: जिलाधिकारी ने घेस में चौपाल लगा कर लोगों की समस्याएं सुनी. स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी के सामने सडक़, बिजली, पानी, भूमि का मुआवजा ना मिलने, स्कूलों में शिक्षकों की कमी, बिजली के झूलते तारों की समस्या, क्षेत्र में 108 सेवा की व्यवस्था न होने, आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने, एएनएम सेंटर में क्षतिग्रस्त दीवार की मरम्मत, विधवा पेंशन न मिलने, हिमनी में डाकघर न होने की समस्याएं रखी. जिस पर जिलाधिकारी ने संबधित अधिकारियों को प्राथमिकता पर समस्याओं का निराकरण करने के निर्देश दिए.

Last Updated : Jul 8, 2023, 5:29 PM IST
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