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बदरीनाथ धाम में ऑनलाइन बिक रही तुलसी माला, ग्रामीणों को मिल रहा रोजगार

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Published : Jun 25, 2020, 10:43 PM IST

बदरीनाथ धाम में तुलसी का बड़ा महत्व है. भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता अर्पित करना बेहद शुभा माना जाता है. यहां भगवान विष्णु की प्रतिमा को नित्य स्नान करवाने के बाद तुलसी माला पहनाई जाती है.

बदरीनाथ धाम
बदरीनाथ धाम

चमोली: लॉकडाउन की वजह से भले ही बदरीनाथ धाम में तीर्थ यात्री नहीं पहुंच पा रहे हों. लेकिन बदरीनाथ से लगते बामणी गांव के ग्रामीणों का रोजगार चल रहा है. धाम की तीर्थयात्रा रुकी होने के बावजूद यहां भी तुलसी माला ऑनलाइन बिक रही है. भक्त ग्रामीणों से माला क्रय कर बदरीनाथ भगवान को अर्पित कर रहे हैं. माला क्रय करना और इसे भगवान बदरीनाथ को अर्पित करने का कार्य ऑनलाइन चल रहा है.

बदरीनाथ धाम के निकट माणा और बामणी गांव के ग्रामीण भी शीतकाल में जिले के निचले क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं. जैसे ही बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा शुरू होती है, वे भी अपने पैतृव गांव लौट आते हैं. माणा गांव के ग्रामीण भगवान बदरीनाथ की सेवा करने के साथ ही ऊन और सब्जी का व्यापार करते हैं. जबकि बामणी गांव के ग्रामीण खेती के साथ ही बदरीनाथ धाम के लिए तुलसी की माला बनाते हैं. इन्हीं मालाओं को भक्त ग्रामीणों से खरीदते हैं और भगवान बदरीनाथ को अर्पित करते हैं.

पढ़ें- कर्मचारियों के वेतन कटौती का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, सरकार से मांगा जवाब

इस बार लॉकडाउन के कारण चारों धामों की यात्रा रुकी हुई है. लेकिन चमोली जिला प्रशासन ने कृषि कार्य के लिए दोनों गांवों के ग्रामीणों को पैतृक गांवों में जाने की अनुमति दे दी थी. बामणी गांव में माउंटेन ट्रेक्स समिति के सदस्य राहुल मेहता बताते हैं कि तीर्थयात्रा न होने के बावजूद भी ग्रामीण तुलसी की माला से हजारों की आमदनी कर रहे हैं.

मन में आस्था और विश्वास लिए भक्त अपने नाम से बदरीनाथ धाम में तुलसी की मालाएं ऑनलाइन भेंट कर रहे हैं. बामणी गांव के युवा और महिलाएं इसमें उनका सहयोग भी कर रहे हैं. भक्त भी माला के एवज में ग्रामीणों को ऑन लाइन पेमेंट कर रहे हैं. मालाओं की कीमत 101 से लेकर 501 रुपये तक रखी गई है.

पढ़ें- ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री से जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की तस्वीर साफ नहीं

बता दें कि बदरीनाथ धाम में तुलसी का बड़ा महत्व है. भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता अर्पित करना बेहद शुभा माना जाता है. यहां भगवान विष्णु की प्रतिमा को नित्य स्नान करवाने के बाद तुलसी माला पहनाई जाती है.

चमोली: लॉकडाउन की वजह से भले ही बदरीनाथ धाम में तीर्थ यात्री नहीं पहुंच पा रहे हों. लेकिन बदरीनाथ से लगते बामणी गांव के ग्रामीणों का रोजगार चल रहा है. धाम की तीर्थयात्रा रुकी होने के बावजूद यहां भी तुलसी माला ऑनलाइन बिक रही है. भक्त ग्रामीणों से माला क्रय कर बदरीनाथ भगवान को अर्पित कर रहे हैं. माला क्रय करना और इसे भगवान बदरीनाथ को अर्पित करने का कार्य ऑनलाइन चल रहा है.

बदरीनाथ धाम के निकट माणा और बामणी गांव के ग्रामीण भी शीतकाल में जिले के निचले क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं. जैसे ही बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा शुरू होती है, वे भी अपने पैतृव गांव लौट आते हैं. माणा गांव के ग्रामीण भगवान बदरीनाथ की सेवा करने के साथ ही ऊन और सब्जी का व्यापार करते हैं. जबकि बामणी गांव के ग्रामीण खेती के साथ ही बदरीनाथ धाम के लिए तुलसी की माला बनाते हैं. इन्हीं मालाओं को भक्त ग्रामीणों से खरीदते हैं और भगवान बदरीनाथ को अर्पित करते हैं.

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इस बार लॉकडाउन के कारण चारों धामों की यात्रा रुकी हुई है. लेकिन चमोली जिला प्रशासन ने कृषि कार्य के लिए दोनों गांवों के ग्रामीणों को पैतृक गांवों में जाने की अनुमति दे दी थी. बामणी गांव में माउंटेन ट्रेक्स समिति के सदस्य राहुल मेहता बताते हैं कि तीर्थयात्रा न होने के बावजूद भी ग्रामीण तुलसी की माला से हजारों की आमदनी कर रहे हैं.

मन में आस्था और विश्वास लिए भक्त अपने नाम से बदरीनाथ धाम में तुलसी की मालाएं ऑनलाइन भेंट कर रहे हैं. बामणी गांव के युवा और महिलाएं इसमें उनका सहयोग भी कर रहे हैं. भक्त भी माला के एवज में ग्रामीणों को ऑन लाइन पेमेंट कर रहे हैं. मालाओं की कीमत 101 से लेकर 501 रुपये तक रखी गई है.

पढ़ें- ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री से जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की तस्वीर साफ नहीं

बता दें कि बदरीनाथ धाम में तुलसी का बड़ा महत्व है. भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता अर्पित करना बेहद शुभा माना जाता है. यहां भगवान विष्णु की प्रतिमा को नित्य स्नान करवाने के बाद तुलसी माला पहनाई जाती है.

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