देहरादून: आज सुबह साढ़े 4 बजे ब्रह्म मूहर्त पर विधि विधान से बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गये. डेढ़ घंटे पहले यानी 3 बजे से ही धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. लेकिन ये पहली बार है जब कपाट खुलने के वक्त श्रद्धालु मौजूद न हो. कोविड-19 महामारी को देखते हुए जिला प्रशासन की अनुमति से सिर्फ 28 लोग ही धाम में मौजूद रहे.
इससे पहले गुरुवार को पांडुकेश्वर मन्दिर से धाम के मुख्य पुजारी (रावल) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी और धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल के साथ आदि गुरु शंकराचार्यजी की गद्दी, उद्धव जी, कुबेर जी की डोली, गाडू घड़ी यानी तिल के तेल का कलश धाम पहुंचा. इसके बाद कल ही धाम को करीब 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था.
इस साल लॉकडाउन की वजह से पांडुकेश्वर से बदरीनाथ धाम की यात्रा में रावल नंबूदरी, धर्माधिकारी, डिमरी पंचायत के प्रतिनिधि, सीमित संख्या में हक-हकूकधारियों ने सोशल डिस्टेसिंग का पूरा ध्यान रखा और मास्क पहने रखा. इस बार लामबगड़ और हनुमान चट्टी क्षेत्र में इन देव डोलियों ने विश्राम नहीं किया और न ही इन स्थानों पर भंडारे का आयोजन हुआ. धाम पहुंचकर भगवान बदरीविशाल के जन्म स्थान लीलाढूंगी में रावल नंबूदरी द्वारा पूजा-अर्चना की गई.
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ये होती है बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया
सुबह 3 बजे से कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. कुबेर जी, उद्धव जी, गाडू घड़ा को धाम के दक्षिण द्वार से मंदिर परिसर में रखा गया. इसके बाद रावल, धर्माधिकारी, हक-हकूकधारियों की उपस्थिति में कपाट खोलने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई. ठीक 4.30 बजे कपाट खोले गये. कपाट खुलने के बाद लक्ष्मी माता को परिसर स्थित मंदिर में स्थापित किया गया.