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बदरीनाथ में गाय और तितली बनीं चर्चा का विषय, जानिए खास वजह - butterfly

बदरीनाथ धाम में इन दिनों एक तितली और गाय की चर्चा खूब हो रही हैं.

Chamoli
बदरीनाथ धाम में एक तितली बनी चर्चा का विषय.
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Published : Jun 6, 2020, 10:55 PM IST

चमोली: बदरीनाथ धाम में इन दिनों एक तितली और गाय चर्चा का केंद्र बनी हुई है. बदरीनाथ लक्ष्मी मंदिर से सटे परिक्रमा स्थल के पास सामान्य तितलियों से बड़ी एक तितली कई दिनों से बैठे हुई है. बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि तितली इंसान के हाथ के बराबर है. इतनी बड़ी तितली उन्होंने अपनी जीवन में कभी नहीं देखी है. उन्होंने कहा कि तितली के करीब जाने पर उसके माथे पर वैष्णव तिलक की आकृति भी नजर आ रही है. वहीं, दूसरी तरफ एक गाय बामणी गांव से होते हुए बदरीनाथ के धर्माधिकारी के आवास के बाहर आती है और बदरी कथा सुनने के बाद वापस चली जाती है.

Chamoli
बदरीनाथ धाम में कथा सुन रही गाय.

पढ़े- लद्दाख के बाद लिपुलेख बॉर्डर पर भारत को आंख दिखा रहा ड्रैगन, लहरा रहा झंडा

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बदरीनाथ धाम में एक तितली बनी चर्चा का विषय

बता दें, बदरीनाथ धाम में पूजा-अर्चना सुबह पांच बजे से शुरू होती है. सुबह 5.30 से 7.30 बजे तक अभिषेक पूजा होती है, उसके बाद बाल भोग लगाने के बाद सुबह 10 बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है. दोपहर में धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल द्वारा बदरी भगवान की कथा का व्याख्यान किया जाता है, इसी दौरान यह गाय भी वहां पहुंच रही है. धर्माधिकारी का कहना है कि यह गाय अकेले धाम परिसर में पहुंचती है और कथा संपन्न होने के बाद गांव में वापस चली जाती है.

चमोली: बदरीनाथ धाम में इन दिनों एक तितली और गाय चर्चा का केंद्र बनी हुई है. बदरीनाथ लक्ष्मी मंदिर से सटे परिक्रमा स्थल के पास सामान्य तितलियों से बड़ी एक तितली कई दिनों से बैठे हुई है. बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि तितली इंसान के हाथ के बराबर है. इतनी बड़ी तितली उन्होंने अपनी जीवन में कभी नहीं देखी है. उन्होंने कहा कि तितली के करीब जाने पर उसके माथे पर वैष्णव तिलक की आकृति भी नजर आ रही है. वहीं, दूसरी तरफ एक गाय बामणी गांव से होते हुए बदरीनाथ के धर्माधिकारी के आवास के बाहर आती है और बदरी कथा सुनने के बाद वापस चली जाती है.

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बदरीनाथ धाम में कथा सुन रही गाय.

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बदरीनाथ धाम में एक तितली बनी चर्चा का विषय

बता दें, बदरीनाथ धाम में पूजा-अर्चना सुबह पांच बजे से शुरू होती है. सुबह 5.30 से 7.30 बजे तक अभिषेक पूजा होती है, उसके बाद बाल भोग लगाने के बाद सुबह 10 बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है. दोपहर में धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल द्वारा बदरी भगवान की कथा का व्याख्यान किया जाता है, इसी दौरान यह गाय भी वहां पहुंच रही है. धर्माधिकारी का कहना है कि यह गाय अकेले धाम परिसर में पहुंचती है और कथा संपन्न होने के बाद गांव में वापस चली जाती है.

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