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मछली पकड़ने का है शौक तो मत्स्य विभाग कर रहा आपका इतंजार, छुट्टी के दिन करिए फिश एंगलिंग

देवभूमि उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से असंख्य संभावनाएं अपने आप में समेटे हुए है. इसी का एक हिस्सा है फिश एंगलिग. विभाग द्वारा निर्धारित शुल्क के आधार पर अपने-अपने क्षेत्र में फिश एंगलिंग का शौक रखने वाले पर्यटकों को नदी में कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति मिलेगी.

फिश एंगलिंग
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Published : May 26, 2019, 10:30 PM IST

Updated : May 27, 2019, 7:56 AM IST

देहरादूनः पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ और अवैध तरीके से मछली पकड़ने पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड मत्स्य पालन विभाग द्वारा सभी नदी क्षेत्रों में एंगलिंग परमिट दिए जा रहे हैं. विभाग द्वारा निर्धारित शुल्क के आधार पर अपने-अपने क्षेत्र में फिश एंगलिंग का शौक रखने वाले पर्यटकों को नदी में कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति मिलेगी.

फिश एंगलिंग का शौक रखने वाले पर्यटकों को निर्धारित शुल्क के आधार पर कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति मिलेगी.

देवभूमि उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से असंख्य संभावनाएं अपने आप में समेटे हुए है. इसी का एक हिस्सा है फिश एंगलिग. नदियों से मछलियों का दोहन तो सदियों से चला आ रहा है, लेकिन मछली पकड़ने को रोमांच, कला और शौक से जोड़ते हुए फिश एंगलिंग आज लोकप्रिय होता जा रहा है.

पश्चिमी देशों में अत्यधिक लोकप्रिय अब हमारे देश में भी लोगों की पंसद बनता जा रहा है. छुट्टी का दिन बिताने के लिए फिश एंगलिंग एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जाता है और यही वजह है कि अब उत्तराखंड सरकार भी प्रदेश में बड़ी संख्या में मौजूद नदियों को एंगलिंग से जोड़ने की शुरुआत कर रही है.

यह भी पढ़ेंः हवा-हवाई दावों की खुली पोल, तीर्थयात्रियों को सुविधा देने में नाकाम प्रशासन

जिसको लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रयास भी शुरू कर दिये गये हैं. प्रदेश में मौजूद नदियों में फिश एंगलिंग को बढ़ावा देने से सरकार की मंशा प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देना है. उत्तराखंड की नदियों में पायी जानी वाली मछलियों का सदियों से दोहन जारी है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में जिस तरह से अवैध और गैर पारंपरिक तौर तरीकों से नदियों में दोहन हो रहा है वो निश्चित तौर से उत्तराखंड की जैव विविधता के लिए घातक है.

क्या होती है फिश एंगलिंग और क्यों है खास
देश में मछली पकड़ना हमारे समाज का एक हिस्सा है. प्राचीन काल से पारंपरिक रूप से मछलियों को पकड़ा जाता रहा है, लेकिन फिश एंगलिंग मछली पकड़ने का एक बिल्कुल अगल तरीका है.

स्पीनिंग रील यानी एक धागे के जरिए नदी में मछली के लिए दाना डालकर मछली को हुक में फंसाकर मछली पकड़ना फिश एंगलिंग है. विदेशों में फिश एंगलिंग अत्यधिक लोकप्रिय है. फिश एंगलिंग एक लोकप्रिय खेल भी है. फिश एंगलिंग का शौक रखने वाले लोग नदियों से जुड़ी कई प्रतियोगिताओं में फिश एंगलिंग को भी प्राथमिकता दी जाती है.

ये है मत्स्य विभाग का प्लान
उत्तराखंड मत्स्य विभाग द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने और नदियों में अवैध मत्स्य दोहन रोकने के लिए राज्य में सभी नदी क्षेत्रों में फिश एंगलिंग के परमिट जारी किये जा रहे हैं. फिश एंगलिग के लिए स्थानीय संस्था, ग्रामीण युवक मंगल दल, महिला स्वयं सहायता समूह या फिर पंजीकृत स्थानीय समूहों को परमिट दिया जाएगा.

परमिट प्राप्त संस्था विभाग द्वारा तय की गई सीमा के भीतर नदी में फिश एंगलिंग करवाने के लिए अधिकृत होगी और उसी संस्था की जिम्मेदारी होगी की उसके क्षेत्र में पड़ने वाली नदी से मछलियों का दोहन किसी भी तरह अवैध तरीके से ना हो.

यह भी पढ़ेंः झील का जलस्तर घटने से दिखने लगा राजमहल, पुरानी टिहरी देख लोगों के छलके आंसू

एंगलिंग का परमिट प्राप्त संस्था को नदियों में मछलियों के दोहन के साथ-साथ संरक्षित प्रजाति की मछलियों के सम्बंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे जैव विविधिता पर प्रतिकूल असर ना पड़े.

उत्तराखंड मत्स्य विभाग द्वारा सभी 13 जिलों में तकरीबन 41 अलग-अलग बीट निर्धारित कर परमिट दिये गये जोकि उस क्षेत्र में एंगलिंग के लिए अधिकृत हैं और विभाग द्वारा तय किए गए शुल्क के आधार पर पर्यटकों को ये संस्था नदी में कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति देगी.

आप उत्तराखंड मत्स्य विभाग से या फिर विभाग की अधिकृत वेबसाइट www.fisheries.uk.gov.in से भी फिश एंगलिंग की जानकारी ले सकते हैं. साथ ही आप प्रदेश में फिश एंगलिंग के लिए लोकेशन और अधिकृत संस्था की जानकारी के लिए आप इस लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं-
http://fisheries.uk.gov.in/files/Angling_attachement.pdf

ये हैं उत्तराखंड में कहीं भी अधिकृत संस्था द्वारा फिश एंगलिंग करने का शुल्क प्रति घंटे की दर से-

महासीर फिश जोन

  • अंतरराष्ट्रीय पर्यटक- 150₹
  • राष्ट्रीय पर्यटक- 75₹
  • स्थानीय पर्यटक- 20₹


ट्राउड फिश जोन

  • अंतरराष्ट्रीय पर्यटक- 200₹
  • राष्ट्रीय पर्यटक- 100₹
  • स्थानीय पर्यटक- 20₹

देहरादूनः पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ और अवैध तरीके से मछली पकड़ने पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड मत्स्य पालन विभाग द्वारा सभी नदी क्षेत्रों में एंगलिंग परमिट दिए जा रहे हैं. विभाग द्वारा निर्धारित शुल्क के आधार पर अपने-अपने क्षेत्र में फिश एंगलिंग का शौक रखने वाले पर्यटकों को नदी में कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति मिलेगी.

फिश एंगलिंग का शौक रखने वाले पर्यटकों को निर्धारित शुल्क के आधार पर कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति मिलेगी.

देवभूमि उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से असंख्य संभावनाएं अपने आप में समेटे हुए है. इसी का एक हिस्सा है फिश एंगलिग. नदियों से मछलियों का दोहन तो सदियों से चला आ रहा है, लेकिन मछली पकड़ने को रोमांच, कला और शौक से जोड़ते हुए फिश एंगलिंग आज लोकप्रिय होता जा रहा है.

पश्चिमी देशों में अत्यधिक लोकप्रिय अब हमारे देश में भी लोगों की पंसद बनता जा रहा है. छुट्टी का दिन बिताने के लिए फिश एंगलिंग एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जाता है और यही वजह है कि अब उत्तराखंड सरकार भी प्रदेश में बड़ी संख्या में मौजूद नदियों को एंगलिंग से जोड़ने की शुरुआत कर रही है.

यह भी पढ़ेंः हवा-हवाई दावों की खुली पोल, तीर्थयात्रियों को सुविधा देने में नाकाम प्रशासन

जिसको लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रयास भी शुरू कर दिये गये हैं. प्रदेश में मौजूद नदियों में फिश एंगलिंग को बढ़ावा देने से सरकार की मंशा प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देना है. उत्तराखंड की नदियों में पायी जानी वाली मछलियों का सदियों से दोहन जारी है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में जिस तरह से अवैध और गैर पारंपरिक तौर तरीकों से नदियों में दोहन हो रहा है वो निश्चित तौर से उत्तराखंड की जैव विविधता के लिए घातक है.

क्या होती है फिश एंगलिंग और क्यों है खास
देश में मछली पकड़ना हमारे समाज का एक हिस्सा है. प्राचीन काल से पारंपरिक रूप से मछलियों को पकड़ा जाता रहा है, लेकिन फिश एंगलिंग मछली पकड़ने का एक बिल्कुल अगल तरीका है.

स्पीनिंग रील यानी एक धागे के जरिए नदी में मछली के लिए दाना डालकर मछली को हुक में फंसाकर मछली पकड़ना फिश एंगलिंग है. विदेशों में फिश एंगलिंग अत्यधिक लोकप्रिय है. फिश एंगलिंग एक लोकप्रिय खेल भी है. फिश एंगलिंग का शौक रखने वाले लोग नदियों से जुड़ी कई प्रतियोगिताओं में फिश एंगलिंग को भी प्राथमिकता दी जाती है.

ये है मत्स्य विभाग का प्लान
उत्तराखंड मत्स्य विभाग द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने और नदियों में अवैध मत्स्य दोहन रोकने के लिए राज्य में सभी नदी क्षेत्रों में फिश एंगलिंग के परमिट जारी किये जा रहे हैं. फिश एंगलिग के लिए स्थानीय संस्था, ग्रामीण युवक मंगल दल, महिला स्वयं सहायता समूह या फिर पंजीकृत स्थानीय समूहों को परमिट दिया जाएगा.

परमिट प्राप्त संस्था विभाग द्वारा तय की गई सीमा के भीतर नदी में फिश एंगलिंग करवाने के लिए अधिकृत होगी और उसी संस्था की जिम्मेदारी होगी की उसके क्षेत्र में पड़ने वाली नदी से मछलियों का दोहन किसी भी तरह अवैध तरीके से ना हो.

यह भी पढ़ेंः झील का जलस्तर घटने से दिखने लगा राजमहल, पुरानी टिहरी देख लोगों के छलके आंसू

एंगलिंग का परमिट प्राप्त संस्था को नदियों में मछलियों के दोहन के साथ-साथ संरक्षित प्रजाति की मछलियों के सम्बंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे जैव विविधिता पर प्रतिकूल असर ना पड़े.

उत्तराखंड मत्स्य विभाग द्वारा सभी 13 जिलों में तकरीबन 41 अलग-अलग बीट निर्धारित कर परमिट दिये गये जोकि उस क्षेत्र में एंगलिंग के लिए अधिकृत हैं और विभाग द्वारा तय किए गए शुल्क के आधार पर पर्यटकों को ये संस्था नदी में कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति देगी.

आप उत्तराखंड मत्स्य विभाग से या फिर विभाग की अधिकृत वेबसाइट www.fisheries.uk.gov.in से भी फिश एंगलिंग की जानकारी ले सकते हैं. साथ ही आप प्रदेश में फिश एंगलिंग के लिए लोकेशन और अधिकृत संस्था की जानकारी के लिए आप इस लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं-
http://fisheries.uk.gov.in/files/Angling_attachement.pdf

ये हैं उत्तराखंड में कहीं भी अधिकृत संस्था द्वारा फिश एंगलिंग करने का शुल्क प्रति घंटे की दर से-

महासीर फिश जोन

  • अंतरराष्ट्रीय पर्यटक- 150₹
  • राष्ट्रीय पर्यटक- 75₹
  • स्थानीय पर्यटक- 20₹


ट्राउड फिश जोन

  • अंतरराष्ट्रीय पर्यटक- 200₹
  • राष्ट्रीय पर्यटक- 100₹
  • स्थानीय पर्यटक- 20₹
Intro:फिश एंगलिंग का रखते हैं शौक तो आइए यहां---

एंकर- पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ साथ और अवैध तरीके से मछली पकड़ने पर लगाम लगाने के ये उत्तराखंड मत्स्य पालन विभाग द्वारा उत्तराखंड की सभी नदी क्षेत्रों में एंगलिंग परमिट दिए जा रहे है जो विभाग द्वारा निर्धारित शुल्क लेकर के आधार अपने अपने क्षेत्र में एंगलिंग का शौक रखने वाले पर्यटकों को नदी में कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति देंगे।


Body:देवभूमी उत्तराकंड प्रर्यटन के लिहाज से असंख्य संभावनाएं अपने आप में समेटे हुए है। इसी का एक हिस्सा है फिश एंगलिग। नदीयों से मछलीयों का दोहन तो सदियों से चला आ रहा है लेकिन मछली पंकड़ने को रोमांच, कला और शौक से जोड़ते हुए फिश एंगलिंग आज लोकप्रीय होता जा रहा है। पश्चिमी देशों में अत्यधिक लोकप्रीय अब हमारे देश में भी लोगो की पंसद बनता जा रहा है। छुट्टी का दिन बिताने के लिए फिश एंगलिग एक बेहतर विकल्प के रुप में देखा जाता है। और यही वजह है कि अब उत्तराखंड सरकार भी प्रदेश में बड़ी संख्या में मौजूद नदियों को एंगलिक से जोड़ने की शुरुआत कर रही है जिसको लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रयास भी शुरु कर दिये गये हैं। प्रदेश में मौजूद नदियों में फिश एंगलिग को बढ़ावा देने से सरकार की मशां एक तरफ जहां प्रदेश में प्रर्यटन को बढ़ावा देना है तो वहीं प्रदेश की नदियों में जिस तरह से लगातार अवैध दोहन हो रहा है उस पर भी मत्स्य विभाग का प्रयास है कि वो लगाम लगा सके। उत्तराखंड की नदियों में पायी जानी वाली मछलियों का सदियों से दोहन जारी है लेकिन आधुनिकता के इस दौर में जिस तरह से अवैध और अपारमंपरिक तौर तरीकों से नदियों में दोहन हो रहा है वो निश्चित तौर से उत्तराकंड की जैव विविधता के लिए घातक है जिसका एक ताजा उदाहरण 27 अप्रैल को बागेश्वर में मछली पकड़ने के लिए नदी में करट लगाने से खुद तीन लोगों की मौत हुई थी। आप अंजादा लगा सकते है कि पानी में करंट लगाने से इसान तक मौत हो गई तो उस नदि में कितने जीवों की मौत हुई होगी। 

क्या होती है फिश एंगलिंग और क्यों है खाश-

हमारे देश में मछली पकड़ना हमारे समाज का एक हिस्सा है। प्राचिन काल से पारम्परिक रुप से मछलियों को पकड़ा जाता रहा है लेकिन फिश एंगलिग मछली पकड़ने का एक बिल्कुल अगल तरीका है। स्पीनिंग रील यानी एक धागे के जरिए नदी में मंछली के लिए दाना डालकर मछली को हुक में फसा कर मछली पकड़ना फिश एंगलिग है। विदेशो में फिश एंगलिग अत्यधिक लोकप्रिय है। फिश एंगलिग एक लोकप्रीय खेल भी है। फिश एंगलिग का शौक रखने वाले लोग नदियों से जुड़ी कई प्रतियोंगिताओं में फिश एंगलिंग को भी प्राथमिकता दी जाती है। छुट्टी के दिन नदि किनारे बैठ कर कांटा डालकर मछली पकड़ना ही फिश एंगलिग है,कई लोग इसको लेकर काफी उत्साहित रहते हैं। इस तरके से मछली पकड़ने से एक तो नदियों में अधांधुद दोहन नही होता है और अनावश्यक जीवों की जान भी नही जाती है।

ये है मत्स्य विभाग का प्लान-
उत्तराखंड मत्स्य विभाग द्वारा प्रयटन को बढ़ावा देने और नदियों में अवैध मत्स्य दोहन के लिए  राज्य में सभी नदी क्षेत्रों में फिश एंगलिग के परमिट जारी किये जा रहे हैं। फिश एंगलिग के लिए स्थानीय संस्था, ग्रामीण युवक मंगल दल, महिला स्वंय सहायता समूह या फिर पंजिकृत स्थानीय समूहों को परमिट दिया जाएगा। परमिट प्राप्त संस्था विभाग द्वारा तय की गई सीमा के भीतर नदी में फिश एंगलिक करवाने के लिए अधिकृत होगी और उसी संस्था की जिम्मेदारी होगी की उसके क्षेत्र में पड़ने वाली नदी से मछलियों का दोहन कीसी भी तरह अवैध तरीके से ना हो। एंगलिंग का परमिट प्राप्त संस्था को नदियों में मछिलयों के दोहन के साथ साथ संरक्षित प्रजाति की मछलियों के सम्बंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे जैव विविधिता पर प्रतिकुल असर ना पड़े। उत्तराखंड मत्स्य विभाग द्वारा पूरे राज्य में  सभी 13 जिलों में तकरीबन 41 अलग अलग बीटें निर्धारित कर परिमिट दिये गये जो की उस क्षेत्र में एंगलिंग के लिए अधिकृत है और विबहग द्वारा तय की गए शुल्क के आधार पर पर्यटकों को ये संस्था नदी में कांटे से मछली पकड़ने की अनुमति देगी।आप उत्तराखंड मत्स्य विभाग से या फिर विभाग की ऑफिशियल वेबसाईट www.fisheries.uk.gov.in से भी फिश एंगलिंग की जानकारी ले सकते हैं। साथ ही आप प्रदेश में फिश एंगलिंग के लिए लोकेशन और अधिकृत संस्था की जानकारी के लिए आप इस लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं-
http://fisheries.uk.gov.in/files/Angling_attachement.pdf


ये है उत्तराखंड में कहीं भी अधिकृत संस्था द्वारा फिश एंगलिंग करने का शुल्क प्रति घण्टे की दर से--

महासीर फिश जोन
अंतराष्ट्रीय पर्यटक- 150₹
राष्ट्रीय पर्यटक- 75₹
स्थानीय पर्यटक- 20₹

ट्राउड फिश जोन
अंतराष्ट्रीय पर्यटक- 200₹
राष्ट्रीय पर्यटक- 100₹
स्थानीय पर्यटक- 20₹



Conclusion:
Last Updated : May 27, 2019, 7:56 AM IST
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