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शासन के ठंडे बस्ते में पड़ा राजस्व क्षेत्र में रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू करने का मामला - रेगुलर पुलिस

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 6 महीने के अंदर पहाड़ी क्षेत्रों में राजस्व पुलिस की कानून व्यवस्था को हटाकर रेगुलर पुलिस तैनात करने का आदेश दिया था. बावजूद इसके सरकार के आला अधिकारी अब तक इस मामले में कोई कार्रावाई नहीं कर सके है.

राजस्व क्षेत्र में रेगुलर पुलिस व्यवस्था
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Published : Mar 6, 2019, 6:47 AM IST

Updated : Mar 6, 2019, 7:15 AM IST

देहरादून: पिछले साल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 6 महीने के अंदर पहाड़ी क्षेत्रों में राजस्व पुलिस की कानून व्यवस्था को हटाकर रेगुलर पुलिस तैनात करने का आदेश दिया था. जिसके बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की तैनाती का प्रस्ताव शासन को भेजा दिया गया था. बावजूद इसके सरकार के आला अधिकारी अब तक इस मामले में कोई कार्रावाई नहीं कर सके है.

राजस्व क्षेत्र में रेगुलर पुलिस व्यवस्था

हाई कोर्ट के आदेशों के बाद थाना और चौकियों के क्षेत्र का विस्तारीकरण कर पर्वतीय गांवों को रेगुलर पुलिस से जोड़ने की कवायद पुलिस मुख्यालय द्वारा कर दी गई थी. लेकिन राजस्व पुलिस की जगह रेगुलर पुलिस की व्यवस्था वाले प्रस्ताव पर मौजूदा सरकार अब तक कोई फैसला नहीं ले सकी है. जिसके चलते यह मामला शासन के ठंडे बस्ते पर पड़ा हुआ है.

पढ़ें:उत्तराखंड में बन रहे शौर्य स्थल का जल्द हो सकेगा दीदार

वहीं इस मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा राजस्व क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की तैनाती की व्यवस्था पूरी कर ली गई है. उन्होंने बताया इसका प्रस्ताव पहले ही शासन को भेजा जा चुका है. ऐसे में जब भी शासन से हरी झंडी मिलेगी रेगुलर पुलिस तैनात कर दी जाएगी.

देहरादून: पिछले साल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 6 महीने के अंदर पहाड़ी क्षेत्रों में राजस्व पुलिस की कानून व्यवस्था को हटाकर रेगुलर पुलिस तैनात करने का आदेश दिया था. जिसके बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की तैनाती का प्रस्ताव शासन को भेजा दिया गया था. बावजूद इसके सरकार के आला अधिकारी अब तक इस मामले में कोई कार्रावाई नहीं कर सके है.

राजस्व क्षेत्र में रेगुलर पुलिस व्यवस्था

हाई कोर्ट के आदेशों के बाद थाना और चौकियों के क्षेत्र का विस्तारीकरण कर पर्वतीय गांवों को रेगुलर पुलिस से जोड़ने की कवायद पुलिस मुख्यालय द्वारा कर दी गई थी. लेकिन राजस्व पुलिस की जगह रेगुलर पुलिस की व्यवस्था वाले प्रस्ताव पर मौजूदा सरकार अब तक कोई फैसला नहीं ले सकी है. जिसके चलते यह मामला शासन के ठंडे बस्ते पर पड़ा हुआ है.

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वहीं इस मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा राजस्व क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की तैनाती की व्यवस्था पूरी कर ली गई है. उन्होंने बताया इसका प्रस्ताव पहले ही शासन को भेजा जा चुका है. ऐसे में जब भी शासन से हरी झंडी मिलेगी रेगुलर पुलिस तैनात कर दी जाएगी.

Intro:देहरादून- आधुनिक समय अनुसार अपराध के तरीके हाईटेक होने के चलते जहां एक तरफ देश में पुलिस मॉर्डनाइजेशन की कवायद तेज़ी से चल रही है वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के 65 फ़ीसदी जनाबादी वाले भू भाग में अभी ब्रिटिश काल के समय से राजस्व पुलिस (पटवारी) वाली लचर कानून व्यवस्था चल रही है। हालांकि इसके लिए वर्षों से राजस्व पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग लगातार राज्य बनने से पहले से लेकर अब तक सरकारों से राजस्व क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस को तैनात कर बेहतर कानून व्यवस्था बनाने की मांग है लेकिन पहाड़ वासियों के जनहित मामलों पर सरकारें अब तक इसमें कोई फैसला नहीं ले सकी है, इतना ही नहीं इस पेचीदा मामले को लेकर विगत वर्ष हाईकोर्ट ने भी उत्तराखंड सरकार को 6 माह के अंदर पर्वतीय राजस्व क्षेत्रों में लगातार ध्वस्त हो रही कानून व्यवस्था को दुरुस्त व सुदृढ़ करने मध्यनजर राजस्व क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस व्यवस्था बनाने के आदेश दिए थे । कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार के आला अधिकारी अब तक इस विषय में किसी तरह का कोई फैसला नहीं ले सके हैं जबकि पुलिस मुख्यालय द्वारा राजस्व क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की तैनाती व्यवस्था को लेकर सभी तरह की तमाम तैयारियां का प्रस्ताव शासन को हाईकोर्ट आदेश के कुछ समय बाद भेजा जा चुका है।


Body: उत्तराखंड के पर्वतीय राजस्व क्षेत्रों में पटवारी पुलिस की जगह रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लेकर लगातार चल रही मांग पर हाईकोर्ट द्वारा भी संज्ञान लेते हुए विगत वर्ष जिस तरह से राज्य सरकार को 6 माह के भीतर रेगुलर पुलिस तैनात करने के आदेश दिए गए,कोर्ट के आदेश अमल करते हुए उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा सरकार पर किसी तरह का प्रारंभिक अतिरिक्त वित्तीय बोझ ना बढ़ाते हुए यह फैसला लिया गया कि पूर्व से चली आ रही राज्य की थाना -चौकियों क्षेत्र विस्तारीकरण कर राज्य के 3000 से ज्यादा राजस्व गांव को रेगुलर पुलिस में जोड़ा जा सकता है। थाना चौकियों के क्षेत्र विस्तारीकरण से तमाम उन पर्वतीय गांवो को जोड़ने की भी कवायद मुख्यालय द्वारा कर दी गई है जहां विगत वर्षों में अपराध का ग्राफ एकाएक तेजी से बढ़ा है, लेकिन शुरुआती दौर में बिना किसी वित्तीय भार के पटवारी पुलिस जगह रेगुलर पुलिस की व्यवस्था पर बनाने वाले प्रस्ताव पर मौजूदा सरकार अब तक कोई फैसला नहीं ले सकी है जिसके चलते यह मामला शासन के ठंडे बस्ते पर पड़ा है।

उधर इस मामले में उत्तराखंड में अपराध व कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की मानें तो मुख्यालय द्वारा राजस्व क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस तैनाती व्यवस्था की सभी तरह की तैयारियां वाला प्रस्ताव काफी दिनों पहले ही शासन को भेजा जा चुका है ऐसे में जब भी शासन से हरी झंडी मिलेगी उसके मुताबिक ही जरूरत के मुताबिक पहाड़ी क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस तैनात कर दी जाएगी। डीजी अशोक कुमार के मुताबिक शासन को यह पहले ही प्रस्ताव में अवगत करा दिया जा चुका है कि राज्य के कुछ ऐसे पर्वती राजस्व क्षेत्र है जहां समय अनुसार आबादी वह भीड़भाड़ बढ़ने के चलते ही अपराधी मामले बढ़े हैं जिसके कारण वहां कानून व्यवस्था बनानी बेहद ही जरूरी है प्रस्ताव अनुसार ऐसे स्थानों में बिना किसी खर्चे के ही पूर्व में चल रहे थाना चौकी के क्षेत्र विस्तारीकरण को बढ़ाने के साथ ही रेगुलर पुलिस को तैनात किया जा सकता है, साथ ही जहां विस्तारीकरण नहीं हो सकता है वहां नए थाना चौकी खोलकर समयानुसार कानून व्यवस्था सुदृढ़ की जा सकती है ऐसे में अब सरकार ही इस मामले पर फैसला ले सकती है पुलिस मुख्यालय द्वारा सभी तैयारियों को शासन भेजा जा चुका है।

बाईट-अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक ,अपराध व कानून व्यवस्था


Conclusion:उधर वक्त अनुसार उत्तराखंड के कई राजस्व पर्वतीय क्षेत्रों में संख्या बल के आधार पर आबादी बढ़ने के साथ ही अपराधिक घटनाओं का ग्राफ एकाएक लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन ब्रिटिशकाल से चली आ रही पटवारी पुलिस व्यवस्था अपराधिक घटना हुआ पर्दाफाश कर अपराधियों पर लगाम लगाने में ज्यादातर नाकाम साबित होती आई है, ऐसे में कई बार ऐसा देखने में आया है कि पर्वती राजस्व क्षेत्रों होने वाले संगीन व जघन्य अपराधों को वर्कआउट करने के लिए रेगुलर पुलिस का ही सहारा लेना पड़ता है। जानकारों के मुताबिक पहाड़ के राजस्व क्षेत्रों में पटवारी पुलिस अपने मूल राजस्व कार्यों में व्यस्तता के चलते अतिरिक्त कानून व्यवस्था को सुचारू करने में अरसे से ही फिसड्डी रही है। बहराल पर्वतीय क्षेत्रों में ब्रिटिश काल से चली आ रही लचर पटवारी पुलिस व्यवस्था पर रेगुलर पुलिस व्यवस्था को मुख्यालय के प्रस्ताव के बावजूद जिस तरह से शासन के ठंडे बस्ते में डाल चुकी है उससे यह कहना मुश्किल है कि पहाड़ों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कब बहाल होगी।
Last Updated : Mar 6, 2019, 7:15 AM IST
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