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देवभूमि में अधूरा रहा गया मनोहर पर्रिकर का ये सपना, विजन से भी भटका प्रोजेक्ट

उत्तराखंड में बनने जा रहे पहले शौर्य स्थल की परिकल्पना मनोहर पर्रिकर ने ही की थी. 20 अप्रैल 2016 को मनोहर पर्रिकर ने शौर्य स्थल के शिलान्यास के वक्त वादा किया था कि वो इसका उद्घाटन कर शहीदों को सम्मान देंगे.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का सपना अधूरा
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Published : Mar 19, 2019, 9:19 PM IST

देहरादून: पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए, लेकिन उनका देवभूमि में एक सपना अधूरा रह गया. उनके सपने को साकार करने के लिए आज काम तो चल रहा है, लेकिन उसका विजन एकदम अलग है.

दरअसल, उत्तराखंड में बनने जा रहे पहले शौर्य स्थल की परिकल्पना मनोहर पर्रिकर ने ही की थी. 20 अप्रैल 2016 को मनोहर पर्रिकर ने शौर्य स्थल के शिलान्यास के वक्त वादा किया था कि वो इसका उद्घाटन कर शहीदों को सम्मान देंगे. मनोहर पर्रिकर द्वारा जिस शौर्य स्थल की नींव रखी गई थी, वो आज बन तो रहा है, लेकिन उस सोच और विजन के साथ नहीं जो उस वक्त देखा गया था.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का सपना अधूरा

उस वक्त इस शौर्य स्थल को भव्य बनाने की कल्पना की गई थी लेकिन आज शौर्य स्थल कल्पना के विपरीत है. यहां पर सिर्फ कुछ पत्थर गाड़कर और एक मूर्ति लगाकर इतिश्री कर दिया गया है.

वहीं इस शौर्य स्थल के शिलान्यास के वक्त कई प्रोजेक्ट इसमें शामिल किए गए थे. जिसमें शौर्य स्थल पर म्यूजियम, 3D पेंटिंग और शहीदों की शौर्य गाथा जैसे कई अहम प्रोजेक्ट थे. अगर इस सब पर अमल किया जाता तो ये एक भव्य शौर्य स्थल के रूप में देखा जा सकता था. ऐसे में मौजूदा समय में जो शौर्य स्थल बन रहा है वो मनोहर पर्रिकर की परिकल्पना का आधा ही है.

वहीं जब ईटीवी भारत ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि शौर्य स्थल का निर्माण देहरादून कैंटोनमेंट बोर्ड करवा रहा है. साथ ही इस प्रोजेक्ट में फंड की कमी की भी बात सामने आ रही है. ऐसे में सवाल अब यही है कि क्या शहीदों के सम्मान के लिए या फिर शौर्य स्थल के निर्माण के लिए फंड का रोना कब तक रोया जाएगा.

देहरादून: पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए, लेकिन उनका देवभूमि में एक सपना अधूरा रह गया. उनके सपने को साकार करने के लिए आज काम तो चल रहा है, लेकिन उसका विजन एकदम अलग है.

दरअसल, उत्तराखंड में बनने जा रहे पहले शौर्य स्थल की परिकल्पना मनोहर पर्रिकर ने ही की थी. 20 अप्रैल 2016 को मनोहर पर्रिकर ने शौर्य स्थल के शिलान्यास के वक्त वादा किया था कि वो इसका उद्घाटन कर शहीदों को सम्मान देंगे. मनोहर पर्रिकर द्वारा जिस शौर्य स्थल की नींव रखी गई थी, वो आज बन तो रहा है, लेकिन उस सोच और विजन के साथ नहीं जो उस वक्त देखा गया था.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का सपना अधूरा

उस वक्त इस शौर्य स्थल को भव्य बनाने की कल्पना की गई थी लेकिन आज शौर्य स्थल कल्पना के विपरीत है. यहां पर सिर्फ कुछ पत्थर गाड़कर और एक मूर्ति लगाकर इतिश्री कर दिया गया है.

वहीं इस शौर्य स्थल के शिलान्यास के वक्त कई प्रोजेक्ट इसमें शामिल किए गए थे. जिसमें शौर्य स्थल पर म्यूजियम, 3D पेंटिंग और शहीदों की शौर्य गाथा जैसे कई अहम प्रोजेक्ट थे. अगर इस सब पर अमल किया जाता तो ये एक भव्य शौर्य स्थल के रूप में देखा जा सकता था. ऐसे में मौजूदा समय में जो शौर्य स्थल बन रहा है वो मनोहर पर्रिकर की परिकल्पना का आधा ही है.

वहीं जब ईटीवी भारत ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि शौर्य स्थल का निर्माण देहरादून कैंटोनमेंट बोर्ड करवा रहा है. साथ ही इस प्रोजेक्ट में फंड की कमी की भी बात सामने आ रही है. ऐसे में सवाल अब यही है कि क्या शहीदों के सम्मान के लिए या फिर शौर्य स्थल के निर्माण के लिए फंड का रोना कब तक रोया जाएगा.

Intro:एंकर- देश के पूर्व रक्षा मंत्री और गोआ के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन से जहां एक तरफ़ पूरे देश मे शोक की लहर है तो वहीं देहरादून से भी मनोहर पर्रिकर की कुछ खास यादें जुड़ी हुई है। पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की देहरादून में शहीदों से जुड़ी कुछ दिली इच्छा थी जो अधूरी रह गयी क्या है पूरा वाकया आपको बताते हैं।


Body:देश के पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पारिकर अब हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी जिंदादिली और व्यक्तित्व को हमेशा याद किया जाएगा। मनोहर पारिकर की देहरादून से भी एक अटूट याद जुड़ी हुई है। उत्तराखंड में बनने जा रहे पहले शौर्य स्थल की परिकल्पना को पहली दफा पंख देने वाले मनोहर परिकर ने ही की उन्हीं के प्रयासों से हमें अपना पहला शौर्य स्थल मिलने जा रहा था। 20 अप्रेल 2016 को इस शौर्य स्थल के शिलान्यास पर उन्होंने वादा किया था की वही इस शौर्य स्थल के लोकार्पण कर शहीदों को वास्तविक सम्मान देने का काम करेंगे। लेकिन ना तो इस शौर्य स्थल के लोकार्पण पर उपस्थित रहने का वादा पूरा हो पाया और ना ही उनकी वह परिकल्पना जिसके साथ उन्होंने इस शौर्य स्थल की नींव रखी थी। मनोहर पारिकर द्वारा जिस शौर्य स्थल की नींव रखी गई थी वह आज बन तो रहा है लेकिन उस सोच और विजन के साथ नहीं जो उस वक्त देखा गया था। उस वक्त इस शौर्य स्थल को भव्य आधुनिक बनाने की कल्पना की गई थी लेकिन आज इस शौर्य स्थल को केवल पत्थरों पर कुछ शहीदों के नाम मात्र गडकर और एक मूर्ति लगाकर शहीद स्थल या शौर्य स्थल बनाने की केवल मात्र इतिश्री की जा रही है। जब इस शौर्य स्थल का शिलान्यास किया गया था तो कई योजनाएं इस शौर्य स्थल में सम्मिलित की गई थी जिनमें शौर्य स्थल पर म्यूजियम 3D पेंटिंग और शहीदों की शौर्य गाथा के अलावा तमाम इस तरह के निर्माण शौर्य स्थल में शामिल किए गए थे जो कि एक भव्य शौर्य स्थल के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन आज जो शौर्य स्थल बनाया जा रहा है वह उस परिकल्पना का आधा भी नहीं है। हालांकि जब इस बारे में हमने जानकारी जुटानी चाहि तो पता चला कि शौर्य स्थल का निर्माण देहरादून कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा किया जा रहा है जो कि फंड की कमी से सीमित रूप में सारे स्थल का निर्माण किया जा रहा है। सवाल अब यही है कि क्या शहीदों के सम्मान के लिए या फिर शौर्य स्थल के निर्माण के लिए फंड का रोना कब तक रोया जाएगा।


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