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स्कूल बंद करने के फरमान से अधर में लटका 300 बच्चों का भविष्य, दर-दर भटक रहे अभिभावक

पिछले 6 महीने से स्कूल द्वारा नए सेशन में एडमिशन लिए जा रहे थे. जिसके बाद अचानक स्कूल प्रबंधन  ने अभिभावकों से स्कूल बंद करने की बात कही. उन्होंने कहा अचानक स्कूल बंद करने के फैसले के बाद आरटीई में पढ़ रहे 52 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है.

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Published : Mar 12, 2019, 4:34 AM IST

परेशान हुए अभिभावक.

देहरादून: सहस्त्रधारा रोड पर स्थित एक पब्लिक स्कूल ने अभिभावकों को शॉर्ट नोटिस देकर स्कूल बंद करने का फरमान सुनाया. जिसके बाद अभिभावकों का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. जिसके बाद आक्रोशित अभिभावकों ने नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के बैनर तले शिक्षा विभाग के मुख्य शिक्षा अधिकारी को इस संबंध में ज्ञापन भेजा. जिसमें अभिभावकों ने स्कूल के इस फैसलों को गलत ठहराते हुए मदद की गुहार लगाई है.

परेशान हुए अभिभावक.


मुख्य शिक्षा अधिकारी को भेजे गये पत्र में अभिभावकों ने कहा है कि स्कूल को बंद करने के फैसले से स्कूल में पढ़ रहे 300 बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर उनकी बात न सुनने का आरोप लगाया है. नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि पिछले 6 महीने से स्कूल द्वारा नए सेशन में एडमिशन लिए जा रहे थे. जिसके बाद अचानक स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों से स्कूल बंद करने की बात कही. उन्होंने कहा अचानक स्कूल बंद करने के फैसले के बाद आरटीई में पढ़ रहे 52 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है.


आरिफ खान ने कहा कि अगर स्कूल प्रबंधन को स्कूल बंद ही करना था अभिभावकों को एक साल पहले इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी ताकि वे कहीं और व्यवस्था कर पाते. मुख्य शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में अभिभावकों ने मांग की है कि या तो स्कूल उनके बच्चों को किसी अन्य स्कूल में शिफ्ट करे, या फिर स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को एक साल से पहले स्कूल बंद न करने का आश्वासन दें.

देहरादून: सहस्त्रधारा रोड पर स्थित एक पब्लिक स्कूल ने अभिभावकों को शॉर्ट नोटिस देकर स्कूल बंद करने का फरमान सुनाया. जिसके बाद अभिभावकों का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. जिसके बाद आक्रोशित अभिभावकों ने नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के बैनर तले शिक्षा विभाग के मुख्य शिक्षा अधिकारी को इस संबंध में ज्ञापन भेजा. जिसमें अभिभावकों ने स्कूल के इस फैसलों को गलत ठहराते हुए मदद की गुहार लगाई है.

परेशान हुए अभिभावक.


मुख्य शिक्षा अधिकारी को भेजे गये पत्र में अभिभावकों ने कहा है कि स्कूल को बंद करने के फैसले से स्कूल में पढ़ रहे 300 बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर उनकी बात न सुनने का आरोप लगाया है. नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि पिछले 6 महीने से स्कूल द्वारा नए सेशन में एडमिशन लिए जा रहे थे. जिसके बाद अचानक स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों से स्कूल बंद करने की बात कही. उन्होंने कहा अचानक स्कूल बंद करने के फैसले के बाद आरटीई में पढ़ रहे 52 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है.


आरिफ खान ने कहा कि अगर स्कूल प्रबंधन को स्कूल बंद ही करना था अभिभावकों को एक साल पहले इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी ताकि वे कहीं और व्यवस्था कर पाते. मुख्य शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में अभिभावकों ने मांग की है कि या तो स्कूल उनके बच्चों को किसी अन्य स्कूल में शिफ्ट करे, या फिर स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को एक साल से पहले स्कूल बंद न करने का आश्वासन दें.

Intro:सहस्त्रधारा रोड स्थित एक पब्लिक स्कूल द्वारा शॉर्ट नोटिस में स्कूल बंद किए जाने के फरमान को सुनाने के बाद अभिभावकों का आक्रोश फूट पड़ा, अभिभावकों ने नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के बैनर तले शिक्षा विभाग के मुख्य शिक्षा अधिकारी को इस संबंध में ज्ञापन प्रेषित किया।


Body: अभिभावकों ने कहा कि स्कूल को बंद करने के फैसले से स्कूल में पढ़ रहे 300 बच्चों जिसमें 52 बच्चे आरटीई के तहत शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं ,उनका भविष्य संकट में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन उनसे कोई भी बात करने को राजी नहीं है और ना ही बच्चों को कोई व्यवस्था करने को लेकर सहमति दे रहा है। अभिभावकों ने शिक्षा विभाग में गुहार लगाई के या तो वह अपने स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को कहीं और स्थानांतरित करें या फिर अपने स्कूल को अगले वर्ष तक बंद ना करें ताकि अभिभावक अपने बच्चों का एडमिशन समय रहते किसी अन्य स्कूल में कर सके। वहीं नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि कि विगत 6 महीने से स्कूल द्वारा नए सेशन में एडमिशन लिए जा रहे थे अचानक स्कूल ने अभिभावकों से कहा कि स्कूल बंद किया जा रहा है और अपने बच्चों की व्यवस्था किसी और स्कूल में कर लें अचानक स्कूल बंद करने के फैसले के बाद आरटीई में पढ़ रहे 52 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है, उन्होंने कहा कि यदि प्रबंधन ने स्कूल को बंद करना ही था तो अभिभावकों को 1 वर्ष पहले इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी ताकि अभिभावक अपने बच्चों की व्यवस्था अन्य स्कूलों में कर सकें। उन्होंने मांग करेगी स्कूल प्रबंधन प्रभावित बच्चों को एडमिशन कहीं और अन्य स्कूलों में अपनी व्यवस्था के तहत कराये, जो कि अभिभावक खुद नहीं करेंगे और दूसरे विकल्प के रूप में स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को आश्वासन प्रदान करें कि हम इस वर्ष स्कूल बंद नहीं कर रहे हैं अगले वर्ष बंद करेंगे ।
बाईट- शबनम ,अभिभावक
बाइट आरिफ खान, अध्यक्ष, नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स।


Conclusion:राजधानी देहरादून को एजुकेशन हब के नाम से भी जाना जाता है , इस शहर की शायद ही कोई गली या मोहल्ला ऐसा छुटा है, जहां कोई स्कूल संचालित नही हो रहा हो। मगर यहां आये दिन पब्लिक स्कूलों की मनमानी अभिभावकों के लिये परेशानी का सबब बनती जा रही है, जिसका नतीजा उन अभिभावकों के आक्रोश के रूप मे देखने को मिलता है जिन्होंने अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के सपने बुने हुए हैं।
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