देहरादून: बीती 18 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पहुंच कर गुफा में ध्यान लगाया था. जिसके बाद से ही ये ध्यान गुफा देश और विदेशों में चर्चा का केंद्र बन गई. जिसे देखते हुए गढ़वाल मंडल विकास निगम ने केदारनाथ की इस ध्यान गुफा के लिए ऑनलाइन बुकिंग शुरू कर दी है. साथ ही गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारियों का कहना है कि ऐसी ही कुछ गुफाएं और भी खोजी जाएंगी. जिससे की देश-विदेश के लोग यहां आकर मेडिटेशन कर सकें. इसके अलावा चारों धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुए चार धाम विकास परिषद ने कई अहम फैसले लिए हैं.
मामले की जानकारी देते हुए चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिवप्रसाद ममगांई ने बताया कि अन्य धामों में भी केदारनाथ की तर्ज पर ध्यान गुफाएं तलाशी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड को पूरे विश्व पटल पर प्रचारित किया है, उससे आने वाले समय में यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने वाली है.
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शिवप्रसाद ममगांई ने कहा कि बदरीनाथ में आम श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए वीवीआईपी और वीआईपी की कतार में कटौती करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर सकें इसके लिए मंदिर समिति को निर्देशित कर दिया गया है. इसके अलावा चारों धामों में साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है.
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चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष ने कहा कि इन दिनों प्रदेश में ऑल वेदर रोड का कार्य प्रगति पर है. ऐसे में सभी संबंधित अधिकारियों के साथ जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि यात्रा मार्गों पर लगातार पानी का छिड़काव करवाया जाये, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो. उन्होंने बताया कि सोनप्रयाग के निकट त्रिजुगीनारायण विशेष तीर्थ स्थल के रूप में विद्यमान है जहां भगवान शंकर ने अपने विवाह के समय स्वयं अग्नि स्थापित की थी. जहां आज भी धूनी जल रही है. उन्होंने कहा कि चार धाम विकास परिषद का प्रयास है कि वहां भी श्रद्धालु दर्शन करने जाएं. इस स्थान के आसपास अन्य गुफाएं भी हैं, जिन्हें विकसित किया जाएगा ताकि वहां भी लोगों का आना जाना लगा रहे.
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ दौरे के बाद ध्यान गुफा देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ख्याति अर्जित की. जिसके बाद चार धाम विकास परिषद ऐसी अन्य गुफाओं की भी तलाश कर रहा है. जहां आकर लोग ध्यान लगा सकें. इससे न सिर्फ उत्तराखंड की आर्थिक आय मजबूत होगी बल्कि पर्यटन पर आधारित प्रदेश को भी नई पहचान मिलेगी.