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निशंक को मिला मानव संसाधन मंत्रालय, बदहाल शिक्षा व्यवस्था में बढ़ी सुधार की उम्मीदें

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एचआरडी की जिम्मेदारी मिलने के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है. उत्तराखंड में दयनीय स्थिति से गुजर रहे शिक्षा विभाग में सुधार हो सकता है.

उत्तराखंड शिक्षा विभाग.
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Published : Jun 1, 2019, 1:23 PM IST

देहरादून: केंद्रीय कैबिनेट में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एमएचआरडी की जिम्मेदारी मिलने के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है. उत्तराखंड में दयनीय स्थिति से गुजर रहे शिक्षा विभाग में बड़ा बदलाव आ सकता है. शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए केंद्र से मिलने वाला बजट बेहद महत्वपूर्ण है. लेकिन कुछ सालों से एक बड़ी रकम केंद्र पर बकाया है. अब निशंक को मानव संसाधन मंत्रालय मिलने के बाद देवभूमि की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के कयास लगाए जा रहे हैं.

उत्तराखंड शिक्षा विभाग.

पढ़ें: खुशखबरी: सूबे में जल्द शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया, भरे जाएंगे 40 हजार रिक्त पद

शिक्षा विभाग को केंद्र से मिलने वाला बजट

बता दें कि उत्तराखंड में केंद्र पोषित योजनाओं का बड़ा बजट आता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में एक बड़ी रकम केंद्र पर बकाया है. जिसके चलते केंद्रीय योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. जानकारी के अनुसार अकेले शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाले बजट में ही करीब 237 करोड़ का बकाया है. जबकि सर्व शिक्षा अभियान रमसा और मिड-डे मील जैसी योजनाओं में भी 80 करोड़ से ज्यादा की रकम केंद्र से मिलनी बाकी है.

देखा जाए तो केंद्र से लगभग 300 करोड़ रुपये के बजट की दरकार अकेले उत्तराखंड शिक्षा महकमे को है. डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के मानव संसाधन मंत्री बनने के इस बजट की मिलने की उम्मीदें बढ़ गई है.

राज्य सरकार का शिक्षा पर खर्च

गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार अपने बजट का 16% हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती है. जिसका अधिकतर भाग तनख्वाह और अयोजनगत मद पर ही खर्च हो जाता है. राज्य स्थापना के समय करीब 6 अरब रुपए शिक्षा महकमे पर खर्च किए जाते थे. जो अब बढ़कर 60 अरब से ज्यादा पहुंच चुका है. लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर अबतक तैयार नहीं किया गया है. शिक्षा महकमे में बजट तो बड़ा है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में तेजी से कमी आई है.

यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत तक घट चुकी है. राज्य में 30 प्रतिशत से ज्यादा स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है. मैदानी इलाकों में ही सरकारी स्कूल सुविधाओं का रोना रो रही है. वहीं, पहाड़ में सरकारी स्कूलों की हालत तो बद से बदतर होती चली जा रही है.

पहाड़ों में सरकारी स्कूल के भवन जर्जर हालत में हैं. चारदीवारी के स्कूल और स्कूलों में लाइब्रेरी की कमी समेत तमाम जरूरी सुविधाएं हाशिए पर दिखाई देती हैं. ऐसे में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एमएचआरडी की जिम्मेदारी मिलना उत्तराखंड शिक्षा महकमे के लिए सुखदाई दिखाई देता है. केंद्रीय बजट की मदद से डॉ. निशंक उत्तराखंड में न केवल मैदानी बल्कि पहाड़ी जिलों के स्कूलों के हालात सुधारने में अहम योगदान दे सकते हैं.

देहरादून: केंद्रीय कैबिनेट में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एमएचआरडी की जिम्मेदारी मिलने के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है. उत्तराखंड में दयनीय स्थिति से गुजर रहे शिक्षा विभाग में बड़ा बदलाव आ सकता है. शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए केंद्र से मिलने वाला बजट बेहद महत्वपूर्ण है. लेकिन कुछ सालों से एक बड़ी रकम केंद्र पर बकाया है. अब निशंक को मानव संसाधन मंत्रालय मिलने के बाद देवभूमि की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के कयास लगाए जा रहे हैं.

उत्तराखंड शिक्षा विभाग.

पढ़ें: खुशखबरी: सूबे में जल्द शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया, भरे जाएंगे 40 हजार रिक्त पद

शिक्षा विभाग को केंद्र से मिलने वाला बजट

बता दें कि उत्तराखंड में केंद्र पोषित योजनाओं का बड़ा बजट आता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में एक बड़ी रकम केंद्र पर बकाया है. जिसके चलते केंद्रीय योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. जानकारी के अनुसार अकेले शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाले बजट में ही करीब 237 करोड़ का बकाया है. जबकि सर्व शिक्षा अभियान रमसा और मिड-डे मील जैसी योजनाओं में भी 80 करोड़ से ज्यादा की रकम केंद्र से मिलनी बाकी है.

देखा जाए तो केंद्र से लगभग 300 करोड़ रुपये के बजट की दरकार अकेले उत्तराखंड शिक्षा महकमे को है. डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के मानव संसाधन मंत्री बनने के इस बजट की मिलने की उम्मीदें बढ़ गई है.

राज्य सरकार का शिक्षा पर खर्च

गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार अपने बजट का 16% हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती है. जिसका अधिकतर भाग तनख्वाह और अयोजनगत मद पर ही खर्च हो जाता है. राज्य स्थापना के समय करीब 6 अरब रुपए शिक्षा महकमे पर खर्च किए जाते थे. जो अब बढ़कर 60 अरब से ज्यादा पहुंच चुका है. लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर अबतक तैयार नहीं किया गया है. शिक्षा महकमे में बजट तो बड़ा है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में तेजी से कमी आई है.

यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत तक घट चुकी है. राज्य में 30 प्रतिशत से ज्यादा स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है. मैदानी इलाकों में ही सरकारी स्कूल सुविधाओं का रोना रो रही है. वहीं, पहाड़ में सरकारी स्कूलों की हालत तो बद से बदतर होती चली जा रही है.

पहाड़ों में सरकारी स्कूल के भवन जर्जर हालत में हैं. चारदीवारी के स्कूल और स्कूलों में लाइब्रेरी की कमी समेत तमाम जरूरी सुविधाएं हाशिए पर दिखाई देती हैं. ऐसे में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एमएचआरडी की जिम्मेदारी मिलना उत्तराखंड शिक्षा महकमे के लिए सुखदाई दिखाई देता है. केंद्रीय बजट की मदद से डॉ. निशंक उत्तराखंड में न केवल मैदानी बल्कि पहाड़ी जिलों के स्कूलों के हालात सुधारने में अहम योगदान दे सकते हैं.

Intro:केंद्रीय कैबिनेट में जगह पाने वाले डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के पास उत्तराखंड के पहाड़ों में शिक्षा के हालातों को सुधारने का बड़ा मौका है... डॉ निशंक को केंद्रीय कैबिनेट में एचआरडी का जिम्मा मिला है...जिससे उत्तराखंड में दयनीय हालात से गुजर रहे शिक्षा महकमे को ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद है

उत्तराखंड में केंद्र पोषित योजनाओं का बड़ा बजट आता है लेकिन पिछले कुछ सालों में एक बड़ी रकम केंद्र पर बकाया है जिसके चलते केंद्रीय योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। जानकारी के अनुसार अकेले शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाले बजट में ही करीब 237 करोड़ का बकाया बचा हुआ है जबकि सर्व शिक्षा अभियान रमसा और मिड डे मील जैसी योजनाओं में भी केंद्र से पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाया है। 100 शिक्षा अभियान रमसा और मिड डे मील के तहत करीब 80 करोड़ से ज्यादा की रकम केंद्र से मिलनी है जिसको लेकर पिछले लंबे समय से राज्य सरकार प्रयास कर रही थी। देखा जाए तो कुल 300 करोड़ के आसपास केंद्रीय योजनाओं के बजट की दरकार उत्तराखंड शिक्षा महकमे को है जो अब डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के मानव संसाधन मंत्री बनने के बाद मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।


Body:उत्तराखंड सरकार अपने बजट का 16% हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती है...जिसका अधिकतर भाग तनख्वाह और अयोजनगत मद में ही खर्च हो जाता है। राज्य स्थापना के समय करीब 6 अरब रुपए शिक्षा महकमे पर खर्च किए जाते थे जो अब बढ़कर 60 अरब से ज्यादा पहुंच चुका है लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर अबतक तैयार नही किया जा चुका है... इसका नतीजा है कि पिछले कुछ सालों में ही प्राथमिक विद्यालयों में 50% तक बच्चों की संख्या घट चुकी है जबकि माध्यमिक में भी हालत बदतर बने हुए हैं। राज्य में 30 प्रतिशत से ज्यादा स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नही है। खास बात यह है कि शिक्षा महकमे में बजट तो बड़ा है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में तेजी से कमी आई है।

खासकर पहाड़ों की स्थिति तो बद से बदतर दिखाई देती है मैदानी जिलों में ही सुविधाओं का रोना रो रहे सरकारी स्कूलों के हालात पहाड़ों में और भी खराब दिखाई देते हैं पहाड़ी जिलों में जर्जर भवन, बिना चारदीवारी के स्कूल और स्कूलों में लाइब्रेरी की कमी समेत तमाम जरूरी सुविधाएँ हासिये पर दिखाई देती हैं। ऐसे में डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को एचआरडी की जिम्मेदारी मिलना उत्तराखंड शिक्षा महकमे के लिए सुखदाई दिखाई देता है। केंद्रीय बजट की मदद से डॉ निशंक उत्तराखंड के न केवल मैदानी बल्कि पहाड़ी जिलों के स्कूलों की मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने में अहम योगदान निभा सकते हैं।

उत्तराखंड में शिक्षा के लिहाज से इन पर होगा फोकस

उत्तराखंड में स्कूलों के भवनों का सुधारीकरण कर शौचालय, पेयजल, चारदीवारी की परेशानियों पर फोकस

पहाड़ों पर शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए किसी विशेष बदलाव की कोशिश

शिक्षा की गुणवत्ता में कमी के कारणों पर फोकस कर इसमे बदलाव

सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के समानांतर खड़ा करना

स्कूलों में आवश्यक लाइब्रेरी निर्माण , कम्प्यूटर क्लासेस देने जैसे जरूरी कदम उठाना

सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ट्रेनिंग पर भी होगा फोकस

सरकारी स्कूलों को लेकर अभिभावकों के नकारात्मक सोच को बदलने की जरूरत

सरकारी स्कूलों के छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को चलाए जाने की जरूरत

डॉ निशंक के पास यह एक बड़ा मौका है कि वह उत्तराखंड की शिक्षा नीतियों और व्यवस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन कर राज्य की शिक्षा के खराब हालातों को सुधार सकते हैं। दरअसल उत्तराखंड में शिक्षा महकमे की बेहतरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बजट की बनी रहती है जिसे अब केंद्रीय बजट से पूरा किया जा सकता है इसके अलावा केंद्रीय स्तर पर मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर उत्तराखंड में योजनाओं और कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से चलाने पर भी जोर दिया जा सकता है।


Conclusion:केंद्रीय कैबिनेट में एचआरडी की जिम्मेदारी मिलने के बाद डॉ निशंक अगर इन बिंदुओं पर फोकस करते हैं तो उत्तराखंड शिक्षा महकमे की तस्वीर बदल सकती है लेकिन इसके लिए केंद्रीय बजट की जरूरत और उत्तराखंड सरकार के साथ बेहतर समन्वय भी बेहद जरूरी है।
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