देहरादून: केंद्रीय कैबिनेट में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एमएचआरडी की जिम्मेदारी मिलने के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है. उत्तराखंड में दयनीय स्थिति से गुजर रहे शिक्षा विभाग में बड़ा बदलाव आ सकता है. शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए केंद्र से मिलने वाला बजट बेहद महत्वपूर्ण है. लेकिन कुछ सालों से एक बड़ी रकम केंद्र पर बकाया है. अब निशंक को मानव संसाधन मंत्रालय मिलने के बाद देवभूमि की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के कयास लगाए जा रहे हैं.
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शिक्षा विभाग को केंद्र से मिलने वाला बजट
बता दें कि उत्तराखंड में केंद्र पोषित योजनाओं का बड़ा बजट आता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में एक बड़ी रकम केंद्र पर बकाया है. जिसके चलते केंद्रीय योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. जानकारी के अनुसार अकेले शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाले बजट में ही करीब 237 करोड़ का बकाया है. जबकि सर्व शिक्षा अभियान रमसा और मिड-डे मील जैसी योजनाओं में भी 80 करोड़ से ज्यादा की रकम केंद्र से मिलनी बाकी है.
देखा जाए तो केंद्र से लगभग 300 करोड़ रुपये के बजट की दरकार अकेले उत्तराखंड शिक्षा महकमे को है. डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के मानव संसाधन मंत्री बनने के इस बजट की मिलने की उम्मीदें बढ़ गई है.
राज्य सरकार का शिक्षा पर खर्च
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार अपने बजट का 16% हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती है. जिसका अधिकतर भाग तनख्वाह और अयोजनगत मद पर ही खर्च हो जाता है. राज्य स्थापना के समय करीब 6 अरब रुपए शिक्षा महकमे पर खर्च किए जाते थे. जो अब बढ़कर 60 अरब से ज्यादा पहुंच चुका है. लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर अबतक तैयार नहीं किया गया है. शिक्षा महकमे में बजट तो बड़ा है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में तेजी से कमी आई है.
यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत तक घट चुकी है. राज्य में 30 प्रतिशत से ज्यादा स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है. मैदानी इलाकों में ही सरकारी स्कूल सुविधाओं का रोना रो रही है. वहीं, पहाड़ में सरकारी स्कूलों की हालत तो बद से बदतर होती चली जा रही है.
पहाड़ों में सरकारी स्कूल के भवन जर्जर हालत में हैं. चारदीवारी के स्कूल और स्कूलों में लाइब्रेरी की कमी समेत तमाम जरूरी सुविधाएं हाशिए पर दिखाई देती हैं. ऐसे में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एमएचआरडी की जिम्मेदारी मिलना उत्तराखंड शिक्षा महकमे के लिए सुखदाई दिखाई देता है. केंद्रीय बजट की मदद से डॉ. निशंक उत्तराखंड में न केवल मैदानी बल्कि पहाड़ी जिलों के स्कूलों के हालात सुधारने में अहम योगदान दे सकते हैं.