देहरादून: राजधानी देहरादून में लेखक राम प्रकाश अग्रवाल के तीसरे उपन्यास दरिया पार का शहर का लोकार्पण प्रेस क्लब में किया गया. भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर आधारित इस उपन्यास को प्रेम कहानी से जोड़कर लिखा गया है. दून प्रेस क्लब में राम प्रकाश अग्रवाल के तीसरे उपन्यास दरिया पार का शहर का लोकार्पण किया गया.
इस मौके पर जाने-माने साहित्यकार और लेखक गुरदीप खुराना ने कहा कि दरिया पार का शहर कई लिहाज उसे एक अलग तरीके का उपन्यास है. इसमें 1947 के विभाजन की जो तस्वीर खींची गई है, वो बेहद रोमांचक और हैरान कर देने वाली हैं. उस दौरान लोगों ने किस कदर तकलीफें झेली होंगी. इससे इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
साहित्यकार खुराना ने कहा कि इतनी शिद्दत से बेहद कम उपन्यास लिखे गए हैं .इस उपन्यास की विशेषता यह है कि लेखक ने स्वयं विभाजन के समय को अपनी आंखों से देखा है और यही कारण है कि लेखक ने उस दौरान के अपने अनुभवों को किताब के माध्यम से साझा किया है.
दरअसल, दरिया का पार के लेखक राम प्रकाश अग्रवाल खुद किशोरावस्था में विभाजन की घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं. पुस्तक के लेखक राम प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि उपन्यास की कहानी बड़ी रोचक है और यह भाषा सरल, सहज शब्दों में लिखी गई है.
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यह उपन्यास महिला के जीवन की त्रासदी और कुंठाओं को सामने लाता है, लेकिन सबसे सुखद पहलू यह है कि उपन्यास का अंत सुखद है. लेखक राम प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि ने अपनी बात रखते हुए लिखा है कि सन 1947 में देश का बंटवारा हुआ था और देश के बंटवारे के पूर्व विभिन्न धर्म के समुदाय एक साथ भाईचारे के साथ रहते थे और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए आपसी प्रेमभाव से रह रहे थे.
अचानक बंटवारे के पश्चात ऐसा क्या हुआ कि वही लोग पूर्व के आपसी रिश्ते नाते, मित्रता, भाईचारा, प्यार मोहब्बत को भुलाकर एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए.