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देवभूमि में सड़कों पर घूमने को मजबूर गोवंश

देहरादून में गाय सड़कों पर घूमने को मजबूर हैं. शहर में गोवंश यातायात मार्ग को बाधित कर रहे हैं.

सड़कों पर घूमती गाय.
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Published : Apr 25, 2019, 2:51 PM IST

देहरादनू: देशभर में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है. लेकिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मवेशी सड़कों पर घूमने को मजबूर हैं. शहर में गोवंश पशु यातायात मार्ग को बाधित कर रहे हैं. बावजूद इसके नगर निगम इस ओर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा. नगर मिगम का कहना है कि शहर में सिर्फ एक ही कांजी हाउस होने की वजह से आवारा पशुओं को संभालना मुश्किल हो गया है.

सड़क पर घूमती गाय.

बता दें कि नगर निगम के कांजी हाउस में क्षमता से 3 गुना से अधिक पशु मौजूद हैं. नगर निगम के कांजी हाउस में 80 पशु रखने की क्षमता है लेकिन पशुओं की तादाद बढ़ने के कारण 300 से अधिक पशु कांजी हाउस में मौजूद हैं. अब आवारा पशु शहर की सड़कों पर आ गए हैं. जिस कारण शहर में आए दिन हादसे हो रहे हैं.

वहीं, स्थानीय लोग आवारा पशु को सड़कों से हटाने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि पशुओं के झुंड से यातायात बाधित हो जाता है. साथ ही सड़क हादसा होने का खतरा भी बना रहता है. दूसरी ओर नगर निगम दो ओर कांजी हाउस खोलने की बात कह रहा है. साथ ही आचार संहिता का हवाला देकर पल्ला भी छाड़ रहा है.

नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्सक विवेकानंद सती ने बताया कि नगर निगम का दायरा बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र अब शहरी हो गए हैं. जिससे शहर में गोवंश पशु अधिक हो गए हैं. डेरी वाले लोग इन पशुओं के अनुपयोगी होने के बाद सड़कों पर छोड़ देते हैं. उन्होंने कहा कि शहर में एक ही कांजी हाउस है और आवारा पशुओं को रखने के लिए कोई दूसरा शरणालय भी नहीं है.

देहरादनू: देशभर में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है. लेकिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मवेशी सड़कों पर घूमने को मजबूर हैं. शहर में गोवंश पशु यातायात मार्ग को बाधित कर रहे हैं. बावजूद इसके नगर निगम इस ओर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा. नगर मिगम का कहना है कि शहर में सिर्फ एक ही कांजी हाउस होने की वजह से आवारा पशुओं को संभालना मुश्किल हो गया है.

सड़क पर घूमती गाय.

बता दें कि नगर निगम के कांजी हाउस में क्षमता से 3 गुना से अधिक पशु मौजूद हैं. नगर निगम के कांजी हाउस में 80 पशु रखने की क्षमता है लेकिन पशुओं की तादाद बढ़ने के कारण 300 से अधिक पशु कांजी हाउस में मौजूद हैं. अब आवारा पशु शहर की सड़कों पर आ गए हैं. जिस कारण शहर में आए दिन हादसे हो रहे हैं.

वहीं, स्थानीय लोग आवारा पशु को सड़कों से हटाने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि पशुओं के झुंड से यातायात बाधित हो जाता है. साथ ही सड़क हादसा होने का खतरा भी बना रहता है. दूसरी ओर नगर निगम दो ओर कांजी हाउस खोलने की बात कह रहा है. साथ ही आचार संहिता का हवाला देकर पल्ला भी छाड़ रहा है.

नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्सक विवेकानंद सती ने बताया कि नगर निगम का दायरा बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र अब शहरी हो गए हैं. जिससे शहर में गोवंश पशु अधिक हो गए हैं. डेरी वाले लोग इन पशुओं के अनुपयोगी होने के बाद सड़कों पर छोड़ देते हैं. उन्होंने कहा कि शहर में एक ही कांजी हाउस है और आवारा पशुओं को रखने के लिए कोई दूसरा शरणालय भी नहीं है.

Intro:जहाँ एक देश और उत्तराखंड में गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिए जाने की बात सामने आ रही है।वहीं शहर के भीतर गोवंशीय पशु यातायात मार्ग को बाधित कर रहे हैं।मगर नगर निगम प्रशासन इस और कुछ करता नहीं दिख रहा है।नगर निगम का दायरा बढ़ने के बाद इस में 72 गांव ओर जोड़ दिए गए हैं।ऐसी स्थिति में शहरी क्षेत्रफल तो बड़ा है लेकिन शहर में सिर्फ एक ही कांजी हाउस होने की वजह से आवारा पशुओं को संभालना मुश्किल हो गया है।हालांकि नगर निगम दो कांजी हाउस खोलने की बात कह रहा है।


Body:नगर निगम का कांजी हाउस फुल हो चुका है और यहां क्षमता से 3 गुना अधिक पशु होने के बाद अब आवारा पशु शहर की सड़कों पर आ गए हैं।नगर निगम के कांजी हाउस में 80 पशु रखने की क्षमता है लेकिन पशुओं की तादाद बढ़ने के कारण 300 से अधिक कांजी हाउस में मौजूद है।शहर में योजना इन पशुओं की वजह से हादसे हो रहे हैं।नगर निगम दो ओर कांजी हाउस खोलने की बात तो कह रहा है लेकिननगर निगम आचार संहिता का हवाला देकर पीछा छुड़ा रहा।लेकिन राहगीरों ने आवारा पशुओं को सड़कों से हटाने की मांग कर रहे हैं।गाय,सांडो के झुंड से जहा यातायात बाधित हो रहा है।वही इनसे कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है।इतना ही नही गड़ियो की टक्कर से पशु भी जख्मी हो रहे है।


Conclusion:वरिष्ठ पशु चिकित्सक नगर निगम के विवेकानंद सती ने बताया कि नगर निगम का दायरा बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र अब शहरी हो गए हैं।जिससे शहर में गोवंश पशु अधिक हो गए हैं वहीं यातायात को बाधित होने की वजह से सड़कों पर हादसे होने की संभावना बनी रहती है।डेरी वाले लोग इन जानवरों को अनुपयोगी होने के बाद सड़कों पर छोड़ देते हैं।और शहरी क्षेत्रफल तो बड़ा मगर कांजी हाउस अभी भी एक ही है।आवारा पशुओं को रखने के लिए कोई शरणालय भी नहीं है जिससे इन्हें वहां रखा जा सके।ग्रामीण क्षेत्र का शहरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद भी कांजी हाउस और पशु शरणालय में कोई इजाफा नहीं हो सका जिससे गौ वंशीय की संख्या यातायात मार्ग में बढ़ती जा रही है।ऐसे में सड़क पर घूम रहे आवारा पशुओं के लिए कांजी हाउस का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है।आचार संहिता खत्म होने के बाद कांजी हाउस के दायरे को बढ़ाने का काम किया जाएगा साथ ही सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को हटाने पर भी काम किया जाएगा।

बाइट-विवेकानंद सती(वरिष्ठ चिकित्सक नगर निगम)

बाइट किसी कारण वश मोजो से नही आ रही है इसलिए बाइट मेल की है।मेल से उठाने की कृपा करे।
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