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हरसीला प्राइमरी स्कूल में स्थायी शिक्षक की नियुक्ति की मांग, घटकर 14 हुई नौनिहालों की संख्या - Former MLA Lalit Farswan listened to problems of illagers

बागेश्वर के हरसीला प्राइमरी स्कूल में 2017 से स्थायी शिक्षक की नियुक्ति की मांग चल रही है. इन 5 सालों में स्कूल में कई शिक्षकों की बदली हो चुकी है. स्कूल में बच्चों की संख्या घटकर अब सिर्फ 14 रह गई है.

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बागेश्वर
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Published : Nov 30, 2021, 3:46 PM IST

बागेश्वरः प्राथमिक विद्यालय हरसीला स्थायी शिक्षक की तैनाती के लिए तरस गया है. 2017 से यह विद्यालय व्यवस्था के तहत चल रहा है. आलम ये है कि विद्यालय में बच्चों की संख्या घटकर 14 हो गई है. वहीं, अब ग्रामीणों नेताओं से इस समस्या को दूर करने की मांग की है.

बागेश्वर के प्राथमिक विद्यालय हरसीला में 2017 से स्थायी शिक्षक की नियुक्ति की मांग चल रही है. क्षेत्र के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण व कांग्रेस नेता हरीश ऐठानी का कहना है कि विद्यालय में एक महीने में तीन से चार शिक्षक व्यवस्था के तहत बदल दिए गए हैं. यहां पढ़ने वाले 14 बच्चे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके शिक्षक कौन हैं. ये हाल तब है जब यह स्कूल सड़क से लगा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः PWD संविदा कर्मचारियों का सचिवालय कूच, सरकार से नियमित करने की मांग

ललित फर्स्वाण ने कहा कि भाजपा सरकार में जनता झूठे आश्वासन से थक चुकी है. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके विद्यालय की अनदेखी की गई तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे. वहीं, ग्राम प्रधान हरीश नेगी ने बताया कि 2017 से विधायल के हालत ऐसे ही हैं. यहां हर महीने शिक्षक बदले जाते हैं. आलम ये है कि अब स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है.

बागेश्वरः प्राथमिक विद्यालय हरसीला स्थायी शिक्षक की तैनाती के लिए तरस गया है. 2017 से यह विद्यालय व्यवस्था के तहत चल रहा है. आलम ये है कि विद्यालय में बच्चों की संख्या घटकर 14 हो गई है. वहीं, अब ग्रामीणों नेताओं से इस समस्या को दूर करने की मांग की है.

बागेश्वर के प्राथमिक विद्यालय हरसीला में 2017 से स्थायी शिक्षक की नियुक्ति की मांग चल रही है. क्षेत्र के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण व कांग्रेस नेता हरीश ऐठानी का कहना है कि विद्यालय में एक महीने में तीन से चार शिक्षक व्यवस्था के तहत बदल दिए गए हैं. यहां पढ़ने वाले 14 बच्चे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके शिक्षक कौन हैं. ये हाल तब है जब यह स्कूल सड़क से लगा हुआ है.

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ललित फर्स्वाण ने कहा कि भाजपा सरकार में जनता झूठे आश्वासन से थक चुकी है. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके विद्यालय की अनदेखी की गई तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे. वहीं, ग्राम प्रधान हरीश नेगी ने बताया कि 2017 से विधायल के हालत ऐसे ही हैं. यहां हर महीने शिक्षक बदले जाते हैं. आलम ये है कि अब स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है.

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