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आजादी के 7 दशक बाद भी इस गांव में नहीं पहुंची सड़क, आज भी यहां कंधों पर ढोए जाते हैं मरीज

पहाड़ों के दूरस्थ गांवों की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर खींचती है, लेकिन खूबसूरती के पीछे का दर्द क्या होता है, ये शायद आप नहीं जानते होंगे. पहाड़ में जीवन कितना मुश्किल है, ये बागेश्वर के सिमतोली गांव के साता प्यारा से आए वीडियो में देखा जा रहा है. जहां एक बुजुर्ग को ग्रामीण 2 से 3 किलोमीटर पैदल अपने कंधों पर ढोकर सड़क तक फिर वहां से अस्पताल ले लाए.

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साता प्यारा के ग्रामीण सड़क को तरसे
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Published : Jun 2, 2022, 4:05 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 10:00 PM IST

बागेश्वरः सरकार भले ही विकास के नगमे गा रही हो, लेकिन धरातल पर हकीकत ठीक उलट हैं. इसकी एक बानगी बागेश्वर के सिमतोली गांव के साता प्यारा में देखने का मिल रही है. जहां आजादी के सात दशक बाद भी सड़क सुविधा नहीं पहुंच पाई. ऐसे में आज भी ग्रामीण 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं. जिसका नतीजा ये है कि अब सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हैं.

दरअसल, बागेश्वर जिले के सिमतोली 2 गांव का साता प्यारा तोक आज भी अभी तक सड़क सुविधा से दूर है. डोली के जरिए ही आज भी मरीज सड़क तक पहुंच रहे हैं. वहां से मरीज को वाहन से अस्पताल तक ले जाते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया. जहां एक बुजुर्ग दीवान सिंह (उम्र 72 वर्ष) घर में ही गिर गए थे. उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीणों ने डोली तैयार की फिर खड़ी चढ़ाई चढ़कर सड़क मार्ग तक पहुंचाया. जहां से उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया.

कंधों पर मरीज ढोने को मजबूर ग्रामीण.

ग्रामीण आनंद सिंह ने बताया कि 15 से 20 साल पहले साता प्यारा में 120 परिवार रहते थे. गांव की आबादी 500 थी. जिला बनने के बाद उम्मीद थी कि गांव का विकास होगा, लेकिन आज भी हालत जस के तस हैं. उन्होंने बताया कि साल 1997 में जिला बनने के बाद ज्यादातर गांवों में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा मिलने लगी, लेकिन उनके गांव में इन सब सुविधाओं के अभाव में आज केवल 70 परिवार ही रह गए हैं.

ये भी पढ़ेंः कंधों पर मरीज ढो रहा सपनों का उत्तराखंड, सरकारी दावों को आइना दिखाती तस्वीर

ग्रामीणों को राशन, रसोई गैस सिलेंडर समेत अन्य सामान घोड़ा-खच्चरों में लादकर लाना पड़ रहा है. गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एएनएम सेंटर तक नहीं है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए भी डोली के सहारे 5 किमी दूर बोहाला जाना पड़ता है. जिला अस्पताल जाने के लिए 2 किमी सड़क तक डोली फिर गाड़ी से भेजा जाता है. उन्होंने कहा कि सड़क के लिए कई बार आंदोलन कर चुके हैं. यदि गांव के लिए सड़क नहीं बनी तो वे उग्र आंदोलन करेंगे.

ये भी पढ़ेंः बेबसी: डोली करती है यहां एंबुलेंस का काम, महिला ने रास्ते में दिया नवजात को जन्म

वहीं, जिला पंचायत सदस्य चंदन रावत ने बताया विधायक के अथक प्रयासों से सिमतोली 2 के लिए सड़क स्वीकृत हुई है. जबकि, साता प्यारा सिमतोली 2 का तोक है. सड़क के लिए फॉरेस्ट क्लीरेंस मिल गई है. जल्द ही सड़क बना दी जाएगी. उधर, कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक चंदन राम दास ने बताया कि गांव को जल्द सड़क से जोड़ा जाएगा. इसके लिए पहले ही काम किया जा चुका है. कुछ अटकलें हैं, उन्हें जल्द दूर कर लिया जाएगा.

बागेश्वरः सरकार भले ही विकास के नगमे गा रही हो, लेकिन धरातल पर हकीकत ठीक उलट हैं. इसकी एक बानगी बागेश्वर के सिमतोली गांव के साता प्यारा में देखने का मिल रही है. जहां आजादी के सात दशक बाद भी सड़क सुविधा नहीं पहुंच पाई. ऐसे में आज भी ग्रामीण 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं. जिसका नतीजा ये है कि अब सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हैं.

दरअसल, बागेश्वर जिले के सिमतोली 2 गांव का साता प्यारा तोक आज भी अभी तक सड़क सुविधा से दूर है. डोली के जरिए ही आज भी मरीज सड़क तक पहुंच रहे हैं. वहां से मरीज को वाहन से अस्पताल तक ले जाते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया. जहां एक बुजुर्ग दीवान सिंह (उम्र 72 वर्ष) घर में ही गिर गए थे. उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीणों ने डोली तैयार की फिर खड़ी चढ़ाई चढ़कर सड़क मार्ग तक पहुंचाया. जहां से उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया.

कंधों पर मरीज ढोने को मजबूर ग्रामीण.

ग्रामीण आनंद सिंह ने बताया कि 15 से 20 साल पहले साता प्यारा में 120 परिवार रहते थे. गांव की आबादी 500 थी. जिला बनने के बाद उम्मीद थी कि गांव का विकास होगा, लेकिन आज भी हालत जस के तस हैं. उन्होंने बताया कि साल 1997 में जिला बनने के बाद ज्यादातर गांवों में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा मिलने लगी, लेकिन उनके गांव में इन सब सुविधाओं के अभाव में आज केवल 70 परिवार ही रह गए हैं.

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ग्रामीणों को राशन, रसोई गैस सिलेंडर समेत अन्य सामान घोड़ा-खच्चरों में लादकर लाना पड़ रहा है. गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एएनएम सेंटर तक नहीं है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए भी डोली के सहारे 5 किमी दूर बोहाला जाना पड़ता है. जिला अस्पताल जाने के लिए 2 किमी सड़क तक डोली फिर गाड़ी से भेजा जाता है. उन्होंने कहा कि सड़क के लिए कई बार आंदोलन कर चुके हैं. यदि गांव के लिए सड़क नहीं बनी तो वे उग्र आंदोलन करेंगे.

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वहीं, जिला पंचायत सदस्य चंदन रावत ने बताया विधायक के अथक प्रयासों से सिमतोली 2 के लिए सड़क स्वीकृत हुई है. जबकि, साता प्यारा सिमतोली 2 का तोक है. सड़क के लिए फॉरेस्ट क्लीरेंस मिल गई है. जल्द ही सड़क बना दी जाएगी. उधर, कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक चंदन राम दास ने बताया कि गांव को जल्द सड़क से जोड़ा जाएगा. इसके लिए पहले ही काम किया जा चुका है. कुछ अटकलें हैं, उन्हें जल्द दूर कर लिया जाएगा.

Last Updated : Jun 2, 2022, 10:00 PM IST
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