बागेश्वर: लंपी वायरस के प्रकोप को देखते हुए पशुपालन विभाग सतर्क है. 18 सितंबर से पशुओं के टीकाकरण का कार्य शुरु करने के साथ ही पशुओं की बीमारियों की जानकारी भी जुटाई जा रही हैं. बागेश्वर और गरुड़ के सीमावर्ती इलाकों में 10 टीमें टीकाकरण में जुटी हैं. पिछले 11 दिनों में 1500 पशुओं का टीकाकरण कराया जा चुका है. जिले में करीब 1 लाख 7 हजार पशु हैं. विभाग सीमावर्ती इलाकों के पशुओं का टीकाकरण पहले कर रहा है.
पशु चिकिसाधिकारी डॉ रविंद्र चंद्र (Veterinary Officer Dr Ravindra Chandra) ने बताया की लंपी संक्रमण होने पर पशुओं के मुंह से लार और नाक से पानी निकलने लगता है. पशु की त्वचा पर उभरे दाने या सूजन की गांठ हो जाती और वह तेज बुखार से ग्रसित हो जाता है. पशु को आहार लेने में परेशानी होती है और दूध उत्पादन भी कमी आ जाती है. लंपी तेजी से फैलने वाला वायरस है. प्रारंभिक लक्षण दिखते ही उपचार शुरु करने पर पशुओं को जल्द बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है.
उन्होंने लक्षण दिखने पर त्वरित रूप से पशु चिकित्सक को जानकारी देने को कहा और उसके बचाव को लेकर विभिन्न जानकारियां भी दी. उन्होंने बताया की लंपी तेजी से फैलता है. हालांकि, इसकी मृत्यु दर कम है. पशु में बीमारी के लक्षण दिखते ही नजदीकी पशु चिकित्सालय को सबसे पहले सूचना देनी चाहिए. चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही बीमार जानवर का ख्याल रखे जाने की बात कही है.
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पशुपालन विभाग ने बगैर प्रमाण पत्र के बाहरी पशु को जिले में लाने पर रोक लगा दी है. जिले में बाहर से लाए जाने वाले पशुओं को सीमा पर चेकिंग की जाएगी. स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र दिखाने के बाद ही पशु को जिले में लाने और परिवहन की अनुमति मिलेगी. वहीं, नगर निकायों और जिला पंचायतों को नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में मक्खी और मच्छरों को खत्म करने के लिए कीटनाशक का छिड़काव और फागिंग करने के निर्देश दिए हैं.