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बागेश्वर में महज चुनावी मुद्दा बनकर रह गई सीवरेज योजना, जिम्मेदार लापरवाह

बागेश्वर में सीवर लाइन चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है. सभी दल चुनाव में मुद्दे को भुनाते तो हैं, लेकिन जीतने के बाद भूल जाते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नगरवासियों को सीवर की सुविधा कब मिलेगी.

Bageshwar
बागेश्वर
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Published : Sep 9, 2021, 1:22 PM IST

बागेश्वर: जनपद की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है. नगर पालिका के 11 वार्डों में 25 हजार से अधिक लोग रहते हैं. गांवों से पलायन होने के बाद भी यहां लोग बसे हैं. कठायतबाड़ा, ठाकुरद्वारा, मंडलसेरा, सैंज, बिलौनासेरा, नदीगांव आदि स्थानों पर अधिक घर बने हुए हैं, लेकिन घरों से निकलने वाला सीवर सीधे नालियों के जरिए सरयू में विसर्जित हो जाता है. जिससे नदी भी अपवित्र हो रही है. चुनाव आते-आते सीवर लाइन बागेश्वर का मुख्य मुद्दा बन जाता है. सभी दल चुनाव में मुद्दे को भुनाते तो हैं, लेकिन जीतने के बाद भूल जाते हैं.

विधायक चंदन राम दास बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र का तीसरी बार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, अभी तक वो भी बस घोषणा ही करते रह गए हैं. जबकि सीवर लाइन की मांग काफी पुरानी है और हर बार बजट और स्थान पर मामला अटक जाता है. एक बार फिर से सीवर लाइन की फाइलें इधर-उधर खिसकी हैं और विभाग भी सीवर लाइन का राग अलापने लगे हैं.

बागेश्वर में महज चुनावी मुद्दा बनकर रह गई सीवरेज योजना.

पढ़ें-सचिवालय में फाइलों को लेकर अधिकारी लापरवाह, CS ने 'ई-ऑफिस' के नियम बदले

2019 में एसडीएम राकेश चंद्र तिवारी के नेतृत्व में पालिका, जल निगम और राजस्व विभाग की टीम ने कठायतबाड़ा से बिलौनासेरा तक सीवर लाइन के लिए भूमि का निरीक्षण किया. तमाम स्थानों पर ट्रीटमेंट प्लांट बनने हैं और भूमि का भी आकलन किया जाना है. टीम के निरीक्षण के बाद सीवर लाइन का सपना सच होने की उम्मीद जगी. उसके बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया.

पढ़ें-CM धामी ने किए मां नैना देवी के दर्शन, कहा- चारधाम यात्रा न होने से संकट में कारोबारी

ईओ नगर पालिका राजदेव जायसी ने बताया कि सीवर लाइन का निर्माण जल निगम को करना है और करीब सात करोड़ रुपये सीवर लाइन पर व्यय होने का अनुमान है. वहीं चुनाव के समय सीवर लाइन का मुद्दा उठाने वाले जनप्रतिनिधि कब इसे धरातल में उतारते हैं? यह बड़ा सवाल है.

बागेश्वर: जनपद की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है. नगर पालिका के 11 वार्डों में 25 हजार से अधिक लोग रहते हैं. गांवों से पलायन होने के बाद भी यहां लोग बसे हैं. कठायतबाड़ा, ठाकुरद्वारा, मंडलसेरा, सैंज, बिलौनासेरा, नदीगांव आदि स्थानों पर अधिक घर बने हुए हैं, लेकिन घरों से निकलने वाला सीवर सीधे नालियों के जरिए सरयू में विसर्जित हो जाता है. जिससे नदी भी अपवित्र हो रही है. चुनाव आते-आते सीवर लाइन बागेश्वर का मुख्य मुद्दा बन जाता है. सभी दल चुनाव में मुद्दे को भुनाते तो हैं, लेकिन जीतने के बाद भूल जाते हैं.

विधायक चंदन राम दास बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र का तीसरी बार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, अभी तक वो भी बस घोषणा ही करते रह गए हैं. जबकि सीवर लाइन की मांग काफी पुरानी है और हर बार बजट और स्थान पर मामला अटक जाता है. एक बार फिर से सीवर लाइन की फाइलें इधर-उधर खिसकी हैं और विभाग भी सीवर लाइन का राग अलापने लगे हैं.

बागेश्वर में महज चुनावी मुद्दा बनकर रह गई सीवरेज योजना.

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2019 में एसडीएम राकेश चंद्र तिवारी के नेतृत्व में पालिका, जल निगम और राजस्व विभाग की टीम ने कठायतबाड़ा से बिलौनासेरा तक सीवर लाइन के लिए भूमि का निरीक्षण किया. तमाम स्थानों पर ट्रीटमेंट प्लांट बनने हैं और भूमि का भी आकलन किया जाना है. टीम के निरीक्षण के बाद सीवर लाइन का सपना सच होने की उम्मीद जगी. उसके बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया.

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ईओ नगर पालिका राजदेव जायसी ने बताया कि सीवर लाइन का निर्माण जल निगम को करना है और करीब सात करोड़ रुपये सीवर लाइन पर व्यय होने का अनुमान है. वहीं चुनाव के समय सीवर लाइन का मुद्दा उठाने वाले जनप्रतिनिधि कब इसे धरातल में उतारते हैं? यह बड़ा सवाल है.

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