बागेश्वर: 14 जनवरी से होने वाले उत्तरायणी मेले की तैयारियां शुरु हो चुकी है. नगर पालिका उत्तरायणी मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए शहर को दुल्हन की तरह सजाने में लगा हुआ है. इसके दौरान शहर के मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है. मकर संक्रांति के स्नान के लिए घाटों को बेहतर बनाया जा रहा है. इसके साथ ही बाहर से आने वाले व्यापारियों की दुकान लगाने के लिए स्थान चिन्हित किया जा रहा है. मेले में निकलने वाली झांकियां मेले में चार-चांद लगा देती हैं.
बता दें कि उत्तरायणी मेले का धार्मिक और ऐतिहासिक रुप से बड़ा महत्व है. अंग्रेजों द्वारा लागू की गई कुली बेगार जैसी कुप्रथा का अंत भी 14 जनवरी 1921 को हुआ था. उत्तरायणी मेले के दौरान कुली बेगार के रजिस्टर सरयू नदी में प्रवाहित कर किया गया था. इन दिनों पालिका मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए तैयारी कर रहा है. उत्तरायणी मेले के लिए शहर के मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है. वहीं, सरयू नदी पर नुमाइस खेत मैदान से बागनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है. नगरपालिका द्वारा शहर को सजाने के लिए जगह-जगह 1500 लाइटें लगवाई जा रही है.
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मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरयू घाट पर पहुंचते हैं. नगर पालिका द्वारा नुमाइस खेत मैदान में लगने वाले मेले के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है. मैदान में लगने वाले सरकारी स्टॉल एवं प्रदर्शनियों के लिए जगह चिह्नित करने का कार्य चल रहा है.
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नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने बताया कि इस बार मेले को भव्य रूप देने के लिए नगर पालिका बाहर से आने वाले व्यापारियों को विशेष सुविधा देने वाली है. व्यपारियों के साथ मेले में किसी तरह का दुर्व्यवहार न हो इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जाएगी. मेले के दौरान शहर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा.