ETV Bharat / state

बागेश्वर में उत्तरायणी मेले की तैयारियां शुरू - Bageshwar Uttarayani mela

14 जनवरी से शुरू होने वाला उत्तरायणी मेला जिले का ही नही बल्कि राज्य के खास मेलों में एक है. इसलिए नगरपालिका शहर को दुल्हन की तरह सजा रहा है.

uttarayanani mela
बागेश्वर में उत्तरायणी मेले की तैयारियां शुरू
author img

By

Published : Dec 30, 2019, 10:53 PM IST

Updated : Dec 30, 2019, 11:00 PM IST

बागेश्वर: 14 जनवरी से होने वाले उत्तरायणी मेले की तैयारियां शुरु हो चुकी है. नगर पालिका उत्तरायणी मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए शहर को दुल्हन की तरह सजाने में लगा हुआ है. इसके दौरान शहर के मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है. मकर संक्रांति के स्नान के लिए घाटों को बेहतर बनाया जा रहा है. इसके साथ ही बाहर से आने वाले व्यापारियों की दुकान लगाने के लिए स्थान चिन्हित किया जा रहा है. मेले में निकलने वाली झांकियां मेले में चार-चांद लगा देती हैं.

बागेश्वर में उत्तरायणी मेले की तैयारियां शुरू

बता दें कि उत्तरायणी मेले का धार्मिक और ऐतिहासिक रुप से बड़ा महत्व है. अंग्रेजों द्वारा लागू की गई कुली बेगार जैसी कुप्रथा का अंत भी 14 जनवरी 1921 को हुआ था. उत्तरायणी मेले के दौरान कुली बेगार के रजिस्टर सरयू नदी में प्रवाहित कर किया गया था. इन दिनों पालिका मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए तैयारी कर रहा है. उत्तरायणी मेले के लिए शहर के मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है. वहीं, सरयू नदी पर नुमाइस खेत मैदान से बागनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है. नगरपालिका द्वारा शहर को सजाने के लिए जगह-जगह 1500 लाइटें लगवाई जा रही है.

ये भी पढ़ें:15 सालों से साफ पानी के चक्कर काट रहे ग्रामीण, स्वजल विभाग पर लगाया बड़ा आरोप

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरयू घाट पर पहुंचते हैं. नगर पालिका द्वारा नुमाइस खेत मैदान में लगने वाले मेले के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है. मैदान में लगने वाले सरकारी स्टॉल एवं प्रदर्शनियों के लिए जगह चिह्नित करने का कार्य चल रहा है.

ये भी पढ़ें:घायल चौकी इंचार्ज ने तोड़ा दम, चेकिंग के दौरान बाइक सवार ने मारी थी टक्कर

नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने बताया कि इस बार मेले को भव्य रूप देने के लिए नगर पालिका बाहर से आने वाले व्यापारियों को विशेष सुविधा देने वाली है. व्यपारियों के साथ मेले में किसी तरह का दुर्व्यवहार न हो इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जाएगी. मेले के दौरान शहर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा.

बागेश्वर: 14 जनवरी से होने वाले उत्तरायणी मेले की तैयारियां शुरु हो चुकी है. नगर पालिका उत्तरायणी मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए शहर को दुल्हन की तरह सजाने में लगा हुआ है. इसके दौरान शहर के मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है. मकर संक्रांति के स्नान के लिए घाटों को बेहतर बनाया जा रहा है. इसके साथ ही बाहर से आने वाले व्यापारियों की दुकान लगाने के लिए स्थान चिन्हित किया जा रहा है. मेले में निकलने वाली झांकियां मेले में चार-चांद लगा देती हैं.

बागेश्वर में उत्तरायणी मेले की तैयारियां शुरू

बता दें कि उत्तरायणी मेले का धार्मिक और ऐतिहासिक रुप से बड़ा महत्व है. अंग्रेजों द्वारा लागू की गई कुली बेगार जैसी कुप्रथा का अंत भी 14 जनवरी 1921 को हुआ था. उत्तरायणी मेले के दौरान कुली बेगार के रजिस्टर सरयू नदी में प्रवाहित कर किया गया था. इन दिनों पालिका मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए तैयारी कर रहा है. उत्तरायणी मेले के लिए शहर के मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है. वहीं, सरयू नदी पर नुमाइस खेत मैदान से बागनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है. नगरपालिका द्वारा शहर को सजाने के लिए जगह-जगह 1500 लाइटें लगवाई जा रही है.

ये भी पढ़ें:15 सालों से साफ पानी के चक्कर काट रहे ग्रामीण, स्वजल विभाग पर लगाया बड़ा आरोप

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरयू घाट पर पहुंचते हैं. नगर पालिका द्वारा नुमाइस खेत मैदान में लगने वाले मेले के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है. मैदान में लगने वाले सरकारी स्टॉल एवं प्रदर्शनियों के लिए जगह चिह्नित करने का कार्य चल रहा है.

ये भी पढ़ें:घायल चौकी इंचार्ज ने तोड़ा दम, चेकिंग के दौरान बाइक सवार ने मारी थी टक्कर

नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने बताया कि इस बार मेले को भव्य रूप देने के लिए नगर पालिका बाहर से आने वाले व्यापारियों को विशेष सुविधा देने वाली है. व्यपारियों के साथ मेले में किसी तरह का दुर्व्यवहार न हो इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जाएगी. मेले के दौरान शहर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा.

Intro:बागेश्वर।

एंकर- बागेश्वर में हर वर्ष माघ माह में होने वाले उत्तरायणी मेले को लेकर तैयारियाँ जोर- शोर से चल रही हैं। नगर पालिका मेले को भव्य और आकर्षक बनाने कब लिए नगर को दुल्हन की तरह सजाने में लगा हुआ है। 13 जनवरी को मेले का विधिवत शुभारम्भ होगा।

वीओ- बागेश्वर का उत्तरायणी मेला धार्मिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। अंग्रेजो द्वारा लागू की गई कुली बेगार जैसी कुप्रथा का अंत भी 14 जनवरी 1921 को उत्तरायणी मेले के दौरान कुली बेगार के रजिस्टर सरयू नदी में प्रवाहित कर किया गया था। प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले उत्तरायणी मेले की तैयारियों को लेकर नगर पालिका ने कमर कस ली है। इन दिनों पालिका मेले को भव्य औऱ आकर्षक बनाने के लिए नगर को सजाने में जुटी हुई है। नगर में मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है। वहीं सरयू नदी पर नुमाइसखेत मैदान से बागनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। नगर पालिका द्वारा प्रकाश व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए लाइटें लगाई जा रही हैं। जिसके लिए पालिका द्वारा जगह-जगह 1500 लाइटें लगवाई जा रही हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरयू घाट पर पहुंचते हैं। इनके लिए पालिका इन दिनों घाटों की सफाई करवा कर रंग-रोगन कर सजाने का कार्य कर रही है। पालिका द्वारा नुमाइखेत मैदान में लगने वाले मेले के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है। मैदान में लगने वाले सरकारी स्टॉल एवं प्रदर्शनियों के लिए जगह चिह्नित करने का कार्य चल रहा है। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने बताया कि इस वर्ष मेले को भव्य रूप देने के लिए नगर पालिका बाहर से आने वाले व्यापारियों को विशेष सुविधा देने वाली है। व्यपारियों के साथ मेले के दौरान किसी तरह का दुर्व्यवहार ना हो इसके लिए उनकी एक कमेटी बनाई जा रही है। वहीं नगर को मेले के दौरान स्वच्छ रखने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। रोजाना सुबह और शाम को नगर की सफाई की जाएगी। वहीं इन दिनों प्रत्येक वार्ड में पर्यावरण मित्रों द्वारा सफाई अभियान चलाया जा रहा है। बागनाथ मंदिर और पूरे नगर क्षेत्र को बिजली की मालाओं से सजाया जाएगा।

बाईट 01- सुरेश खेतवाल, अध्यक्ष नगर पालिका बागेश्वर।Body:वीओ- बागेश्वर का उत्तरायणी मेला धार्मिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। अंग्रेजो द्वारा लागू की गई कुली बेगार जैसी कुप्रथा का अंत भी 14 जनवरी 1921 को उत्तरायणी मेले के दौरान कुली बेगार के रजिस्टर सरयू नदी में प्रवाहित कर किया गया था। प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले उत्तरायणी मेले की तैयारियों को लेकर नगर पालिका ने कमर कस ली है। इन दिनों पालिका मेले को भव्य औऱ आकर्षक बनाने के लिए नगर को सजाने में जुटी हुई है। नगर में मंदिरों, घाटों और पुलों में रंग-रोगन का कार्य किया जा रहा है। वहीं सरयू नदी पर नुमाइसखेत मैदान से बागनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। नगर पालिका द्वारा प्रकाश व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए लाइटें लगाई जा रही हैं। जिसके लिए पालिका द्वारा जगह-जगह 1500 लाइटें लगवाई जा रही हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरयू घाट पर पहुंचते हैं। इनके लिए पालिका इन दिनों घाटों की सफाई करवा कर रंग-रोगन कर सजाने का कार्य कर रही है। पालिका द्वारा नुमाइखेत मैदान में लगने वाले मेले के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है। मैदान में लगने वाले सरकारी स्टॉल एवं प्रदर्शनियों के लिए जगह चिह्नित करने का कार्य चल रहा है। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने बताया कि इस वर्ष मेले को भव्य रूप देने के लिए नगर पालिका बाहर से आने वाले व्यापारियों को विशेष सुविधा देने वाली है। व्यपारियों के साथ मेले के दौरान किसी तरह का दुर्व्यवहार ना हो इसके लिए उनकी एक कमेटी बनाई जा रही है। वहीं नगर को मेले के दौरान स्वच्छ रखने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। रोजाना सुबह और शाम को नगर की सफाई की जाएगी। वहीं इन दिनों प्रत्येक वार्ड में पर्यावरण मित्रों द्वारा सफाई अभियान चलाया जा रहा है। बागनाथ मंदिर और पूरे नगर क्षेत्र को बिजली की मालाओं से सजाया जाएगा।

बाईट 01- सुरेश खेतवाल, अध्यक्ष नगर पालिका बागेश्वर।Conclusion:उत्तरायणी मेले में निकलने वाली झांकियां मेले में चारचांद लगा देती हैं। वहीं सरयू बगड़ में लगने वाले राजनीतिक पंडाल आज भी मेले की पौराणिकता को दर्शाती है।
Last Updated : Dec 30, 2019, 11:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.