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बागेश्वर पहुंचे PM मोदी के पारिवारिक गुरु, भद्रतुंगा में 10 दिनों तक करेंगे साधना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारिवारिक गुरु महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी को सरमूल और भद्रतुंगा में आकर आध्यात्मिक शांति मिलती है. वह अक्सर यहां साधना के लिए आते रहते हैं. वहीं, बीते साल कोविड काल में वह यहां साधना के लिए पहुंचे थे.

Mahamandaleshwar Abhiram Das Tyagi
पीएम मोदी के पारिवारिक गुरु पहुंचे भद्रतुंगा.
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Published : Apr 17, 2022, 7:06 PM IST

बागेश्वर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारिवारिक गुरु महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी आज रविवार को भद्रतुंगा पहुंचे. वह करीब 10 दिनों तक यहां सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल-सहस्त्रधारा में ठहरेंगे. इस दौरान वह मां सरयू और भगवान भोलेनाथ की साधना में लीन रहेंगे.

बता दें कि महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी को सरमूल और भद्रतुंगा में आकर आध्यात्मिक शांति मिलती है. वह अक्सर यहां साधना के लिए आते रहते हैं. वहीं, सरमूल को विश्व मानचित्र पर पहचान दिलाने के लिए कार्य रही सरमूल-सहस्त्रधारा, भद्रतुंगा विकास समिति के सलाहकार दयाल सिंह कुमल्टा सहित अन्य भक्तगणों ने कपकोट पहुंचने पर महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी का भव्य स्वागत किया. यहां कुछ देर ठहरने के बाद वह सीधे भद्रतुंगा के लिए रवाना हो गए.

Mahamandaleshwar Abhiram Das Tyagi
कपकोट पहुंचे महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी.

दयाल सिंह कुमल्टा ने बताया कि महामंडलेश्वर त्यागी रुद्रप्रयाग से होकर यहां पहुंचे हैं. उनके साथ देश के विभिन्न प्रांतों के भक्तजन भी आए हैं. महामंडलेश्वर त्यागी करीब 10 दिनों तक यहां रुक सकते हैं, हालांकि उन्होंने अपने ठहरने के कार्यक्रम की जानकारी नहीं दी है. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तजन और साधु-संतों के भद्रतुंगा और सरमूल आने की उम्मीद है.

पढ़ें- गौरीकुंड और त्रियुगीनारायण मंदिर पहुंचे बीकेटीसी अध्यक्ष, तैयारियों का लिया जायजा

सरमूल की महिमा: सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल-सहस्त्रधारा और भद्रतुंगा धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में जिले का प्रमुख स्थल बन रहा है. पावन सरयू नदी का उद्गमस्थल सरमूल-सहस्त्रधारा कपकोट के दूरस्थ गांव झूनी से आगे पड़ता है. सरमूल जाने के लिए बागेश्वर से पतियासार तक पक्की सड़क है.

पतियासार से भद्रतुंगा तक 5 किमी कच्ची सड़क बनी है.वहां से 7 किमी की पैदल दूरी पर सहस्त्रधारा है. सरमूल की एक पहाड़ी से जल 100 धाराओं में विभक्त होकर नीचे गिरता है, जहां जलधारा गिरती है, उस स्थान को सहस्त्रधारा कहा जाता है. सरयू नदी का उल्लेख महर्षि वेद व्यास रचित स्कंदपुराण के मानसखंड में भी है.

मानसखंड में सरयू महात्म्य नाम से अलग से अध्याय है. सहस्त्रधारा के पास में सरयू के साथ ही अन्य देवी-देवताओं के मंदिर बने हैं. यहां से जलधारा सरयू नदी के रूप में भद्रतुंगा होते हुए सौंग, कपकोट, हरसीला होते हुए बागेश्वर पहुंचती है. पिथौरागढ़ के घाट, पंचेश्वर होते हुए टनकपुर में शारदा में मिल जाती है.

बागेश्वर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारिवारिक गुरु महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी आज रविवार को भद्रतुंगा पहुंचे. वह करीब 10 दिनों तक यहां सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल-सहस्त्रधारा में ठहरेंगे. इस दौरान वह मां सरयू और भगवान भोलेनाथ की साधना में लीन रहेंगे.

बता दें कि महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी को सरमूल और भद्रतुंगा में आकर आध्यात्मिक शांति मिलती है. वह अक्सर यहां साधना के लिए आते रहते हैं. वहीं, सरमूल को विश्व मानचित्र पर पहचान दिलाने के लिए कार्य रही सरमूल-सहस्त्रधारा, भद्रतुंगा विकास समिति के सलाहकार दयाल सिंह कुमल्टा सहित अन्य भक्तगणों ने कपकोट पहुंचने पर महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी का भव्य स्वागत किया. यहां कुछ देर ठहरने के बाद वह सीधे भद्रतुंगा के लिए रवाना हो गए.

Mahamandaleshwar Abhiram Das Tyagi
कपकोट पहुंचे महामंडलेश्वर अभिरामदास त्यागी.

दयाल सिंह कुमल्टा ने बताया कि महामंडलेश्वर त्यागी रुद्रप्रयाग से होकर यहां पहुंचे हैं. उनके साथ देश के विभिन्न प्रांतों के भक्तजन भी आए हैं. महामंडलेश्वर त्यागी करीब 10 दिनों तक यहां रुक सकते हैं, हालांकि उन्होंने अपने ठहरने के कार्यक्रम की जानकारी नहीं दी है. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तजन और साधु-संतों के भद्रतुंगा और सरमूल आने की उम्मीद है.

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सरमूल की महिमा: सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल-सहस्त्रधारा और भद्रतुंगा धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में जिले का प्रमुख स्थल बन रहा है. पावन सरयू नदी का उद्गमस्थल सरमूल-सहस्त्रधारा कपकोट के दूरस्थ गांव झूनी से आगे पड़ता है. सरमूल जाने के लिए बागेश्वर से पतियासार तक पक्की सड़क है.

पतियासार से भद्रतुंगा तक 5 किमी कच्ची सड़क बनी है.वहां से 7 किमी की पैदल दूरी पर सहस्त्रधारा है. सरमूल की एक पहाड़ी से जल 100 धाराओं में विभक्त होकर नीचे गिरता है, जहां जलधारा गिरती है, उस स्थान को सहस्त्रधारा कहा जाता है. सरयू नदी का उल्लेख महर्षि वेद व्यास रचित स्कंदपुराण के मानसखंड में भी है.

मानसखंड में सरयू महात्म्य नाम से अलग से अध्याय है. सहस्त्रधारा के पास में सरयू के साथ ही अन्य देवी-देवताओं के मंदिर बने हैं. यहां से जलधारा सरयू नदी के रूप में भद्रतुंगा होते हुए सौंग, कपकोट, हरसीला होते हुए बागेश्वर पहुंचती है. पिथौरागढ़ के घाट, पंचेश्वर होते हुए टनकपुर में शारदा में मिल जाती है.

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