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बागेश्वर: जैविक शौचालय से होगा गंदगी का खात्मा, नगर पालिका ने शुरू की मुहिम

बागेश्वर नगर पालिका द्वारा जैविक शौचालय बनाए जा रहे हैं, जिससे आने वाले समय में प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी.

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नगर पालिका द्वारा लगाए जा रहें हैं जैविक शौचालय
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Published : Dec 25, 2019, 11:37 AM IST

बागेश्वर: सरयू और गोमती नदी के संगम पर बसे बागेश्वर जिले का अपना धार्मिक है. यहां पूरे साल पवित्र संगम पर स्नान करने के लिए श्रद्वालुओं का यहां आना-जाना लगा रहता है. नगर में सीवर लाइन न होने से प्राय: सभी शौचालयों की गंदगी नदी में गिरती है, जिससे बीमारी तो बढ़ ही रही है साथ ही नदियां का जल भी प्रदूषित होता रहता है. नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए अब नगर पालिका ने जैविक शौचालय बनाने की मुहिम शुरू कर दी है. पालिका की इस मुहिम का जनता ने भी स्वागत किया है.

बागेश्वर में बनेंगे जैविक शौचालय.

बता दें कि ज्वालादेवी वार्ड के कलेक्ट्रेट तिराहे के पास तीन जैविक शौचालय बनकर तैयार हो गए हैं. इसके अलावा पिडारी रोड पर चार सीटर शौचालय तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा विभिन्न वार्डों में चार सीटर, आठ जैविक शौचालय बनाने की योजना है. नगर पालिका का यह प्रयोग सफल हो जाता है तो धीरे-धीरे सभी सार्वजनिक शौचालयों को जैविक में बदल दिया जाएगा. नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी का कहना है कि एक जैविक शौचालय बनाने में लगभग 80 हजार रुपये का खर्चा आता है. उन्होंने कहा कि जैविक शौचालय सीधे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं. अब यह पूरे नगर पालिका क्षेत्र में बनाए जाएंगे.

वहीं नगर पालिका के अधिशासी अभियंता राजदेव जायसी ने बताया कि जैविक शौचालयों में नीचे बॉयो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं, जो मल इत्यादि को सड़ने में मदद करते हैं. मल सड़ने के बाद केवल नाइट्रोजन गैस और पानी ही शेष बचता है इसके बाद पानी को रिसाइकिल कर शौचालयों में इस्तेमाल किया जा सकता है. जहां फ्लश टॉयलेट को एक बार इस्तेमाल करने पर जहां 10 से 15 लीटर पानी इस्तेमाल होता है, वहीं वैक्यूम पर आधारित जैविक शौचालय में एक फ्लश में करीब आधा लीटर पानी का ही इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही जैविक शौचालय बहुत सी बीमारियों को रोकने में मदद करेगा.

ये भी पढ़ें: जनता मिलन कार्यक्रम में अधिकारियों से भिड़े पूर्व वार्ड मेंबर, जमकर हुई बहस

नगर में कई वर्षों से सार्वजनिक शौचालयों की कमी के चलते राहगीरों और खासकर महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन नगर पालिका द्वारा लगाए जा रहे बॉयो टॉयलेट से नागरिकों को तो सहूलियत होगी ही, वहीं नगर के बीचोंबीच बह रही सरयू और गोमती नदी में हो रहे प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी.

बागेश्वर: सरयू और गोमती नदी के संगम पर बसे बागेश्वर जिले का अपना धार्मिक है. यहां पूरे साल पवित्र संगम पर स्नान करने के लिए श्रद्वालुओं का यहां आना-जाना लगा रहता है. नगर में सीवर लाइन न होने से प्राय: सभी शौचालयों की गंदगी नदी में गिरती है, जिससे बीमारी तो बढ़ ही रही है साथ ही नदियां का जल भी प्रदूषित होता रहता है. नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए अब नगर पालिका ने जैविक शौचालय बनाने की मुहिम शुरू कर दी है. पालिका की इस मुहिम का जनता ने भी स्वागत किया है.

बागेश्वर में बनेंगे जैविक शौचालय.

बता दें कि ज्वालादेवी वार्ड के कलेक्ट्रेट तिराहे के पास तीन जैविक शौचालय बनकर तैयार हो गए हैं. इसके अलावा पिडारी रोड पर चार सीटर शौचालय तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा विभिन्न वार्डों में चार सीटर, आठ जैविक शौचालय बनाने की योजना है. नगर पालिका का यह प्रयोग सफल हो जाता है तो धीरे-धीरे सभी सार्वजनिक शौचालयों को जैविक में बदल दिया जाएगा. नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी का कहना है कि एक जैविक शौचालय बनाने में लगभग 80 हजार रुपये का खर्चा आता है. उन्होंने कहा कि जैविक शौचालय सीधे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं. अब यह पूरे नगर पालिका क्षेत्र में बनाए जाएंगे.

वहीं नगर पालिका के अधिशासी अभियंता राजदेव जायसी ने बताया कि जैविक शौचालयों में नीचे बॉयो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं, जो मल इत्यादि को सड़ने में मदद करते हैं. मल सड़ने के बाद केवल नाइट्रोजन गैस और पानी ही शेष बचता है इसके बाद पानी को रिसाइकिल कर शौचालयों में इस्तेमाल किया जा सकता है. जहां फ्लश टॉयलेट को एक बार इस्तेमाल करने पर जहां 10 से 15 लीटर पानी इस्तेमाल होता है, वहीं वैक्यूम पर आधारित जैविक शौचालय में एक फ्लश में करीब आधा लीटर पानी का ही इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही जैविक शौचालय बहुत सी बीमारियों को रोकने में मदद करेगा.

ये भी पढ़ें: जनता मिलन कार्यक्रम में अधिकारियों से भिड़े पूर्व वार्ड मेंबर, जमकर हुई बहस

नगर में कई वर्षों से सार्वजनिक शौचालयों की कमी के चलते राहगीरों और खासकर महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन नगर पालिका द्वारा लगाए जा रहे बॉयो टॉयलेट से नागरिकों को तो सहूलियत होगी ही, वहीं नगर के बीचोंबीच बह रही सरयू और गोमती नदी में हो रहे प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी.

Intro:बागेश्वर।

एंकर— बागेश्वर जिले में नगरपालिका जल्द ही जैविक शौचालयों को जगह-जगह लगा रही है। इससे अब जहां लोगों को बड़ी राहत मिलेगी वहीं पर्यावरण भी प्रदूषित होने से बचेगा। धीरे-धीरे सभी वार्डों में शौचालय लगने के बाद सार्वजनिक शौचालयों को भी जैविक में बदल दिया जाएगा।

वीओ— सरयू और गोमती नदी के संगम पर बसा बागेश्वर का धार्मिक महत्व बहुत है। वर्ष भर पवित्र संगम पर स्नान के लिए श्रद्वालुओं का यहां आना रहता है। नगर में शिविर लाईन न होने से प्राय: सभी शौचालयों की गंदगी नदी में मिलती है। जिससे बीमारी तो बढ़ ही रही है नदियां भी प्रदूषित हो रही हैं। नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए अब पालिका ने जैविक शौचालय बनाने की मुहिम शुरू कर दी है। पालिका की इस मुहिम का जनता ने भी स्वागत किया है।
वहीं नगर पालिका के अधिशासी अभियंता राजदेव जायसी ने बताया कि जैविक शौचालयों में नीचे बॉयो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं, जो मल इत्यादि को सड़ने में मदद करते हैं। मल सड़ने के बाद केवल नाइट्रोजन गैस और पानी ही शेष बचता है। इसके बाद पानी को पुन: री-साइकिल कर शौचालयों में इस्तेमाल किया जा सकता है। फ्लश टॉयलेट को एक बार इस्तेमाल करने पर जहां 10 से 15 लीटर पानी इस्तेमाल होता है, वहीं वैक्यूम पर आधारित जैविक शौचालय में एक फ्लश में करीब आधा लीटर पानी ही इस्तेमाल होता है। इसके सांथ ही जैविक शौचालय बहुत सी बीमारियों को रोकने में मदद करेगा।
ज्वालादेवी वार्ड के कलक्ट्रेट तिराहे के पास तीन जैविक शौचालय बनकर तैयार हो गए हैं। इसके अलावा पिडारी रोड पर चार सीटर शौचालय तैयार हो रहा है। इसके अलावा विभिन्न वार्डों में चार सीटर आठ जैविक शौचालय लगाने की योजना है। पालिका का यह प्रयोग सफल हो जाता है तो धीरे-धीरे सभी सार्वजनिक शौचालयों को जैविक में बदल दिया जाएगा। नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी का कहना है कि एक जैविक शौचालय लगाने में लगभग अस्सी हजार रुपये का खर्चा आ रहा है। उन्होंने कहा कि जैविक शौचालय सीधे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं। अब यह पूरे नगरपालिका क्षेत्र में लगाए जाएंगे।
नगर में कई वर्षों से सार्वजनिक शौचालयों की कमी के चलते राहगीरों खास कर के महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन नगरपालिका द्वारा लगाए जा रहे बॉयो टॉयलेट से नागरिकों को सहूलियत होगी। वहीं नगर के बीचों-बीच बह रही सरयू-गोमती नदी में हो रहे प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी।

बाईट—1— महिपाल भरड़ा, स्थानीय निवासी
बाईट—2— राजदेव जायसी, अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका बागेश्वरBody:वीओ— सरयू और गोमती नदी के संगम पर बसा बागेश्वर का धार्मिक महत्व बहुत है। वर्ष भर पवित्र संगम पर स्नान के लिए श्रद्वालुओं का यहां आना रहता है। नगर में शिविर लाईन न होने से प्राय: सभी शौचालयों की गंदगी नदी में मिलती है। जिससे बीमारी तो बढ़ ही रही है नदियां भी प्रदूषित हो रही हैं। नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए अब पालिका ने जैविक शौचालय बनाने की मुहिम शुरू कर दी है। पालिका की इस मुहिम का जनता ने भी स्वागत किया है।
वहीं नगर पालिका के अधिशासी अभियंता राजदेव जायसी ने बताया कि जैविक शौचालयों में नीचे बॉयो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं, जो मल इत्यादि को सड़ने में मदद करते हैं। मल सड़ने के बाद केवल नाइट्रोजन गैस और पानी ही शेष बचता है। इसके बाद पानी को पुन: री-साइकिल कर शौचालयों में इस्तेमाल किया जा सकता है। फ्लश टॉयलेट को एक बार इस्तेमाल करने पर जहां 10 से 15 लीटर पानी इस्तेमाल होता है, वहीं वैक्यूम पर आधारित जैविक शौचालय में एक फ्लश में करीब आधा लीटर पानी ही इस्तेमाल होता है। इसके सांथ ही जैविक शौचालय बहुत सी बीमारियों को रोकने में मदद करेगा।
ज्वालादेवी वार्ड के कलक्ट्रेट तिराहे के पास तीन जैविक शौचालय बनकर तैयार हो गए हैं। इसके अलावा पिडारी रोड पर चार सीटर शौचालय तैयार हो रहा है। इसके अलावा विभिन्न वार्डों में चार सीटर आठ जैविक शौचालय लगाने की योजना है। पालिका का यह प्रयोग सफल हो जाता है तो धीरे-धीरे सभी सार्वजनिक शौचालयों को जैविक में बदल दिया जाएगा। नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी का कहना है कि एक जैविक शौचालय लगाने में लगभग अस्सी हजार रुपये का खर्चा आ रहा है। उन्होंने कहा कि जैविक शौचालय सीधे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं। अब यह पूरे नगरपालिका क्षेत्र में लगाए जाएंगे।
नगर में कई वर्षों से सार्वजनिक शौचालयों की कमी के चलते राहगीरों खास कर के महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन नगरपालिका द्वारा लगाए जा रहे बॉयो टॉयलेट से नागरिकों को सहूलियत होगी। वहीं नगर के बीचों-बीच बह रही सरयू-गोमती नदी में हो रहे प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी।

बाईट—1— महिपाल भरड़ा, स्थानीय निवासी
बाईट—2— राजदेव जायसी, अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका बागेश्वरConclusion:नगर में कई वर्षों से सार्वजनिक शौचालयों की कमी के चलते राहगीरों खास कर के महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन नगरपालिका द्वारा लगाए जा रहे बॉयो टॉयलेट से नागरिकों को सहूलियत होगी। वहीं नगर के बीचों-बीच बह रही सरयू-गोमती नदी में हो रहे प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी।
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