ETV Bharat / state

बागेश्वर नहीं पहुंचा किसी भी पार्टी का स्टार प्रचारक, वोटर बोले- नजरअंदाज कर रही राजनीतिक पार्टियां - लोकसभा चुनाव उत्तराखंड

वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक किसी भी स्टार प्रचारक को बागेश्वर में नहीं उतारा है. जिसे यहां कहीं न कहीं वोटरों की उपेक्षा के तौर पर ही देखा जा रहा है.

बागेश्वर में नहीं पहुंचा कोई स्टार प्रचारक.
author img

By

Published : Apr 8, 2019, 7:14 PM IST

Updated : Apr 8, 2019, 8:55 PM IST

बागेश्वर: लोकसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनावी प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं. वोटरों को लुभाने के लिए पार्टियों के स्टार प्रचारक जगह-जगह जनसभाएं और रैलियां कर रहे हैं. लेकिन बागेश्वर जिला अबतक स्टार प्रचारकों से अछूता रहा है. किसी भी राष्ट्रीय पार्टी का स्टार प्रचारक अभी तक बागेश्वर नहीं पहुंचा है.

बागेश्वर नहीं पहुंचे स्टार प्रचारक.

वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक किसी भी स्टार प्रचारक को बागेश्वर में नहीं उतारा है. जिसे यहां कहीं न कहीं वोटरों की उपेक्षा के तौर पर ही देखा जा रहा है. समाजसेवी नरेश पांडे कहते हैं कि यहां के लोग अब जागरूक हो चुके हैं.

बता दें कि बागेश्वर जिला राष्ट्रीय आंदोलनों का केंद्र रहा है. साल 1921 का कुली-बेगार आंदोलन ही था जिसके चलते साल 1929 में महात्मा गांधी को बागेश्वर आने पर मजबूर होना पड़ा था. बद्रीदत्त पांडे जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जिले को राजनीतिक पटल पर लाकर खड़ा किया था. लेकिन लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए राष्ट्रीय पार्टियां अबतक बागेश्वर को नजरअंदाज करती आई हैं. लोगों का कहना है कि जैसी स्थिति जिले में चुनावी प्रचार-प्रसार की दिख रही है, वैसी ही स्थिति जिले में विकास की भी रही है.

बागेश्वर: लोकसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनावी प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं. वोटरों को लुभाने के लिए पार्टियों के स्टार प्रचारक जगह-जगह जनसभाएं और रैलियां कर रहे हैं. लेकिन बागेश्वर जिला अबतक स्टार प्रचारकों से अछूता रहा है. किसी भी राष्ट्रीय पार्टी का स्टार प्रचारक अभी तक बागेश्वर नहीं पहुंचा है.

बागेश्वर नहीं पहुंचे स्टार प्रचारक.

वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक किसी भी स्टार प्रचारक को बागेश्वर में नहीं उतारा है. जिसे यहां कहीं न कहीं वोटरों की उपेक्षा के तौर पर ही देखा जा रहा है. समाजसेवी नरेश पांडे कहते हैं कि यहां के लोग अब जागरूक हो चुके हैं.

बता दें कि बागेश्वर जिला राष्ट्रीय आंदोलनों का केंद्र रहा है. साल 1921 का कुली-बेगार आंदोलन ही था जिसके चलते साल 1929 में महात्मा गांधी को बागेश्वर आने पर मजबूर होना पड़ा था. बद्रीदत्त पांडे जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जिले को राजनीतिक पटल पर लाकर खड़ा किया था. लेकिन लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए राष्ट्रीय पार्टियां अबतक बागेश्वर को नजरअंदाज करती आई हैं. लोगों का कहना है कि जैसी स्थिति जिले में चुनावी प्रचार-प्रसार की दिख रही है, वैसी ही स्थिति जिले में विकास की भी रही है.

स्लग- स्टार प्रचारकों से अछूता बागेश्वर।
रिपोर्ट-नीरज पाण्डेय, बागेश्वर।
मो.-9411776715
दिनाँक- 08.04.2019

एंकर- लोकसभा चुनावों को लेकर सभी पार्टियां जोर शोर से प्रचार में लगी हुई हैं । वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां स्टार प्रचारकों को भी बुला रही है। इसके बावजूद बागेश्वर जिला अभी तक स्टार प्रचारकों से अछूता रहा है। किसी भी राष्ट्रीय पार्टी का स्टार प्रचारक अभी तक बागेश्वर नहीं पहुंचा है।

वीओ- बागेश्वर जिला राष्ट्रीय आंदोलनों का केंद्र रहा है। वर्ष 1921 का कुली बेगार आंदोलन ही था जिसके चलते वर्ष 1929 में महात्मा गांधी को बागेश्वर आने पर मजबूर होना पड़ा। ये आंदोलन स्थानीय समस्याओं को लेकर पैदा हुए थे। बद्रीदत्त पांडे जैसे स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों ने जिले को राजनीतिक पटल पर ला कर खड़ा किया। इसके बावजूद लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए राष्ट्रीय पार्टियों की अभी तक कोई ठोस रणनीति नजर नहीं आ रही है। वोटरों को लुभाने के लिए  राष्ट्री पार्टियां अभी तक किसी भी स्टार प्रचार को बागेश्वर बुला पाने में नाकाम रही हैं। देखा जाय तो यह वोटरों की उपेक्षा ही है। प्रचार की जैसी स्थिति जिले में दिख रही है वैसी ही स्थिति जिले में विकास की भी रही है।

बाईट 1- पंकज पांडे, सामाजिक कार्यकर्ता।
बाईट 2- मनोज ओली, भाजयुमो जिला अध्यक्ष।
बाईट 3- कवि जोशी, युवा कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष।

Last Updated : Apr 8, 2019, 8:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.