बागेश्वर: लोकसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनावी प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं. वोटरों को लुभाने के लिए पार्टियों के स्टार प्रचारक जगह-जगह जनसभाएं और रैलियां कर रहे हैं. लेकिन बागेश्वर जिला अबतक स्टार प्रचारकों से अछूता रहा है. किसी भी राष्ट्रीय पार्टी का स्टार प्रचारक अभी तक बागेश्वर नहीं पहुंचा है.
वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक किसी भी स्टार प्रचारक को बागेश्वर में नहीं उतारा है. जिसे यहां कहीं न कहीं वोटरों की उपेक्षा के तौर पर ही देखा जा रहा है. समाजसेवी नरेश पांडे कहते हैं कि यहां के लोग अब जागरूक हो चुके हैं.
बता दें कि बागेश्वर जिला राष्ट्रीय आंदोलनों का केंद्र रहा है. साल 1921 का कुली-बेगार आंदोलन ही था जिसके चलते साल 1929 में महात्मा गांधी को बागेश्वर आने पर मजबूर होना पड़ा था. बद्रीदत्त पांडे जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जिले को राजनीतिक पटल पर लाकर खड़ा किया था. लेकिन लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए राष्ट्रीय पार्टियां अबतक बागेश्वर को नजरअंदाज करती आई हैं. लोगों का कहना है कि जैसी स्थिति जिले में चुनावी प्रचार-प्रसार की दिख रही है, वैसी ही स्थिति जिले में विकास की भी रही है.