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सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल में लघु कुंभ का भव्य आयोजन, पूर्व राज्यपाल कोश्यारी ने भी लिया भाग

सरयू नदी के उद्गम स्थल को एक विकसित पर्यटन स्थल बनाने के लिये भद्रतुंगा में पहली बार लघु कुंभ का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन नौ दिवसीय होगा. इसी के साथ इस आयोजन में पीएम मोदी के गुरू के नेतृत्व में यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न किया जा रहा है.

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Published : May 8, 2023, 10:18 AM IST

Updated : May 8, 2023, 12:58 PM IST

लघु कुंभ का भव्य आयोजन
लघु कुंभ का भव्य आयोजन
सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल में लघु कुंभ का भव्य आयोजन

बागेश्वर: सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल को पर्यटन और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके लिये भद्रतुंगा में पहली बार श्रीराम महायज्ञ कुमाऊं लघु कुंभ का आयोजन किया गया है. जो कि 3 मई से 11 मई यानि 9 दिन तक चलेगा. सरयू नदी का उद्गम स्थल कई ऐसे अनछुए और अनदेखे विषम भौगौलिक क्षेत्र से भरा है, जहां रहस्य भी है, और रोमांच भी.

पीएम मोदी के गुरु के नेतृत्व में हो रहा यज्ञ: भद्रतुंगा सरमूल क्षेत्र वशिष्ठ मुनि की तपस्थली रही है. देश के नामचीन पर्यटक स्थल के रुप में भद्रतुंगा को विकसित करने के लिए यज्ञोपवीत संस्कार और विभिन्न प्रकार के यज्ञों का आयोजन प्रतिदिन किया जा रहा है. यह यज्ञ पीएम मोदी के गुरु गुजरात राज्य के महामंडलेश्वर महंत स्वामी अभिराम दास के नेतृत्व में संपन्न किया जा रहा है. आयोजन को सफल बनाने के लिये, गुजरात, गंगोत्री, ऋषिकेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश से साधु संत भद्रतुंगा सरमूल पहुंचे हुए हैं.

भंडारे का किया जा रहा आयोजन: आयोजन में श्रद्धालुओं के लिये भंडारे की भी व्यवस्था की गई है. सूपी, लोहरखेत सहित 18 गांव के ग्रामीण प्रतिदिन भंडारे के आयोजन में मदद कर रहे हैं. कुमाऊं लघु कुंभ आयोजन के अध्यक्ष पूर्व मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल और ब्लॉक प्रमुख कपकोट गोविंद सिंह दानू द्वारा सरमूल भद्रतुंगा में हो रहे आयोजन को भविष्य में पर्यटक स्थल के रुप में विकसित करने के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है.
यह भी पढ़ें: बजरंग दल बैन विवाद को सीएम धामी ने बताया तुष्टिकरण की नीति, कांग्रेसियों ने पढ़ी हनुमान चालीसा

तुलसीदास ने बताई है सरयू की महत्ता: भद्रतुंगा में पहुंचे साधु वृंदावन दास व स्वामी देवराम दास का कहना है कि स्कंदपुराण में सरयू नदी के महात्म्य का वर्णन किया गया है. सरयू का उद्गम स्थल पिछड़ा हुआ है. सरमूल में आश्रम बनाने से बहुत सी जनता आश्रम से जुड़ी है. पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र में रह कर भी यहां की जनता अपना भरण पोषण करती है, जो काफी सराहनीय है. स्वामी तुलसीदास ने लिखा है, 'कोटि कल्प काशी बसे, मथुरा कल्प हजार, एक निमिष सरयू बसे तुले न तुलसीदास' अर्थात सरयू नदी के दर्शन मात्र से ही जीव मात्र की मुक्ति हो जाती है. वहीं आयोजन में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी पहुंचे और यज्ञ में प्रतिभाग किया.

सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल में लघु कुंभ का भव्य आयोजन

बागेश्वर: सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल को पर्यटन और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके लिये भद्रतुंगा में पहली बार श्रीराम महायज्ञ कुमाऊं लघु कुंभ का आयोजन किया गया है. जो कि 3 मई से 11 मई यानि 9 दिन तक चलेगा. सरयू नदी का उद्गम स्थल कई ऐसे अनछुए और अनदेखे विषम भौगौलिक क्षेत्र से भरा है, जहां रहस्य भी है, और रोमांच भी.

पीएम मोदी के गुरु के नेतृत्व में हो रहा यज्ञ: भद्रतुंगा सरमूल क्षेत्र वशिष्ठ मुनि की तपस्थली रही है. देश के नामचीन पर्यटक स्थल के रुप में भद्रतुंगा को विकसित करने के लिए यज्ञोपवीत संस्कार और विभिन्न प्रकार के यज्ञों का आयोजन प्रतिदिन किया जा रहा है. यह यज्ञ पीएम मोदी के गुरु गुजरात राज्य के महामंडलेश्वर महंत स्वामी अभिराम दास के नेतृत्व में संपन्न किया जा रहा है. आयोजन को सफल बनाने के लिये, गुजरात, गंगोत्री, ऋषिकेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश से साधु संत भद्रतुंगा सरमूल पहुंचे हुए हैं.

भंडारे का किया जा रहा आयोजन: आयोजन में श्रद्धालुओं के लिये भंडारे की भी व्यवस्था की गई है. सूपी, लोहरखेत सहित 18 गांव के ग्रामीण प्रतिदिन भंडारे के आयोजन में मदद कर रहे हैं. कुमाऊं लघु कुंभ आयोजन के अध्यक्ष पूर्व मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल और ब्लॉक प्रमुख कपकोट गोविंद सिंह दानू द्वारा सरमूल भद्रतुंगा में हो रहे आयोजन को भविष्य में पर्यटक स्थल के रुप में विकसित करने के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है.
यह भी पढ़ें: बजरंग दल बैन विवाद को सीएम धामी ने बताया तुष्टिकरण की नीति, कांग्रेसियों ने पढ़ी हनुमान चालीसा

तुलसीदास ने बताई है सरयू की महत्ता: भद्रतुंगा में पहुंचे साधु वृंदावन दास व स्वामी देवराम दास का कहना है कि स्कंदपुराण में सरयू नदी के महात्म्य का वर्णन किया गया है. सरयू का उद्गम स्थल पिछड़ा हुआ है. सरमूल में आश्रम बनाने से बहुत सी जनता आश्रम से जुड़ी है. पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र में रह कर भी यहां की जनता अपना भरण पोषण करती है, जो काफी सराहनीय है. स्वामी तुलसीदास ने लिखा है, 'कोटि कल्प काशी बसे, मथुरा कल्प हजार, एक निमिष सरयू बसे तुले न तुलसीदास' अर्थात सरयू नदी के दर्शन मात्र से ही जीव मात्र की मुक्ति हो जाती है. वहीं आयोजन में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी पहुंचे और यज्ञ में प्रतिभाग किया.

Last Updated : May 8, 2023, 12:58 PM IST
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