बागेश्वरः जिले में नए विकास कार्यों की रूपरेखा तय करने और पिछले कार्यों की समीक्षा के लिए जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक आयोजित की गई. यह बैठक महज औपचारिकता नजर आई. खुद सांसद अजय टम्टा ढाई घंटा देरी से पहुंचे. इस दौरान बैठक सभागार में अधिकारी ठंड में ठिठुरते रहे. जबकि, बैठक में 35 से ज्यादा विभागीय योजनाओं को चर्चा के लिए रखा गया, लेकिन सांसद ने केवल 14 योजनाओं पर ही चर्चा की. वहीं, मामले पर समय की कमी का हवाला दिया गया.
जिला मुख्यालय में आयोजित जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में समीक्षा के दौरान आधे से ज्यादा विभागों के कार्यों को चर्चा से अलग कर दिया गया. जिन योजनाओं को चर्चा के लिए रखा गया. उसमें भी विधायक और ब्लॉक प्रमुख लापरवाही और देरी का आरोप लगाते रहे. अपनी ही सरकार पर आरोप लगाते हुए विपक्ष को बैठक में मौका मिला.
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बैठक के दौरान अधिकांश सदस्यों ने विभागों में स्टाफ की कमी के कारण कार्य समय पर पूरे ना होने और गुणवत्ता में कमी की शिकायत की. जिस पर सांसद भी लाचार नजर आए. जबकि, इस बैठक में निकायों के अधिकांश प्रतिनिधि नदारद रहे. जिला पंचायतों और ब्लॉकों में अभी तक उप समितियों का गठन नहीं किया गया है. जिससे सदस्यों में नाराजगी रही.
नगर पालिका अध्यक्ष बैठक से गैरहाजिर रहे. जबकि, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष समेत अन्य वरिष्ठ सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्हें बैठक की सूचना तक नहीं दी गई. इस मामले पर सांसद अजय टम्टा का कहना है कि कर्मचारियों और अधिकारियों को तैनात किया जाता है, लेकिन वे अवकाश पर जा रहे हैं. इससे काम प्रभावित होता है. उन्होंने इस समस्या को संसद में भी उठाया है.
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उधर, बैठक को लेकर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और मौजूदा सदस्य हरीश ऐंठानी ने दिशा बैठक को दिशाहीन करार दिया. उन्होंने कहा कि जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की अहम बैठक का औपचारिक हो जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. बैठक में निकायों के नए सदस्यों ने कोई रूचि नहीं दिखाई है. बैठक में हुई बहस के चलते विकास कार्यों पर चर्चा भी नहीं हो सकी.