बागेश्वरः बिलौना में कटवा कीट किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र पर शिकायत की तो कृषि विज्ञान केंद्र के पादप सुरक्षा विशेषज्ञ हरीश चंद्र जोशी ने मौके का निरीक्षण किया. उन्होंने कीट की पहचान कटवा कीट (कटवर्म, Cutworm) के रूप में की. इस कीट का वैज्ञानिक नाम एग्रोटीस स्पीसीज है.
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. कमल कुमार पांडे ने बताया कि कटवा कीट फसलों को तेजी से नष्ट करता है. इससे बचाव के लिए 250 ग्राम फरर्टिरा 0.4 जीआर (क्लोरेनट्रेनीलिजोल) रसायन को रबर के दस्ताने और मास्क पहनकर खेतों में छिड़काव किया जाता है. हालांकि, छिड़काव के बाद उस खेत में चारा और सरसों की फसल प्रभावित होगी, जिसे जानवरों को देना नुकसानदायक होता है.
ये भी पढ़ेंः दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को मिली NGT की मंजूरी, पर्यावरण निगरानी के लिए बनाई समिति
उन्होंने बताया कि इस रसायन की जानकारी जिले के काश्तकार, कीटनाशक विक्रेताओं, कृषि विभाग और पौध सुरक्षा अधिकारी को भी दी जाएगी. ताकि अन्य स्थानों पर कीट लगने पर तत्काल किसान इसका बचाव कर सकें.
कैसे नुकसान पहुंचाते हैं कटवर्म कीटः कटवर्म कीट लार्वा होते हैं, जो दिन के दौरान कूड़े या मिट्टी के नीचे छिप जाते हैं. कटवर्म कीट अंधेरे में पौधों को खाने के लिए बाहर निकलते हैं. एक लार्वा आम तौर पर पौधे के पहले भाग पर हमला करता है. यह फसल के अंकुर को काट देते हैं. इसलिए इसका नाम कटवर्म रखा गया है. कटवर्म जैविक रूप से बोलने वाले कीड़े नहीं हैं, बल्कि कैटरपिलर हैं.
कटवर्म के लार्वा उनके खाने के व्यवहार में भिन्न होते हैं. कुछ उस पौधे के साथ रहते हैं जिसे वे काटते हैं और उस पर भोजन करते हैं, जबकि अन्य अक्सर गिरे हुए अंकुर से थोड़ी मात्रा में खाने के बाद आगे बढ़ते हैं. कटवर्म सामान्य रूप से बागवानों के लिए गंभीर कीट हैं.