बागेश्वर: दो महीने से मानदेय नहीं मिलने से आंदोलन की चेतावनी देने वाले संविदा श्रमिकों की समस्या सुनने के बजाए ठेकेदार ने एक कर्मचारी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. वहीं अपने साथी के समर्थन में दूसरे ने भी काम छोड़ दिया है. कर्मचारी उपकेंद्र में ताला लगाकर अपने घरों को चले गए हैं. जिससे अब 80 गांवों की बिजली की देखरेख करने के लिए केंद्र में कोई भी कर्मचारी नहीं है.
ऊर्जा निगम ने बनलेख में विद्युत उपकेंद्र खोला है. इस उपकेंद्र से बालीघाट से सनगाड़, बास्ती तक करीब 80 गांवों में बिजली की आपूर्ति होती है. उपकेंद्र के रख-रखाव से लेकर लाइन की मरम्मत कार्यों के लिए ऊर्जा निगम ने ठेकेदार के माध्यम से कर्मचारी तैनात किए हैं. इन कर्मचारियों को पिछले दो माह से मानदेय नहीं मिला है.
जिस पर रविवार की सुबह खुशाल सिंह सहित अन्य कर्मचारियों ने ठेकेदार द्वारा भुगतान करने में मनमानी करने का आरोप लगाया था. जल्द मांग पूरी नहीं होने पर कर्मचारियों ने आंदोलन की चेतावनी दी थी. श्रमिकों की चेतावनी ठेकेदार को बर्दाश्त नहीं हुई. ठेकेदार ने खुशाल सिंह चौहान को नौकरी से निकाल दिया और काम छोड़कर चले जाने को कह दिया.
ठेकेदार के इस रवैये से खिन्न हो कर खुशाल और उसका एक साथी उप केंद्र में ताला लगाकर अपने घर को चल दिए. कर्मचारियों का कहना है कि ठेकेदार का व्यवहार बहुत ही खराब है. उन्होंने बताया कि मानदेय देने में देरी होती है तो मांगने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है. कर्मचारियों ने ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
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वहीं ठेकेदार ललित सिंह सुगड़ा ने बताया कि ऊर्जा केंद्र बनलेख में तैनात खुशाल सिंह को हटाया है. वो आए दिन राजनीति करता रहता है. उसके कारण केंद्र का माहौल खराब हो रहा है. क्षेत्र में बिजली नहीं गई है. लाइनमैन हरीश ने शटडाउन लिया हुआ है. वहीं ऊर्जा निगम के ईई भाष्कर पाण्डेय ने बताया कि बनलेख उप केंद्र का मामला मेरे संज्ञान में आया है. पूरे मामले की जांच की जाएगी. अगर कर्मचारी की गलती होगी तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा यदि वेतन नहीं देने का मामला होगा तो ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा.