बागेश्वरः नैनीताल की तर्ज पर अब बागेश्वर के ऐतिहासिक मंदिर बैजनाथ के गोमती नदी (Gomati River) में बनी कृत्रिम झील में भी बोटिंग शुरू हो गई है. पर्यटन विभाग ने बैजनाथ झील में नौकाएं उतार दी. झील में नौका विहार के साथ ही अन्य खेल गतिविधियां भी शुरू हो गई है. जहां पर्यटक जमकर बोटिंग का लुत्फ उठा रहे हैं.
बागेश्वर जिले में स्थित बैजनाथ (Baijnath) गोमती नदी के किनारे एक छोटा सा नगर है. 8वीं और 9वीं शताब्दी में बना यह मंदिर समूह अपने प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है. जिन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्तराखंड में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में मान्यता प्राप्त दी है. बैजनाथ उन चार स्थानों में से एक है, जिन्हें भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत शिव हेरिटेज सर्किट से जोड़ने का काम चल रहा है. बैजनाथ में कृत्रिम झील में बोटिंग शुरू होने से अब हर कोई खुश है. बाहर से आने वाले पर्यटक अब यहां बोटिंग का भी लुत्फ उठा रहे हैं.
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बैजनाथ धाम को पांचवें धाम के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है. बैजनाथ एक सुंदर स्थान होने के साथ-साथ एक धार्मिक स्थल भी है. यहां पर देश-विदेश से आने वाले काफी पर्यटक बैजनाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं. अब यहां की कृत्रिम झील बनने से उसमें पर्यटक पैडल बोट, जोरविंग बॉल के साथ ही ओपन थिएटर का भी लुत्फ उठा रहे हैं.
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बोटिंग संचालक संजय परिहार का कहना है कि इससे अब बैजनाथ मंदिर में जहां पर्यटक दर्शन तो करेंगे ही अब बोटिंग भी कर सकेंगे. वहीं, इस क्षेत्र के युवाओं को भी स्वरोजगार में मदद मिलेगा. गौर हो कि बैजनाथ धाम को प्राचीनकाल में कार्तिकेयपुर के नाम से जाना जाता था और तब यह कत्यूरी राजवंश के शासकों की राजधानी थी. कत्यूरी राजा तब गढ़वाल, कुमाऊं और डोटी क्षेत्रों तक राज करते थे.