बागेश्वरः जिला अस्पताल के चिकित्सकों पर बाहर से दवाइयां लिखने के आरोप (Doctors accused of prescribing outside medicines) समय-समय पर लगते रहे हैं. बावजूद इसके न तो स्वास्थ्य विभाग मामले का संज्ञान लेता है और न ही सरकार की ओर से कार्रवाई की जाती है. गुरुवार को अस्पताल में ऐसा ही एक मामला सामने आया. अस्पताल पहुंचा मरीज बाहर की दवा लिखे जाने पर भड़क गया. मरीज ने अस्पताल और जन औषधि केंद्र (Jan Aushadhi Kendra) की दवा नहीं लिखे जाने पर रोष जताया और जिला अस्पताल को मेडिकल स्टोरों के एजेंटों का अड्डा बताया. सीएमएस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
मजबे निवासी दीप जोशी (Majbe resident Deep Joshi) जिला अस्पताल में अपने सिर दर्द की जांच कराने पहुंचे थे. उनका कहना है कि चिकित्सक ने जांच के दौरान जो दवा लिखी थी, उनमें से केवल एक ही जिला अस्पताल में उपलब्ध थी. मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने के लिए खोले गए जनऔषधि केंद्र में भी डॉक्टर की लिखी दवाइयां नहीं थी. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल परिसर में निजी मेडिकल स्टोरों के कर्मचारी एजेंट बनकर घूम रहे हैं. जिनमें से एक एजेंट उनसे अपनी दुकान से दवा लेने का दबाव बनाने लगा.
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इस दौरान मरीज ने मीडिया को बुलाने और अस्पताल प्रशासन से शिकायत करने की बात कहते हुए उस एजेंट से पल्ला झाड़ा. अपनी शिकायत लेकर मरीज दीप जोशी सीएमएस डॉ. वीके टम्टा के पास पहुंचा और उन्हें दवा बाहर से लिखे जाने व अस्पताल परिसर में घूम रहे एजेंटों के बारे में शिकायत दी.
सीएमएस ने उन्हें अस्पताल से दवाइयां उपलब्ध कराई और मेडिकल स्टोर के एजेंट बनकर घूम रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. वहीं सीएमएस का कहना है कि जिला अस्पताल में 99 प्रतिशत दवाइयां उपलब्ध हैं. मरीज की एक दवा मौजूद नहीं थी, जिसके कारण दवा बाहर से लेने को कहा गया. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में मेडिकल स्टोरों के एजेंटों के घूमने की बात पहले भी संज्ञान में आई है. लेकिन किसी मरीज ने उनकी शिकायत और पहचान नहीं की.