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बागेश्वर: जंगलों में लगी भयावह आग, मॉक ड्रिल-मॉक ड्रिल खेल रहा वन विभाग

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Published : Apr 10, 2021, 10:02 PM IST

Updated : Apr 10, 2021, 10:37 PM IST

जंगलों में आगजनी की घटनाओं की रोकथाम के लिए बागेश्वर जिले में वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल किया गया. इस दौरान सभी विभागों में आपसी सामंजस्य देखने को मिला, लेकिन सभी विभागों का आपसी सामंजस्य जैसा आज दिख रहा है, अगर वैसा ही हर वक्त दिखता तो 200 हेक्टेयर जंगल जलने की जगह वनाग्नि से कोसों दूर होता.

मॉक ड्रिल-मॉक ड्रिल खेल रहा विभाग
मॉक ड्रिल-मॉक ड्रिल खेल रहा विभाग

बागेश्वर: जिले में लगातार बढ़ रही वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए वन विभाग ने मॉक ड्रिल किया. यह अलग बात है कि कई महीनों से बागेश्वर जनपद के जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं, लेकिन विभाग अभी भी मॉक ड्रिल खेलने में लगा हुआ है.

वन विभाग ने किया मॉक ड्रिल

शनिवार को स्वास्थ्य विभाग से लेकर वन, आपदा प्रबंधन, पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीमों ने संयुक्त रूप से बागेश्वर जिले में वनाग्नि को बुझाने के लिए मॉक ड्रिल किया. बता दें कि उत्तराखंड में हर साल 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक फायर सीजन घोषित किया जाता है. इस दौरान जंगलों की आग लगने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती है. जिसके लिए वन विभाग हर साल करोड़ों रुपए की योजना भी बनाता है. लेकिन धरताल पर उनका कोई असर नहीं दिखता है.

शीतकालीन से लेकर अभीतक बागेश्वर जिले में वनाग्नि के 130 मामले सामने आ चुके है, जिसमें करीब दो हेक्टयर क्षेत्र में फैली वन संपदा चलकर राख हो चुकी है. बाजवूद इसके वन विभाग अभी वनाग्नि की घटनाओं की रोकने के लिए मॉक ड्रिल-मॉक ड्रिल खेल रहा है.

बागेश्वर में वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल किया गया.

खाली पड़ा विभाग, कैसे बुझेगी आग ?

बागेश्वर जिले में वन विभाग में सृजित 209 पदों में से 79 पद रिक्त चल रहे हैं. अधिकारी, कर्मचारियों की कमी भी जंगलों की आग बुझाने में कहीं न कहीं बाधा बन रही है. प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार सहायक वन संरक्षक के दोनों पद खाली हैं. वन क्षेत्राधिकारी के पांचों पदों पर तैनाती है. उपराजिक (डिप्टी रेंजर) के पांच में से तीन पद रिक्त हैं. वन दरोगा के 62 पदों में से 18 रिक्त हैं. वन रक्षक के 68 पदों में से 43 रिक्त हैं. चालक के भी दो पद रिक्त हैं. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के साथ ही लिपिक संवर्ग में भी तमाम पद रिक्त हैं. डीएफओ बीएस शाही का कहना है कि विभाग में 40 प्रतिशत पद रिक्त हैं. इससे कामकाज प्रभावित हो रहा है. रिक्तियों की पूर्ति के लिए प्रत्येक माह शासन को पत्र भेजा जा रहा है.

वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल
वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल

ये भी पढ़ें: राज्य के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान में खत्म हुई कोरोना वैक्सीन, दून मेडिकल कॉलेज से वापस लौटे लोग

200 हेक्टेयर जंगल जलकर राख

पिछले अक्टूबर से अभी तक 130 घटनाओं मे 200 हेक्टेयर जंगल जल चूके है और जिला प्रशासन अभी तक मॉक ड्रिल तक ही सीमित है. हालांकि मॉक ड्रिल में सभी विभागों में आपसी सामंजस्य देखने को मिला. मॉक ड्रिल के दौरान जिले के जंगलों में जगह-जगह आग लगी थी. मॉक ड्रिल में सभी विभागों ने मिलजुल कर जगह-जगह लगी आग को बुझाया और आपदा में घायल हुए व्यक्तियों को भी बचाया.

डीएम ने मॉक ड्रिल को बेहतर बताया

सभी विभागों का आपसी सामंजस्य जैसा आज दिख रहा है, अगर वैसा ही हर वक्त दिखता तो 200 हेक्टेयर जंगल जलने की जगह वनाग्नि से कोसो दूर होता. हालांकि जिलाधिकारी इस मॉक ड्रिल को काफी अच्छा रिस्पांस मान रहे है. उनका कहना है कि इस तरह के मॉक ड्रिल आपसी तालमेल को मजबूत बनाते हैं.

बागेश्वर: जिले में लगातार बढ़ रही वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए वन विभाग ने मॉक ड्रिल किया. यह अलग बात है कि कई महीनों से बागेश्वर जनपद के जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं, लेकिन विभाग अभी भी मॉक ड्रिल खेलने में लगा हुआ है.

वन विभाग ने किया मॉक ड्रिल

शनिवार को स्वास्थ्य विभाग से लेकर वन, आपदा प्रबंधन, पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीमों ने संयुक्त रूप से बागेश्वर जिले में वनाग्नि को बुझाने के लिए मॉक ड्रिल किया. बता दें कि उत्तराखंड में हर साल 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक फायर सीजन घोषित किया जाता है. इस दौरान जंगलों की आग लगने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती है. जिसके लिए वन विभाग हर साल करोड़ों रुपए की योजना भी बनाता है. लेकिन धरताल पर उनका कोई असर नहीं दिखता है.

शीतकालीन से लेकर अभीतक बागेश्वर जिले में वनाग्नि के 130 मामले सामने आ चुके है, जिसमें करीब दो हेक्टयर क्षेत्र में फैली वन संपदा चलकर राख हो चुकी है. बाजवूद इसके वन विभाग अभी वनाग्नि की घटनाओं की रोकने के लिए मॉक ड्रिल-मॉक ड्रिल खेल रहा है.

बागेश्वर में वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल किया गया.

खाली पड़ा विभाग, कैसे बुझेगी आग ?

बागेश्वर जिले में वन विभाग में सृजित 209 पदों में से 79 पद रिक्त चल रहे हैं. अधिकारी, कर्मचारियों की कमी भी जंगलों की आग बुझाने में कहीं न कहीं बाधा बन रही है. प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार सहायक वन संरक्षक के दोनों पद खाली हैं. वन क्षेत्राधिकारी के पांचों पदों पर तैनाती है. उपराजिक (डिप्टी रेंजर) के पांच में से तीन पद रिक्त हैं. वन दरोगा के 62 पदों में से 18 रिक्त हैं. वन रक्षक के 68 पदों में से 43 रिक्त हैं. चालक के भी दो पद रिक्त हैं. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के साथ ही लिपिक संवर्ग में भी तमाम पद रिक्त हैं. डीएफओ बीएस शाही का कहना है कि विभाग में 40 प्रतिशत पद रिक्त हैं. इससे कामकाज प्रभावित हो रहा है. रिक्तियों की पूर्ति के लिए प्रत्येक माह शासन को पत्र भेजा जा रहा है.

वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल
वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल

ये भी पढ़ें: राज्य के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान में खत्म हुई कोरोना वैक्सीन, दून मेडिकल कॉलेज से वापस लौटे लोग

200 हेक्टेयर जंगल जलकर राख

पिछले अक्टूबर से अभी तक 130 घटनाओं मे 200 हेक्टेयर जंगल जल चूके है और जिला प्रशासन अभी तक मॉक ड्रिल तक ही सीमित है. हालांकि मॉक ड्रिल में सभी विभागों में आपसी सामंजस्य देखने को मिला. मॉक ड्रिल के दौरान जिले के जंगलों में जगह-जगह आग लगी थी. मॉक ड्रिल में सभी विभागों ने मिलजुल कर जगह-जगह लगी आग को बुझाया और आपदा में घायल हुए व्यक्तियों को भी बचाया.

डीएम ने मॉक ड्रिल को बेहतर बताया

सभी विभागों का आपसी सामंजस्य जैसा आज दिख रहा है, अगर वैसा ही हर वक्त दिखता तो 200 हेक्टेयर जंगल जलने की जगह वनाग्नि से कोसो दूर होता. हालांकि जिलाधिकारी इस मॉक ड्रिल को काफी अच्छा रिस्पांस मान रहे है. उनका कहना है कि इस तरह के मॉक ड्रिल आपसी तालमेल को मजबूत बनाते हैं.

Last Updated : Apr 10, 2021, 10:37 PM IST
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