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बागेश्वर में 47 हजार मनरेगा जॉब कार्ड धारकों के सामने रोजी-रोटी का संकट

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Published : Apr 29, 2021, 11:47 AM IST

बागेश्वर जिले में मनरेगा के तहत कार्य न मिलने से प्रवासी परेशान हैं. जिससे उनके आगे रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है.

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बागेश्वर: जिले में मनरेगा के कार्य ठप होने से 47 हजार जॉब कार्ड धारकों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. बीते 45 दिनों से उन्हें रोजगार नहीं मिला है. कोरोना महामारी में गांव लौटे प्रवासी सबसे अधिक परेशान हैं. अब उनके पास नौकरी नहीं है. वहीं, गांव में भी कोई रोजगार नहीं मिल रहा हैं.

मनरेगा सहायकों के पिछले 45 दिनों से हड़ताल में होने के कारण सरकार के माध्यम से संचालित मनरेगा योजना भी अधर में लटकी है. जिले के कपकोट, गरुड़ और बागेश्वर ब्लॉक में कोई कार्य नहीं हो पाया है. इससे जॉब कार्डधारी खासे परेशान हैं. कोरोना महामारी के इस दौर में रोजगार का एकमात्र विकल्प भी अब ठप हो गया है. इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द मनरेगा के कार्य शुरू नहीं हुए तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे. मनरेगा योजना के तहत सरकार 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है. एक मजदूर को एक दिन का 201 रुपये मजदूरी मिलती है. वहीं प्रशिक्षित मजदूरों को 444 रुपये प्रतिदिन मिलता है.

पढ़ें: कोरोना मरीजों को राहत, महंत इंद्रेश अस्पताल में बढ़ी ऑक्सीजन की क्षमता

दयागड़ की प्रधान दीपा देवी ने कहा कि गांव के जॉब कार्डधारी अब परेशान हैं. जिले में कोरोना महामारी के दौरान 5,612 प्रवासियों ने जॉब कार्ड बनाए. जिन्हें अब रोजगार का इंतजार हैं. कब तक रोजगार मिलेगा, इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी नहीं हैं. प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी केएन तिवारी ने बताया कि नुकसान तो हुआ ही है, अगर इस वित्तीय वर्ष में काम होता तो 25 लाख के कार्य मनरेगा में चल रहे होते तो लोगों को भी पैसे मिलते रहते. उम्मीद है जल्द ही काम शुरू होगा.

बागेश्वर: जिले में मनरेगा के कार्य ठप होने से 47 हजार जॉब कार्ड धारकों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. बीते 45 दिनों से उन्हें रोजगार नहीं मिला है. कोरोना महामारी में गांव लौटे प्रवासी सबसे अधिक परेशान हैं. अब उनके पास नौकरी नहीं है. वहीं, गांव में भी कोई रोजगार नहीं मिल रहा हैं.

मनरेगा सहायकों के पिछले 45 दिनों से हड़ताल में होने के कारण सरकार के माध्यम से संचालित मनरेगा योजना भी अधर में लटकी है. जिले के कपकोट, गरुड़ और बागेश्वर ब्लॉक में कोई कार्य नहीं हो पाया है. इससे जॉब कार्डधारी खासे परेशान हैं. कोरोना महामारी के इस दौर में रोजगार का एकमात्र विकल्प भी अब ठप हो गया है. इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द मनरेगा के कार्य शुरू नहीं हुए तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे. मनरेगा योजना के तहत सरकार 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है. एक मजदूर को एक दिन का 201 रुपये मजदूरी मिलती है. वहीं प्रशिक्षित मजदूरों को 444 रुपये प्रतिदिन मिलता है.

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दयागड़ की प्रधान दीपा देवी ने कहा कि गांव के जॉब कार्डधारी अब परेशान हैं. जिले में कोरोना महामारी के दौरान 5,612 प्रवासियों ने जॉब कार्ड बनाए. जिन्हें अब रोजगार का इंतजार हैं. कब तक रोजगार मिलेगा, इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी नहीं हैं. प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी केएन तिवारी ने बताया कि नुकसान तो हुआ ही है, अगर इस वित्तीय वर्ष में काम होता तो 25 लाख के कार्य मनरेगा में चल रहे होते तो लोगों को भी पैसे मिलते रहते. उम्मीद है जल्द ही काम शुरू होगा.

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