अल्मोड़ा: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाने वाली बिच्छू घास और मडुवे से बने उत्पादों से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही रही है. जिले के हवालबाग में आजीविका मिशन के तहत महिलाएं बिच्छू घास, बुरांश के फूल, तुलसी से विभिन्न फ्लेवर की चाय और मडुवे के बिस्कुट समेत अन्य उत्पाद बना रही है. जिसकी डिमांड न केवल देशभर में है, बल्कि विदेशों में भी होने लगी है.
आजीविका मिशन के तहत चल रहे इस काम में 35 से 40 महिलाओं को जहां सीधे रोजगार मिल रहा है. वही, सैकड़ों ग्रामीणों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है. यहां पर आजिविका परियोजना के तहत कार्य करने वाली कमला जोशी ने बताया कि हवालबाग में वह 2018 से बिच्छु घास की चाय, बुरांश की चाय सहित आठ से अधिक प्रकार की चाय तैयार की कर रही है. यह चाय दिल्ली समेत अन्य महानगरों को ऑर्डर पर भेजी जाती है.
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उन्होंने बताया कि हर माह 30 हजार से ज्यादा की चाय यहां से बेची जा रही है. देहरादून सचिवालय में भी यहां से चाय भेजी जा रही है. पहाड़ी उत्पादों से खाली चाय के विभिन्न फ्लेवर तैयार करने में यहां 30 से अधिक महिलाएं जुटी हुई हैं. यहां पर तैयार चाय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. यही नही यहां आजिविका मिशन के तहत महिलाएं मडुवे से बिस्किट, पिज्जा समेत विभिन्न पौष्टिक उत्पाद भी तैयार कर रही हैं.
इसके अलावा पहाड़ी फलो से जूस, जैम और अचार भी यहां की महिलाएं तैयार कर रही हैं. जिसकी देशभर से खासी डिमांड है. मडुवे से बिस्कुट बनाने वाली प्रेमा मेहता ने कहा दिल्ली, देहरादून, मुंबई, पश्चिम बंगाल, केरल, हिमाचल राज्य से बिस्किट की काफी डिमांड आ रही है. पहाड़ के इन ऑर्गनिक उत्पादों से तैयार उत्पादों को मुंबई समेत कई महानगरों की कंपनियां खरीद रही हैं.